हरदा। कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन’ कम से कम रिजगांव की 80 वर्षीय धीसीबाई को कोई और बुजुर्ग की तरह ऐसे नगमे गाने की कोई जरूरत नहीं। आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना की हितग्राही सोनाली की दादी घीसीबाई को मानो अपने बीते दिन जीने को मिल गए हैं।
गाय दुहते हुए मजदूर को यह कहकर हटाना कि ‘साहब फोटो लेवो तो म्हारी लो दूध काढनूं तो मैं सिखाऊं सवा ने’ दादी के इस उल्लास को देख पूरा परिवार ठहाके लगाने लगता हैं। सरकार की आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना के तहत सोनाली ने पिछले साल आठ लाख 40 हजार रुपए का ऋण लिया था।
उसे एक लाख 50 हजार रूपए का अनुदान मिला। मार्जिन मनी बतौर दो लाख 10 हजार रुपए लगाए। उस वक्त 10 भैंसें खरीदी। मां नर्मदा डेरी के नाम से दूध और दूध उत्पादों को बेचने का धंधा चल निकला । आज की तारीख में सोनाली के पास 17 भैंसें और पांच गाएं हैं। प्रतिदिन दो सौ लीटर दूध की बंदी हरदा में लगी है।
वे बतालाती हैं कि मैने हिसाब लगाया है प्रतिदिन कुल चार हजार रुपए खर्च होता है और दस हजार रुपए की बिक्री। बारहवीं तक पढ़ी सोनाली कहती है कि मेरी दादी हमेशा कहती थीं कि हमारे जमाने में घर में जब भी मेहमान का आना होता था तब पूछते थे कि ‘मौखला धीणा धापो है’ मतलब खूब सारा घी दूध गाय भैंस पशु हैं, परिवार सुखी तो है ? उस समय से मन में था कि गाय भैसें पाली जाए और योजना के कारण ये आयडिया दूध दही घी के बिजनेस के रूप में अपग्रेड हो गया।
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