कुछेक दिनों से सारे मीडिया में ख़ास तौर पर 'टाइम्स चैनल' पर चल रही चौबीस घंटे की लगातार और बेवजह की चख-चख से साफ़ हो गया है कि विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है जिसे वह हर हाल में भुनाना चाह रह है।हर पार्टी ने अपने समय में ऐसा ही किया है और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा.हर एक की नजर अर्जुन की आँख की तरह उस जगह पर टिकी हुयी है जिसे वह पाना चाहता है या जहाँ से वह पद-च्युत हुआ है. जहाँ तक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा ललित मोदी को ‘मानवीयता’ के आधार पर वीजा दिलवाने का प्रश्न है,लगता नहीं है कि अपने मंत्रालय के अधिकारियों,कानून के जानकारों या फिर अपने वरिष्ठों से राय लिए विना उसने ऐसा-वैसा कोई कदम उठाया होगा.कुशल प्रशासन का लम्बा अनुभव है उनके पास.
यों इस प्रकरण में जहाँ विपक्ष एकजुट होकर उनको कटघरे में खड़ा कर उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा है,वहीं विपक्षी दलों से अलग रुख अख्तियार करते हुए समाजवादी पार्टी सुषमा स्वराज के बचाव में खड़ी होगयी है.पार्टी के महासचिव द्वारा हाल ही में दिया गया बयान इस बात का प्रमाण है. महासचिव ने साफ तौर पर कहा है कि 'सुषमा स्वराज ने कुछ गलत नहीं किया है. कुछ लोग मामले को जबरदस्ती तूल देकर तिल का ताड़ बना रहे हैं. मानवीय आधार पर किसी की मदद करने में क्या बुराई है?' कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा , 'कुछ लोगों को इस्तीफा मांगने की आदत हो गयी है. सुषमा ने कोई अपराध नहीं किया है क्योंकि सत्ता में बैठे लोगों को जरूरत के समय लोगों की मदद करनी पडती है. क्या गलत है अगर किसी व्यक्ति की विदेश में कैंसर-पीड़ित अपनी पत्नी के उपचार के लिए वीजा पाने में मदद की जाती है?मेरी जानकारी के मुताबिक उन्होंने तय नियमों के मुताबिक ब्रिटिश प्रशासन को ललित मोदी की मदद करने को कहा है.’
यहाँ पर यह कहना भी ज़रूरी है कि अर्नब गोस्वामी का टाइम्स चैनल और उनके पसंदीदा प्रवक्ता भले ही चीख-चीखकर, अगले को बोलने का मौका न देते हुए, ’सुषमाबेल्सललित’ का चौबीस घंटे ढिंढोरा पीटते रहें,मगर हकीकत यह है कि समाजवादी पार्टी के उक्त एक बयान ने अर्नब की चिल्लोपों की हवा निकाल दी.निष्पक्षता का दम भरने वाले अर्नब ने अपनी अविराम और दबंगई भाषणबाजी में समाजवादी पार्टी के महासचिव के बचाव में खड़े उक्त बयान का उल्लेख एक बार भी नहीं किया.क्यों?शायद उन्हें मालूम था कि ऐसा करने से उनके खुद के तेवर कमजोर पड़ जायेंगे.
वैसे, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जैसे ही भविष्य में कोई नया गुल खिलेगा तो ये सब बातें जनता भूल जायेगी वैसे ही जैसे पिछली सरकार की भूल गयी क्योँकि जनता बखूबी जानती है कि यह सब ऊपर वालों यानी पक्ष-विपक्ष की आपसी लड़ाई का मामला है।सत्ता में रहने-आने की लड़ाई का मामला!
डॉ.शिबन कृष्ण रैणा
Senior Fellow(Hindi),Ministry of Culture
(Govt.of India)
2/537(HIG)Aravali Vihar,
Alwar(Rajasthan)
301001
Contact:09810265348 and 01442360124
skraina123@gmail.com