जिस नाम से शहर की पहचान हो उसी नाम पर सरकारी विभाग ने कुर्की का नोटिस जारी कर दिया और वो भी तब, जबकि उस शख्सियत को दुनिया छोड़े 31 वर्ष बीत चुके हैं। यह शर्मनाक कारनामा अंजाम दिया है नगर निगम इलाहाबाद ने, जिसने साहित्य जगत की अमिट हस्ताक्षर महीयसी महादेवी वर्मा के नाम पर गृहकर का बकाया दिखाते हुए कुर्की का नोटिस जारी कर दिया।
वर्ष 1987 में दुनिया छोड़ चुकीं महादेवी वर्मा के नाम पर 48 हजार रुपये का गृहकर बकाया बताते हुए नगर निगम ने यह नोटिस जारी किया है। इतना ही नहीं नोटिस में महादेवी को नगर निगम में पेश होने को भी कहा गया है। इस नोटिस से शहर की साहित्य बिरादरी में खासी नाराजगी है।
साहित्यकार महादेवी वर्मा का आवास नेवादा अशोकनगर में था। 327/114 नेवादा इलाहाबाद के पते पर स्थित इस मकान को वर्ष 1987 में उनकी मौत हो जाने के बाद ट्रस्ट में परिवर्तित कर दिया गया लेकिन नगर निगम ने आंख बंदकर महादेवी वर्मा के नाम पर कुर्की का नोटिस जारी कर दिया। इस आवास पर अब तक 28,172 रुपये गृहकर बकाया दिखाते हुए इसमें 16,644 रुपये ब्याज जोड़ा गया है। साथ ही चालू वर्ष का 3234 रुपये और 25 रुपये शुल्क जोड़ा गया है।
नोटिस में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के लिए सरकार की ओर से मंजूर नियमों के अंतर्गत यह बकाया वसूले जाने योग्य है। यदि इस धनराशि के विरुद्ध कोई भुगतान किया गया तो साक्ष्य के साथ निगम में पेश होकर नोटिस में अंकित धनराशि संशोधित करा लें। यदि 15 दिन में भुगतान न किया गया या भुगतान न किए जाने का पर्याप्त कारण नहीं बताया गया तो व्यय सहित इस धनराशि की वसूली के लिए कुर्की वारंट जारी किया जाएगा।
इनका कहना है–
ट्रस्ट गठित होने संबंधी सूचना या किसी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। निगम में दर्ज रिकॉर्ड के आधार पर पांच हजार से अधिक बकाये वालों को नोटिस जारी किए गए हैं।
पीके मिश्र, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम
महादेवी वर्मा जैसी शख्सियत के नाम पर इस तरह नोटिस जारी किया जाना शर्मनाक है। यह दर्शाता है कि हमारी व्यवस्था कितनी बदतर हे। जो रहनुमा हैं उनकी छत्रछाया में यह हो रहा है। संस्कृति की बातें करने वालों के राज में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की रचनाकार रहीं महादेवी को नोटिस जारी किया जा रहा है। आम आदमी के लिए क्या होगा।
यश मालवीय, कवि
साभार- https://www.livehindustan.com से