कार बेचकर अगर उसका रजिस्ट्रेशन अगले मालिक के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया गया है तो दुर्घटना होने की स्थिति में हर्ज़ाना पहले मालिक को भरना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कार दुर्घटना से जुड़े एक मामले में यह व्यवस्था दी है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक़ मामला विजय कुमार नाम के एक शख़्स से जुड़ा है. उसने 12 जुलाई 2007 को अपनी कार एक व्यक्ति को बेची. उस व्यक्ति ने 18 सितंबर 2008 को वह कार किसी तीसरे को बेच दी. फिर तीसरे मालिक ने उसे नवीन कुमार नाम के व्यक्ति को बेच दिया. नवीन कुमार ने भी वह कार मीर सिंह को बेच दी. इसी बीच कार दुर्घटना का शिकार हो गई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दूसरा घायल हो गया.
दुर्घटना के बाद मामला मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल पहुंच गया. वहां पता चला कि कार मीर सिंह के बजाय कोई और ही चला रहा था जिसके हाथों 27 मई 2009 को दुर्घटना हुई. ट्रिब्यूनल ने मामले की सुनवाई करते हुए दुर्घटना के पीड़ितों के लिए 3.85 लाख रुपए का हर्ज़ाना अदा करने का आदेश दे दिया. चूंकि कार अभी पहले मालिक विजय कुमार के नाम पर ही पंजीकृत थी इसलिए हर्ज़ाना चुकाने का आदेश भी उन्हीं के नाम पर जारी हुआ.
इस आदेश के ख़िलाफ़ विजय ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में माना कि कार बेचे जाने के सबूत प्रमाणिक हैं. इसलिए विजय को हर्ज़ाना अदा करने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ बाद के कार मालिकों में से किसी ने वकील ऋषि मल्होत्रा के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी. इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के तीन जजों की बेंच ने माना कि कार विजय के नाम पंजीकृत है. इसलिए मोटर यान अधिनियम- 1988 की धारा-2 (30) के तहत दुर्घटना होने पर हर्ज़ाना चुकाने के उत्तरदायी भी वे ही होंगे.