तीन दिवसीय 9वां स.म.प. संगीत सम्मेलन सम्पन्न! श्रोता हुए भाव-विभोर!
नई दिल्ली।सोपोरी अकादमी ऑफ म्यूजि़क एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित 3 दिवसीय स.म.प. संगीत सम्मेलन रविवार की रात सम्पन्न हुआ। कमानी सभागार में आयोजित किये गये इस सम्मेलन में देश के लीजेण्ड्री कलाकारों सहित प्रतिष्ठित एवम् युवा कलाकारों ने अपने शानदार प्रस्तुतिकरण से दिल्ली के वीकेण्ड को खुशनुमा बनाया। संगीत कार्यक्रम के अतिरिक्त स.म.प. पुरस्कार भी प्रदान किये गये।
स.म.प. संगीत सम्मेलन शुक्रवार को रघुवीर सिंह जू. माॅडल स्कूल व सलवाल स्कूल, गुड़गांव द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। जिसके बाद नृत्य व संगीत क्षेत्र में आजीवन योगदान हेतु पंडित बिरजू महाराज एवम् पंडित अनूप जलोटा को वर्ष 2013 के स.म.प. वितस्ता अवार्ड से सम्मानित किया गया।
संगीतमय संध्या की शुरूआत सूफी गायिका रागिणी रेणु के सूफी गायन से हुई। रागिणी ने बाबा बुल्ले शाह के कलाम ‘घंूघट चक हुन सजना..’ से शुरूआत करते हुए हज़रत आमिर खुसरो का कलाम ‘जिहाले मिस्की..’ प्रस्तुत किया और बाबा बुल्ले शाह के कलाम ‘रांझणा..’ से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। रागिणी के बाद संतूर वादन व संगीतकार अभय रूस्तुम सोपोरी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में संतूर वादन प्रस्तुत किया। अभय ने राग चम्पाकली में आलाप – जोड़, विलम्बित झपताल में गत, मध्यलय एकताल में सूफीयाना तराना, दु्रत लय में एक बंदिश और अतिदु्रत तीन ताल में एक गत प्रस्तुत करते हुए सभी को मंत्र-मुग्ध किया। अभय के उपरान्त लीजेण्ड्री भजन गायक पंडित अनूप जलोटा जी ने मंच संभाला और ‘ऐसी लागी लगन…’, ‘राम नाम की धुन है…’, ‘रंग दे चुनरिया श्याम पिया…’ और ‘जग में सुन्दर हैं दो नाम..’ आदि सहित विभिन्न भजन से शास्त्रीय संगीत की इस संध्या के पहले दिन को विराम दिया। एक तरफ जहां जलोटा जी भजन प्रस्तुत कर रहे थे वहीं श्रोता इनमे लीन व मग्न दिखाई दिये, तालियों की गड़गड़ाहट से श्रोताओं ने पंडित जी का अभिवादन किया।
दूसरी संध्या की शुरूआत स.म.प. सम्मान से हुई जहां जम्मू-कशमीर के वयोवृद्ध कलाकार श्री अब्दुल गनी राथर ‘त्राली’ को ‘स.म.प. शेर-ए-कश्मीर शेख मौहम्मद अब्दुल्ला अवार्ड’, श्री अरूण चटर्जी को ‘स.म.प. आचार्य अभिनवगुप्त सम्मान’ और युवा हिन्दुस्तानी सूफी गायिका रागिणी रेणु एवम् मोहनवीणा वादक श्री सलिल भट्ट को ‘स.म.प. युवा रत्न सम्मान’ प्रदान किये गये। इसके बाद सलिल भट्ट की सात्विक वीणा ने उपस्थित श्रोताओं का मन-मोहा। उन्होंने राग जोगेश्वरी प्रस्तुत किया। दूसरा प्रस्तुतिकरण गुंदेचा बंधुओ के धु्रपद गायन था जिन्होंने राग बिहाग का खूबसूरत प्रस्तुतिकरण दिया। दूसरे दिन का आकर्षण पंडित रोनू मजूमदार की बांसुरी और उस्ताद रफीक खान के सितार की जुगलबन्दी रही, जहां तबले पर उस्ताद अकरम खान ने उन्हें संगत दी। रोनू दा ने राग बागेश्री प्रस्तुत किया।
तृतीय एवम् अन्तिम संध्या का गुंजायेमान पंडित विजय शंकर मिश्रा ने के संचालन में स्वर-लय-सम्वाद से हुआ जहां युवा कलाकारों अभिषेक मिश्रा, सचिन शर्मा व जुहैब खान (सभी तबला) और ऋषि शंकर उपाध्याय (पखावज) ने वरिष्ठ कलाकारों घनश्याम सिसोदिया (सारंगी) व दामोदर लाल घोष (हारमोनियम) के साथ दो दर्जन से अधिक दुर्लभ परन प्रस्तुत की। इसके बाद विदूषी कला रामनाथ के वाॅयलिन का जादू भी श्रोताओं द्वारा सराहा गया। उन्होंने राग शुद्ध कल्याण में विलम्बित में बंदिश ‘बोलन लागी..’, तीन ताल में मध्य लय, दुु्रत लय एक ताल में बंदिश और एक तराना प्रस्तुत किया।
