बाइक से मुफ्त अस्पताल पहुंचाकर गांवों के हजारों गरीबों की जिंदगी बचाने वाले पश्चिम बंगाल के करीमुल हक को 2017 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। इस शख्सियत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतने प्रभावित हैं कि खुुद सेल्फी लिए। मौका राष्ट्रपति भवन पर “एट होम” रिसेप्शन का था।
बाइक एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाकर हजारों गरीबों की जान बचाने वाले करीमुल हक को देखते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक ठहर गए । प्रोटोकॉल से परे जाकर वे बैरिकेडिंग से बाहर आए और करीमुल से हालचाल पूछने लगे। इस बीच करीमुल हक ने मोबाइल बाहर तो निकाला मगर सेल्फी नहीं ले नहीं पा रहे थे। उनकी सेल्फी की ख्वाहिश का अंदाजा लगाकर मोदी ने पूछ लिया- क्या मैं सेल्फी ले सकता हूं ? फिर मोदी ने करीमुल हक के हाथ से मोबाइल लेकर उनके साथ खुद सेल्फी ली। करीमुल हक के मुताबिक- ‘‘ मैं प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेल्फी लेना चाहता था, मगर मोबाइल फ्रेंडली न होने के कारण ले नहीं पा रहा था, जिस पर मोदी ने खुद मोबाइल लेकर सेल्फी ली। ”
दरअसल राष्ट्रपति भवन पर इस साल “एट होम” रिसेप्शन कार्यक्रम आयोजित था। जिसमें पिछले साल के पद्म पुरस्कार विजेताओं सहित देश की तमाम हस्तियों को आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर 10 आसियान देशों की सरकार के प्रमुखों के साथ पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व उप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित सभी केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे।
मोदी ने करीमुल हक को काफी तवज्जो दिया। सिर्फ सेल्फी ही नहीं ली बल्कि उनकी बाइक एंबुलेंस सर्विस के बारे में भी पूछा। फिर मोदी ने करीमुल के गांव के पुल के बारे में ही जानकारी ली, कहा कि- उस पुल का क्या हाल है, जो बनना था। इस पर करीमुल हक ने प्रधानमंत्री से कहा कि अगर पुल बन जाएगा तो कई गांव एक दूसरे से जुड़ जाएंगे। एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम और आसान हो जाएगा। यह बात सुनकर मोदी ने जल्द पुल बनवाने का आश्वासन दिया। करीमुल हक के मुताबिक पिछले साल उनकी मोदी से पुल को लेकर बात हुई थी। खुशी इस बात की है कि मोदी को पुल की बात याद रही।
24 घंटे मुफ्त सर्विसः पश्चिम बंगाल के करीमुल हक जलपाईगुड़ी जिले के धालाबड़ी गांव के रहने वाले हैं। वे आसपास के गांवों के लिए 24 घंटे फ्री एंबुलेंस सर्विस चलाते हैं। रोजीरोटी के लिए चाय के बगान में काम करते हैं। खुद का जीवन संघर्षपूर्ण है फिर भी समाजसेवा की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी है। गांव के गरीब लोगों को बीमार होने पर मुफ्त में बाइक से अस्पताल पहुंचाते हैं। उनकी इस सेवा को देखते हुए एक बाइक कंपनी ने स्पेशल बाइक एंबुलेंस डिजाइन कर उन्हें भेंट की। खास बात है कि करीमुल हक की आर्थिक हालत काफी खराब है, मकान भी ठीक से नहीं बना है, मगर अपनी जिंदगी वे गरीब मरीजों की सेवा में लगा रहे हैं। इसी समाजसेवा की भावना के चलते उन्हें 2017 में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया।
कैसे आया एंबुलेंस चलाने का आइडियाः
बात 1995 की है। जब देर रात करीमुल हक की मां को दिल का दौरा पड़ा मगर संसाधन के अभाव में गांव से समय रहते अस्पताल नहीं पहुंच सकी तो मौत हो गई। इस घटना के बाद करीमुल ने तय किया अब वे आसपास के गांव के किसी गरीब को इस तरह मरने नहीं देंगे। फिर उन्होंने ठेले, रिक्शे आदि से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी। 2007 में चाय बगान में करीमुल का साथी वर्कर गिरकर घायल हो गया तो उन्होंने प्रबंधक की बाइक मांगकर उसे अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद करीमुल के दिमाग में बाइक एंबुलेंस सुविधा शुरू करने का ख्याल आया। पुरानी राजदूत बाइक खरीदकर तब से लगातार एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल भेजने का काम कर रहे हैं।
साभार- इंडियन एक्सप्रेस से