Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeखबरेंघर के बाहर जूते उतारने से मोटापा नहीं आता

घर के बाहर जूते उतारने से मोटापा नहीं आता

हमारी भारतीय परंपरा में घर के अंदर जूते ले जाना असभ्यता और अशालीनता का द्योतक होता है। हमारे पूर्वजों ने बहुत ही सोच समझकर ऐसी परंपराएँ और संस्कार विकसित किए जो हमारे जीवन और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। अब पुर्तगाल में हुए एक शोध में भी ये बात सामने आई है कि घर के बाहर जूते उतारने से व्यक्ति मोटापे का शिकार नहीं होता। घर में प्रवेश से पहले जूते उतारने से व्यक्ति के चुस्त-दुरुस्त रहने में मदद मिल सकती है क्योंकि यह हार्मोन में बदलाव लाने वाले रसायनों को घर के भीतर एकत्रित होने से रोकता है. हाल में जारी एक अध्ययन के निष्कर्ष में यह सुझाया गया है. दुनिया भर के करोड़ों लोगों में मोटापे का खतरा बढ़ा है. कम उम्र के बच्चे भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं. हमारे शरीर में वसा एकत्रित करने वाले और उनके प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार रसायनों को ‘ओबसोजिन्स’ कहा जाता है. इन रसायनों को ही मोटापे के बढ़ते मामलों के लिए संभावित तौर पर जिम्मेदार बताया जाता है.

पुर्तगाल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एवियरो एवं यूनिवर्सिटी ऑफ बेयारा इंटीरियर के अनुसंधानकर्ताओं ने पहले से किये गए अध्ययनों की समीक्षा की और बताया कि भोजन, घरों की धूल और साफ-सफाई, रसोई या साज-सज्जा में प्रयुक्त रसायनों जैसे दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं के जरिये ये ओबसोजिन्स घर में पहुंचते हैं. लिस्बन विश्वविद्यालय की अना कैटरीना सोसा ने कहा , ‘‘ओबसोजिन्स किसी भी जगह मिल सकता है। हमारा खाना इसका सबसे बड़ा स्रोत है क्योंकि कुछ कीटाणुनाशक और कृत्रिम मीठे पदार्थ ओबजिन्स हैं.’’

सोसा ने कहा , ‘‘इसी प्रकार वे प्लास्टिक और घरेलू सामानों में विद्यमान होते हैं. इसलिए पूरी तरह उसके संपर्क से बाहर होना बहुत मुश्किल है लेकिन उल्लेखनीय रूप से उसमें कमी लाना ना सिर्फ मुमकिन है बल्कि बहुत आसान भी है. ’’ इस अध्ययन के आधार पर अनुसंधानकर्ताओं ने घर में प्रवेश करते समय जूते खोलने का सुझाव दिया ताकि ऐसे दूषित पदार्थ जूते के सोल के जरिये घर में ना पहुंच सकें. उन्होंने समय-समय पर सफाई करने और घर या कार्यस्थल पर कम-से-कम कारपेट बिछाने के लिए भी कहा है. अनुसंधानकर्ताओं ने लोगों को ताजा खाना खाने और ऑर्गेनिक फलों को तरजीह देने का परामर्श दिया.

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार