इतिहास और संस्कृति के मोर्चे पर विस्तार और बदलाव की लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय सेवक संघ ने अब अपने अजेंडे में ‘खेत-खलिहान’ को भी सीधे तौर पर ले लिया है। महिला, शिक्षकों और किसानों के बीच आनुषांगिक संगठनों के साथ ही संघ अब सीधे पैठ बनाएगा। इसके लिए पहली बार किसानों और शिक्षकों का भी वर्ग अलग से आयोजित किया जा रहा है।
समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघ का कार्य अपने आनुषांगिक संगठनों के जरिए होता है। कोर संगठन सामान्य प्रशिक्षण वर्ग सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें समाज के सभी हिस्सों की सामूहिक भागीदारी होती है। इसी कड़ी में किसानों के बीच संघ का सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ काम करता है। पहली बार संघ किसानों के बीच खुद सीधे पहुंच रहा है। गोंडा में इस समय अवध प्रांत का सामान्य अभ्यास वर्ग चल रहा है।
वहां नानाजी देशमुख के कार्यक्षेत्र गोंडा के जयप्रभा ग्राम में पहली बार एक सप्ताह का कृषक वर्ग आयोजित किया गया है। 29 दिसंबर को शुरू हुआ यह वर्ग 6 जनवरी तक चलेगा। इसमें संघ, किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ लोकभारती और कृषि से जुड़े विशेषज्ञों को बुलाया गया है। प्रतिभागी के तौर पर केवल किसान ही शामिल हैं। वर्ग में सामान्य औपचारिकताओं के साथ उन्नत खेती पर अलग से सत्र रखे गए हैं।
सूत्रों की मानें तो संघ की यह कवायद किसानों का मूड भांपने के लिए भी है। गुजरात में गांव ने बीजेपी का ‘जायका’ बिगाड़ दिया था। आगे की सियासत में बीजेपी के ‘अजेय’ बने रहने के लिए भी किसानों का रुख और मन पढ़ना जरूरी है। यह पहल उसमें काम आएगी। संघ के एक पदाधिकारी का कहना है कि व्यापक समर्थन और सुधार के लिए संघ का विस्तार सभी क्षेत्रों में होना जरूरी है। आनुषांगिक संगठनों के जरिए बात तो पहुंचती है, लेकिन संघ का संबंधित समूह से सीधा परिचय नहीं हो पाता है। किसान इस समय देश की राजनीति के केंद्र में है। इसलिए उनके बीच सीधे पहुंच कर ही इस बारे में ‘नीति निर्धारण’ आसान हो सकेगा।
शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, शैक्षिक महासंघ सहित संघ के अन्य संगठन कार्य करते हैं। इसके माध्यम से ही संवाद व कार्यक्रमों की प्रक्रिया बढ़ती है। शिक्षा को ‘गौरवपूर्ण’ और ‘भारतीयता’ युक्त बनाने की कवायद के चलते यहां भी संघ स्वयं सीधे संवाद में उतरा है। सीतापुर में पहली बार अवध प्रांत की ओर से शिक्षक वर्ग आयोजित किया गया है। 7 जनवरी तक चलने वाले इस वर्ग में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक से जुड़े शिक्षक शामिल हो रहे हैं। संघ के पदाधिकारी अपने विषयों पर इनसे सीधे संवाद कर जनमानस तैयार करने पर केंद्रित कर रहे हैं।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से