योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान काफी तरक्की की है और एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर में अपना खास मुकाम बना लिया है। पतंजलि ने जमीं-जमाईं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच तहलका मचा दिया है। वर्ष 2017 में पतंजलि का टर्नओवर 10561 करोड़ रुपये पार कर चुका है और यह आंकड़ा तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अपनी इसी प्रतिभा के दम पर बाबा रामदेव ने इस साल एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) ग्रुप का बहुप्रतिष्ठित ‘इंपैक्ट पर्सन ऑफ द ईयर- अवॉर्ड 2017’ का खिताब जीता। मीडिया, मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान देने और ऊंचाइयों को छूने वालों को हर साल एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा यह अवॉर्ड दिया जाता है। दरअसल, पतंजलि ने जिस तरह से देश की एफएमसीजी कंपनियों के बीच अपना वर्चस्व स्थापित किया और ‘स्वदेशी’ के जरिये इस मार्केट में बेमिसाल पकड़ बनाई, वह प्रशंसनीय है और इसी के चलते ही बाबा रामदेव को यह अवॉर्ड दिया गया है।
इस मौके पर बाबा रामदेव ने ‘बिजनेसवर्ल्ड’ (BusinessWorld) और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ग्रुप के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ अनुराग बत्रा से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने काम के साथ-साथ पतंजलि ब्रैंड के लिए भविष्य की योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
पतंजलि की तरह आप एक ब्रैंड हैं और मीडिया में काफी प्रसिद्ध भी हैं। एडवर्टाइजिंग का इस्तेमाल आप सही तरह से कर रहे हैं और सभी जगह आपका प्रभाव है। इसके अलावा आप आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर बिजनेस भी कर रहे हैं। आप सभी कुछ कर रहे हैं। अब ऐसी कौन से चीज है जो अभी करने से बाकी रह गई है ?
लोग सिर्फ आपकी उपलब्धि, सफलता, ताकत, समृद्धि आदि भौतिकतावादी चीजें देखते हैं। मेरे लिए ये सब चीजें खास मायने नहीं रखती हैं, मैं तो सिर्फ महान और प्रेरणाप्रद लोगों का अनुसरण करता हूं। जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। मैं भगवान का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे ज्ञान के साथ-साथ यह सब करने की शक्ति दी है, इसलिए मैं यह कर रहा हूं। क्या कभी सूर्यदेवता ने पूछा है कि मैं पूरी दुनिया को सूर्य का प्रकाश देता हूं तो इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा? इसलिए मैंने तो यही सीखा है कि ये सब चीजें मेरे लिए काम कर रही हैं और मेरी चीजें भी सभी लोगों के लिए हैं। मैं अपने फायदे के लिए कुछ नहीं कर रहा हूं। यह सब कुछ मैं देश के लोगों के लिए ही कर रहा हूं। यही मेरी जिंदगी है और यही मेरा सच भी है।
जीवन में संतुलन बहुत जरूरी है। एक तरफ तो आप सभी धर्मों के अस्तित्व और समभाव (co-existence ) की बात करते हैं लेकिन आप एफएमसीजी क्षेत्र पर छाये हुए हैं, क्या यह सिद्धांत यहां पर लागू नहीं होता है ?
मैं हमेशा एकता, सहअस्तित्व और समभाव में विश्वास रखता हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि किसी भी भारतीय ब्रैंड को काम न करने दिया जाए। ‘कोलगेट’ ने सबसे पहले भारतीयों को दांतों के लिए कोयला और नमक का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था और बबूल के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए थे। तभी अचानक एक दिन इस ब्रैंड के विज्ञापन में सवाल पूछा जाता है, ‘क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है?’ उन्होंने ही सबसे पहले दांतों की सुरक्षा के हमारे वर्षों पुराने तरीकों की आलोचना की थी और इसे केमिकल से बदल दिया था। इसीलिए, आज मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि यदि आपके दांत सही स्थिति में नहीं हैं, तो यह आपके टूथपेस्ट के कारण है।
