उदयपुर। देश का पच्चीस प्रतिशत भू-भाग गंगा नदी का बेसीन है। जिसमे देश की चालीस फीसदी आबादी निवास करती है। गंगा दशमी के अवसर पर गंगा बेसीन में बसे उदयपुर की झीलों नदियों का संरक्षण व सुरक्षा आवश्यक है। उक्त विचार डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट , झील संरक्षण समिति व झील मित्र संस्थान के सांझे में आयोजित संवाद में उभरे।
झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नदियों की सुरक्षा व पवित्रता मुख्य ध्येय रही है। गंगा दशमी जैसे पर्व सतत बताते रहते है कि प्राकृतिक जल संसाधनो का संरक्षण जीवन और आगामी पीढ़ियों के लिए जरुरी है।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि गंगा में बहने वाले प्रवाह में साठ प्रतिशत हिस्सा सहायक नदियों का है। जब तक सहायक नदियों , नालो को निर्मल व स्वच्छ बनाया जायेगा तब तक गंगा की स्वच्छता की कल्पना बेमानी होगी। शहर की झीले व बेडच नदी गंगा की सहायक नदिया है। इनकी सफाई जरुरी है।
डॉ मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि गंगा दशमी पर्व मात्र गंगा की ही नहीं वरन सभी नदियों, पोखरों , झीलों की स्वच्छता व निर्मलता का स्मरण हुए इन्हे जीवनाधार बताती है। शर्मा ने कहा किसी शायर ने दुखी होकर ठीक कहा है '' हमसे तो देखभाल भी उसकी ना हो सकी ,पुरखे उतार लाये थे गंगा जमींन पे "।
संवाद का सञ्चालन नितेश सिंह ने किया।