नागपुर। भारतीय प्रबंध संस्थान आयोजित संस्था के दूसरे दीक्षांत समारोह में राज्यसभा सांसद एवँ ज़ी व एस्सेल समूह के अध्यक्ष श्री सुभाष चन्द्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा, “हमने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा और समझा है और आगे भी हम सीखते ही रहेंगे, लेकिन जब भी लोग मुझसे सफलता और प्रसन्न जीवन को लेकर कोई सवाल करते हैं तो मेरा मानना है कि ये सब अंततः इस बात पर निर्भर करता है कि आपके जीवन जीने का कला क्या है।“
प्रतिभा के बारे में बात करना और इसे सम्मान देने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “प्रतिभाएँ तीन तरह की होती हैं। हममें से हर एक के पास इन तीनों में से कोई न कोई प्रतिभा तो होती ही है। ये तीन प्रतिभाएँ हैं; सोचने की प्रतिभा, छुपी हुई प्रतिभा और प्रतिभा को पहचानना। एक बार आप ये जान लें कि प्रतिभा महत्वपूर्ण होती है। अगर आप कोई ऐसा काम करें जिससे आपकी प्रतिभा में निखार आता है तो आप इस काम को और आनंद और उत्साह से करेंगे। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपनी उस प्रतिभा को पहचानें, क्योंकि वह तो उनके साथ हमेशा से ही है, ज़रुरत इस बात की है कि वे उसे सबके सामने लाएँ। ये प्रतिभा किसीके सिखाने से नहीं आती है।“
उन्होंने कहा कि “निर्णय लेने की मेरी क्षमता की वजह से मैं जीवन में हर कठिनाई का सामना कर पाया। किसी भी तरह की अधबीच की स्थिति में सबसे बड़ा गुरूमंत्र यही है कि आप निर्णय लें और वर्तमान में जिएं, क्योंकि जब आप अतीत में जीने लगते हैं तो आपके मन में कई बातों को लेकर पछतावा होता है, और जब आप भविष्य की सोचते हैं तो आप उत्तेजना से भर जाते हैं। लेकिन यदि आप वर्तमान में जीते हैं और अपना ध्यान किसी एक जगह पर केंद्रित करके काम करते हैं तो आपका काम और परिणाम हमेशा सही सिध्द होगा।“
उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपनी योग्यता पर पूरा भरोसा और दृढ़ संकल्प रखें। “जिस क्षण आप अपने ऊपर ही संदेह करने लगेंगे तो आप उसमें फँस जाएंगे और सफलता आपसे दूर भाग जाएगी। आपका विश्वास और दृढ़ संकल्प ही आपका सच्चा मार्गदर्शक होता है, सके माध्यम से ही आप सफलता हासिल कर सकते हैं।“
उन्होंने कहा, “जब आप सफलता हासिल कर लेते हैं, तो पूरी दुनिया आपकी प्रशंसा करने लगती है। लेकिन क्या सफलता का मतलब धन कमाना और धनवान होना ही है? कई बार आपके मन में ये सवाल पैदा होगा कि सफलता तो ठीक है लेकिन क्या मैं इस स्थिति में प्रसन्न हूँ? जब आपके मन में ये विचार आते हैं, तो आप अपने अंदर झाँककर देखें। इऩ सभी सवालों का जवाब आपके पास ही मिलेगा।
आप जब सफल होते हैं तो आपको सम्मान और वाहवाही मिलती है, “लेकिन असफलता मिलने पर आप दूसरों को दोषी ठहराने लगते हैं और कहते हैं, मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? लेकिन जब आप गहराई से अपने अंदर झाँकते हैं और स्थितियों को समझने की कोशिश करते हैं तो आपको पता चलता है कि आपने कहाँ क्या गलत किया और आपने ऐसा कौनसा काम किया जिसे आप किसी दूसरे ढंग से भी कर सकते थे।“
छात्रों के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि आप उस मुकाम पर पहुँच चुके हैं जहाँ आप यह महसूस करने लगे होंगे कि आपने जीवन में बहुत कुछ किया है, आप अपने आप से पूछिये कि आपको अभी और भी बहुत कुछ करना है या कुछ और करना है। आपने ऐसे ही बहुत कुछ कर लिया है। मेरी सलाह है कि आप कहीं भी रुके नहीं, इसे दूसरों तक आगे बढ़ाते रहें।“
अपना खुद का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा, मैं आज 67 साल का हूँ और एक बार मैने सोचा कि मुझे आराम करना चाहिए और मात्र 6 महीने में ही मुझे लगा कि मैं घर में रहकर बीमार पड़ जाउंगा। अपनी बात समाप्त करते हुए उन्होंने कहा, “मैने अपने जीवन की कमाई की एक बड़ा हिस्सा सुभाष चन्द्रा फाउंडेशन के नाम कर दिया है। इसका ध्येय है प्रतिभा है प्रगति का सच। हम सबमें प्रतिभा होती है, हम सबको इसे पहचानना होगा, तभी हम सफलता हासिल कर सकेंगे। मानवीय संभावनाओं को सामने लाकर ही हम प्रगति की सही दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।“
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के माता-पिता और शिक्षक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। श्री सुभाष चन्द्रा ने छात्रा-छात्राओं को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी।