भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि देश के नागरिकों की चल और अचल संपत्ति को आधार से लिंक किया जाए. उन्होंने कहा कि इससे देश में भ्रष्टाचार, बेनामी सम्पत्ति और अवैध लेनदेन पर रोक लगाई जा सकेगी.
इस याचिका में ये भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि ‘आधार कार्ड’ आधारित वोटिंग व्यवस्था की जाए ताकि वोटिंग में युवाओं की भागीदारी बढ़े और फर्जी मतदान पर अंकुश लग सके. याचिका में ये भी कहा गया है कि वोटर आई कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जाए.
आपको बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक सवाल पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा था कि हम न तो सरकार का बचाव कर रहे हैं और न ही एनजीओ की लाइन पर चल रहे हैं. आधार की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले मामले की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि मैं राष्ट्रवादी जज कहलाऊं. याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि जिस तरह से आप दलील पेश कर रहे हैं, वो सही तरीका नहीं हो सकता.
इससे पहले हुई वही सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि समाज के हित में शुरुआत की गई सुविधाओं के बारे में सरकार की चिंता जायज है. सरकार का ये जानना कि वो सही लोगों तक पहुंच रही है या नहीं ज़रूरी है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर सरकार बिना किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को किसी से साझा किए बैगर आधार कार्ड से सरकारी योजनाओं पर नज़र रखती है तो इसमें क्या हर्ज है.
इसी मामले में ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था, “राष्ट्रहित और निजता के अधिकार के बीच बैलेंस होना जरूरी है. हम आतंकवाद और हवाला के वक्त में जी रहे हैं, इसलिए निजता पर बैलेंस बनाना जरूरी है. इसी तरह की सूचनाएं गूगल जैसे प्राइवेट ऑपरेटर भी हासिल करते हैं.” ये टिप्पणी उस वक्त की गई थी जब याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि आधार सिर्फ नागरिकों की इलेक्टॉनिक मैपिंग है और ऐसा दुनिया में कहीं नहीं होता. नागरिकों को बिना सरकार की नजर में आए रहने का अधिकार है.