यह चार-पांच साल पहले की बात है जब मैं राजस्थान में था, तो मुझे वहां करीब 90 साल के एक वृद्ध व्यक्ति मिले, जिनके दांत इतनी उम्र में भी बहुत अच्छी स्थिति में थे। जब मैंने उनसे पूछा कि आप कौन सा टूथपेस्ट इस्तेमाल करते हैं तो वृद्ध ने बताया कि टूथपेस्ट का इस्तेमाल उन्होंने कभी नहीं किया। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि आप दांतों की साफ-सफाई पर ध्यान न दें लेकिन यदि आप ठीक से कुल्ला करें तो आपके दांत अच्छी स्थिति में रह सकते हैं। इसलिए हमारे देश का कोई भी टूथपेस्ट ब्रैंड सफलता की ऊंचाइयों को छूने में सफल नहीं रहा है। हालांकि डाबर ने इस दिशा में अच्छा प्रयास किया था लेकिन यह एक हद तक ही सफल रहा। इसके बाद हम आए और हमने अपने ब्रैंड को मजबूत बनाया। इसके बाद टूथपेस्ट का मतलब सिर्फ दंतकांति रह गया यानी लोग हमारे टूथपेस्ट को काफी पसंद कर रहे हैं। लोग तकनीक की बारे में बात करते हैं लेकिन साबुन, शैंपू और टूथपेस्ट को तैयार करने में कौन से तकनीक इस्तेमाल होती है? ये लोग सिर्फ आपको मूर्ख बनाते हैं। बाजार में तमाम तरह की फेयरनेस क्रीम आ रही हैं। ऐसे में यदि फेयरनेस क्रीम का कोई ब्रैंड मेरे सामने यह साबित कर देता है कि उस क्रीम की वजह से कोई काले से गोरा हो गया तो उसके बाद मैं पतंजलि का नाम लूंगा।
हमने मुहांसों को दूर करने के लिए एलोवेरा के इस्तेमाल के बारे में बताया। हमने इस पर एक प्रतिशत खर्च किया और हमें इस ब्रैंड से एक हजार करोड़ रुपये मिले। हमने जीआरपी और टीआरपी के सिद्धांत को बदलकर रख दिया है, जिसके बारे में लोग बहुत बात करते हैं। हमारा उद्देश्य था कि लोगों में देसी उत्पादों के प्रति भरोसा कायम हो और इनके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए, जिससे लोगों को फायदा हो और हमारा ब्रैंड मार्केट में स्थापित हो सके। मैं यह कर रहा हूं और इस दिशा में काम करता रहूंगा। जब कोलगेट और यूनिलीवर जैसे ब्रैंड पूरी दुनिया पर छा सकते हैं तो एक भारतीय ब्रैंड क्यों नहीं ऐसा कर सकता है? यदि वे लोग ऐसा करते हैं तो यह व्यावसायिकता कहलाता है लेकिन यदि यही हम करते हैं तब यह समभाव के लिए खतरा हो जाता है।
आप पिछले तीस वर्षों से काम कर रहे हैं। अधिकतर लोगों का मानना है कि जब से नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है, तब से राष्ट्रवाद की लहर सी चल पड़ी है। ऐसे में जब देश बदल रहा है तो आपकी कोई ऐसी ख्वाहिश है, जिसे आप ब्रैंड्स अथवा इंडस्ट्री के लोगों के साथ शेयर करना चाहते हैं ?
मैं सभी ब्रैंड्स से कहना चाहता हूं कि वे कुछ न कुछ नया करें क्योंकि यदि आप जब तक कुछ अलग नहीं करेंगे, आप आगे निकल नहीं पाएंगे। ‘आईटीसी’ की वित्तीय स्थिति हमसे लगभग दोगुनी है लेकिन हमें नहीं पछाड़ सकी और घाटे में चल रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने कुछ अलग नहीं किया। हम एफएमसीजी सेक्टर में आईटीसी से करीब चार गुना आगे हैं। इसलिए मेरा कहना है कि यदि आप कुछ नया करते हैं तो आपको उसका परिणाम भी प्राप्त होंगे। जैसे- यदि हम अपनी ही बात करें तो जब हमने आटे का काम शुरू किया था तब हमने लोगों को ‘एक्स्ट्रा फाइबर’ आटा दिया। 2017 के अंत तक हम 40 हजार टन रोजाना के आंकड़े पर पहुंचने वाले हैं। वर्ष 2018 के लिए हमने रोजाना का एक लाख टन का लक्ष्य रखा है, उम्मीद है कि हम इसे पूरा कर लेंगे। खाद्य तेल के क्षेत्र में अडानी और रुचि सोया काफी बड़े ब्रैंड थे। हमारे अलावा किसी दूसरी कंपनी में इतना साहस नहीं था कि वह अधिकतम खुदरा मूल्य पर तेल बेच सके। पहले हर कोई फैट से बचने के लिए रिफाइंड खाने की बात कह रहा था। अब सभी वैज्ञानिक नेचुरल तेल और घी का इस्तेमाल करने की बात कह रहे हैं। आज की तारीख में पतंजलि कच्ची घानी सरसों का तेल नंबर वन बना हुआ है और हमने इस इंडस्ट्री को बदलकर रख दिया है।
पहले कंपनियां बिस्किट बेच रही थीं लेकिन हमने बिना मैदा वाले बिस्किट बेचने की शुरुआत की। हमने अपने प्रत्येक प्रॉडक्ट में कुछ न कुछ खास किया है। हमने पावर वीटा (Power Vita) के द्वारा बॉर्नवीटा (Bournvita) को पीछे छोड़ दिया है। जल्द ही हम हॉर्लिक्स (Horlicks) को भी पछाड़ देंगे।
