राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग के राष्ट्रपति सम्मानित प्राध्यापक और सतत सृजनरत प्रखर वक्ता डॉ.चन्द्रकुमार जैन, बिलासपुर के पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित शाश्वत भारत राष्ट्रीय संगोष्ठी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन पर विशिष्ट व्याख्यान देंगे। यह गरिमामय आयोजन विश्विद्यालय और छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के तत्वावधान में होगा। इस तीन दिवसीय भव्य आईसीएसएसआर संगोष्ठी में राष्ट्र,धर्म और संस्कृति पर महामंथन के दौरान डॉ. जैन, 19 नवम्बर, रविवार को 30 मिनट का व्याख्यान देने के लिए विश्वविद्यालय कुलपति और आयोजन के संरक्षक डॉ. बंशगोपाल सिंह ने अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया है। कुलसचिव डॉ. राजकुमार सचदेव के अनुसार यह संगोष्ठी भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्र के वास्तविक स्वरूप को समझने और इनके बीच स्वस्थ तालमेल बनाकर विश्व कल्याण और विश्व शांति की नयी दिशाओं की खोज के महान उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।
आमंत्रित अतिथि वक्ता डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि भारत के निवासियों को मात्र नागरिक नहीं बल्कि राष्ट्र परिवार के सदस्य के रूप में नई पहचान देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद का दर्शन अनोखा है। वह पश्चिमी भौतिकता पर पूरब के मूल्यों की जीत और अपनी पहचान के साथ पूरी दुनिया के साथ जीने की रीत की निराली कहानी है। आर्थिक चिंतन को पारमार्थिक धरातल देने की क्षमता रखने वाला एकात्म मानववाद अपनी सार्थक यात्रा में अंत्योदय का पुण्य प्रसाद प्रदान कर अंततः समग्र मानवता को कल्याण का अचूक आधार प्रदान करता है। डॉ. जैन ने कहा कि एकात्म मानववाद में संस्कृति के विराट रूप को मनुष्य और राज्य व्यवस्था में साकार होते देखा जा सकता है। डॉ. जैन, पंडित दीनदयाल जी के एकात्म चिंतन को समय की कसौटी पर परखकर एक चमकदार और पारदर्शी सोच के रूप में प्रस्तुत करने के अवसर को एक सौभाग्य मानते हैं।
संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वानों में देश के अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्राध्यापक, वरिष्ठ पत्रकार, सम्पादक,धर्म-दर्शनवेता और संस्कृति चिंतक, गणमान्य जन, सामाजिक कार्यकर्ता सहित उत्साही युवा पीढ़ी शामिल है।