समारोह का अंतिम दिन और बीतता समय श्रोताओं व दर्शकों की उत्सुकता बढ़ाये जा रहा था क्योंकि उन्हें इंतजार था स्वयं श्याम को मंच पर देखने का। दर्शकों के इंतजार और उत्सुकता को लीजेण्ड्री कत्थक सम्राट पंडित बिरजू महाराज ने बखूबी चरम पर पहुंचाया और मंच पर जो रूपान्तरण उन्होंने उजागर किया वह देखते ही बनता था। पंडित जी ने अपने भाव-विभोर नृत्य से मंच पर प्रभु श्री श्याम को मंच पर जीवंत करते हुए भरपूर वाह-वाही लूटी। साथी कलाकारों ओनिर्बन भट्टाचार्य (गायन), राजेश प्रसन्ना (सरोद), गुलाम वारिस (सारंगी), अकरम खान (तबला) और दीपक महा (पढंत) के साथ उनका तालमेल जबरदस्त था। कभी तबले की थाप नायक तो पंडित जी के घुंघरू नायिका का किरदार निभा रहे थे। नृत्य के माध्यम से राधा जी के प्रति श्याम का असीम प्रेम बखूबी देखने को मिला कि किस तरह से वे कभी उन्हें रोकते हैं तो कभी पकड़ लेते हैं तो कभी सताते हैं तो कभी उनका पीछा करते हैं। सभागार में मौजूद श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ पंडित जी का अभिवादन किया।
मौके पर मेहमानों व कलाकारों ने पंडित भजन सोपोरी एवम् स.म.प. द्वारा संगीत क्षेत्र में किये जा रहे उनके प्रयासों की भूरि-भूरि प्रसंशा की। पं. बिरजू महाराज ने संगीत विरासत को संजोय रखने के उनके प्रयास को सराहा। उन्होंने कहा कि एक कलाकार वह व्यक्तित्व है जो कला को संजोने में अपना पूरी जीवन समर्पित कर देता है और दर्शक दीर्घा में विभिन्न उम्र के दर्शकों को देखकर मुझे बेहद खुशी है कि आपने काफी समय तक रूककर संगीत का लुत्फ उठाया। मैं उम्मीद करना हूं कि युवा पीढ़ी के कलाकार भी उसी तरह से आने वाली पीढि़यों के लिए इस कला को संजोयेंगे जिस तरह से हमने अपने पूर्वजों की विरासत को संजोया है।
पंडित अनूप जलोटा ने इस मंच पर मौका देने हेतु स.म.प. का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत के इस मंच पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करना गौरवपूर्ण है और मैं बहुत गौरवशाली महसूस कर रहा हूं।
सलिल भट्ट ने पंडित भजन सोपोरी, अभय सोपोरी व स.म.प. के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जहां आज के समय में लोग सिर्फ अपने लिये सोचते हैं, अपना भविष्य उज्जवल करने हेतु प्रयासरत हैं वहीं पंडित भजन सोपोरी की सोच जन-जन तक संगीत पहुंचाने की रही है जो कि बेहद मुश्किल है और स.म.प. संगीत सम्मेलन जैसे श्रेष्ठ कार्यक्रम में इतने प्यारे श्रोताओं के समक्ष संगीत प्रस्तुत करना शानदार अनुभव है।
पंडित भजन सोपोरी ने गीत-संगीत को बढ़ावा देने हेतु युवाओं के आगे आकर निरंतर प्रयास करने की बात पर जोर देते हुए कहा कि युवा ही भविष्य के लीजेण्ड हैं, हमने परम्परा और विरासत को संजोये रखने का प्रयास करते हुए इस समारोह के माध्यम से मंच प्रदान किया है जिससे कि वे अपने कला-कौशल को निखारते हुए आगे बढ़ें और दूर-दूर तक इसे जींवत रखें।
तीन दिवसीय संगीत समारोह का संचालन श्रीमति साधना श्रीवास्तव ने किया। तीनों ही दिन विभिन्न अतिथिगण कार्यक्रमों का लुत्फ उठाने कमानी सभागार पहुंचे जिनमें पंडित भजन सोपोरी, प्रो. अपर्णा सोपोरी, श्रीमति शमीम आज़ाद, त्रिनिदाद एंड टोबागो के राजदूत माननीय श्री चन्द्रदत्त सिंह, राज्यसभा सांसद गुलाम नबी रत्नपुरी, टाटा के रेजीडेंट डायरेक्टर भरत वख्लू, वीपी संजय सेठी, डी.डी.जी – दूरदर्शन डा. रफीक मसूदी, श्री शिव नारायण सिंह अनिवेद, पंडित विजय शंकर मिश्रा, रितेश मिश्रा, अविनाश पसरीचा आदि प्रमुख थे।
संगीत सम्मेलन के दौरान कमानी सभागार के प्रांगण में फोटोग्राफी इन्नी सिंह की फोटो प्रदर्शनी एवम् दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के कलाकारों की कला-प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी थी।
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