मेरा कहना है कि आपको अपने प्रॉडक्ट में कुछ नया व खास देना चाहिए। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ अलग तरह से नहीं करते तो क्या वे कभी प्रधानमंत्री बन सकते थे। इसलिए, आपको लगातार कुछ न कुछ नया करते रहना होगा। जब मैंने 50 हजार से ज्यादा लोगों को योग सिखाना शुरू किया तो कई योगी मेरी आलोचना करते थे। लोगों ने मेरे बारे में ये तक कहना शुरू कर दिया था कि ये बाबा लोगों को भ्रमित कर रहा है। मेरा मानना है कि खुद को ब्रैंड बनाने के लिए कुछ अलग हटकर करना होगा। दूसरी बात ये है कि अपना काम ईमानदारी और लगन से करते रहना चाहिए, तभी आप कुछ हासिल कर सकते हैं। आपको लोगों के बीच भरोसा जमाने में समय जरूर लगेगा लेकिन यदि एक बार भरोसा जम गया तो आप बहुत आगे निकल जाएंगे। यदि आप जीवन में किसी चीज को हासिल करने के लिए शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ न कुछ परेशानियां बनी रहेंगी और आपको परेशान करती रहेंगी।
इसके अलावा आपको भरोसेमंद लोगों को तलाशने में भी काफी समय लग जाता है, क्योंकि आजकल भरोसा आसानी से टूट जाता है। एक बार यदि आपको अपने साथ काम करने के लिए सही लोग मिल गए तो समझो कि 75 प्रतिशत काम तो वैसे ही पूरा हो गया। मैं रोजाना खुद सभी चीजों पर ध्यान देता हूं और रोजाना क्लोजिंग (हिसाब-किताब) पर ध्यान देता हूं। जो लोग हफ्ते अथवा महीने में ऐसा करते हैं, वे कभी सफल नहीं हो सकते हैं। इसलिए रोजाना अपना काम पूरा निपटाएं। इसके अलावा, ब्रैंड बनाने के लिए आपको कभी भी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करना चाहिए, फिर चाहे वह कीमत या कच्चे माल ही क्यों न हो।
इन दिनों वातावरण में प्रदूषण का मुद्दा जोर-शोर से छाया हुआ है। ऐसे में प्रदूषण के स्तर को घटाने अथवा हवा को शुद्ध करने के लिए पतंजलि क्या कर रही है ?
आने वाले दो-तीन वर्षों में पतंजलि कहीं बाहर से बिजली नहीं लेगी। अपने सभी प्लांट में हम सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे। हमारे पास जो बिजली बच जाएगी, उसे हम सरकार को बिक्री करेंगे। यह हमारा फर्ज है कि हम वातावरण को शुद्ध रखने की दिशा में काम करें। हमारी फैक्ट्रियों में जो कचरा निकलता है, हम उसका निस्तारण करते हैं। इसके अलावा हम हर साल कई पेड़ भी लगाते हैं।
इतना बड़ा देश और इतनी जनसंख्या होने के बावजूद हम ओलंपिक में वह प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं और मेडल से चूक जाते हैं, इसके पीछे क्या वजह हो सकती है ?
हम सुपरपॉवर जैसे शब्द इस्तेमाल करते हैं और देश के नंबर वन होने की उम्मीद रखते हैं। किसी भी नेशनल न्यूज चैनल का नाम बताएं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो? इस स्तर पर सिर्फ ‘बीबीसी’ (BBC) और ‘सीएनएन’ (CNN) हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि सिर्फ इस तरह से सुपरपॉवर नहीं बन जाएंगे।आपको इसके लिए सही दिशा में तमाम प्रयास करने होंगे। हम कुछ चीजों पर काम कर रहे हैं, जिसमें पांच से सात साल लगेंगे। हम खिलाडि़यों को शिक्षा और सुविधाएं देने की दिशा में काम कर रहे हैं और प्रतिभाशाली खिलाडि़यों के लिए हमने कई योजनाएं भी बनाई हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम दुनिया की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स एकेडमी बनाएं।
आप ‘फेसबुक’ के ऑफिस गए थे और 13 लाख से ज्यादा लोग आपको सुनने के लिए आए थे। आप अपने आप में एक ब्रैंड हैं तो आपको फिर मीडिया की जरूरत क्यों पड़ती है ?
धार्मिक चैनलों की बात करें तो हमारे पास पांच चैनल हैं। मैं खुद का न्यूज चैनल या अखबार शुरू कर सकता था लेकिन मैंने नहीं किया। हम सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, इसलिए मैंने सोचा कि सभी चीजें यदि मैं करना शुरू कर दूंगा तो मीडिया क्या करेगी? इसके बजाय हमने कई मीडिया प्रतिष्ठानों को दिवालिया घोषित होने से बचाने में मदद की है।
साभार-http://samachar4media.com/ से