उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी के योग में न आने पर बीजेपी के महासचिव श्री राम माधव के ट्वीट पर टीवी न्यूज़ चैनेल वाले कुछ अधिक भडांस निकाल रहे है। टीवी पर इस मुददे पर हुई विवादकारी बहस में उन्हें विपक्ष विशेषतौर पर कांग्रेसी नेताओ का भी योगदान मिला । परंतु किसी ने भी कांग्रेसी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष (सोनिया परिवार ) के इस अद्वितीय अवसर पर देश से ही बाहर चले जाने कि तुच्छ मानसिकता पर कोई प्रश्न नहीं किया ?
क्यों क्या कांग्रेस जिसने स्वतंत्रता के बाद से लगभग 57 वर्ष देश में शासन किया, उसका इस राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पर्व पर कोई नैतिक दायित्व नहीं था ? सोनिया के अतिरिक्त अन्य कॉंग्रेसी नेताओ ने भी अपने को इस महा आयोजन से दूर रख कर क्या देश की जनता को कोई स्वस्थ सन्देश दिया ? इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सांस्कृतिक व राष्ट्रीय धरोहरो पर क्या केवल बीजेपी का ही अधिकार है और देश में आक्रांताओ की संस्कृति को थौपने का ही अधिकार कांग्रेस का था ?
फिर भी बीजेपी के महासचिव राम माधव व आयुष मंत्री नाईक ने अनजाने में हुई भूलवश इस त्रुटि पर क्षमा मांग कर स्थिति को सामान्य किया है ।
अत्यंत सोचनीय विषय यह है कि योग दिवस की अदभुत व अविस्मरणीय उपलब्धि को स्वीकार न करके एक छोटी सी भूल को उछालना केवल हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही संभव क्यों होता है ?
किसी ने यह चिंतन क्यों नहीं किया कि आज जब वैश्विक जिहाद के बढ़ते प्रभाव को अगर कोई चुनौती दे सकता है तो वह "योग" की शिक्षा भी है । 21 जून को 192 देशो के लगभग 30 करोड़ लोगो के द्वारा योग दिवस में सम्मलित होने से यह प्रमाणित भी हो रहा है कि विश्व को एकजुट करने में योग कितना सार्थक है ।इसके प्रचलन से शायद हो सकता है कि विश्व में बढ़ते इस्लामी जिहाद पर अंकुश लग सके और मानवता की रक्षा होने से विश्व में शांति की स्थापना हो सके।
मेरा यहाँ यह मानना है कि इस योग उत्सव को विवादकारी न बना कर उससे होने वाले विश्वव्यापी लाभों का आंकलन किया जाना चाहिए।आज सम्पूर्ण विश्व सभ्यताओ व संस्कृतियों के टकराव के जिहदी जनून के कारण घोर अन्धकार की ओर बढ़ रहा है ।विश्व के प्रमुख नीति नियंताओ ने भी इस संकट को माना है ।ऐसे अवसर पर योग की शिक्षाओं का लाभ मानवता की रक्षा व शान्ति के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली व अहिंसक मार्ग है ।
सधन्यवाद
भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज,गाज़ियाबाद