सरकार खादी को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख ‘भारतीय ब्रैंड’ के रूप में स्थापित करने की योजना बना रही है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ही इस ब्रैंड का प्रचार कर सकेगा और खादी ब्रैंड पर उसका ही दावा होगा। खादी ग्रामोद्योग आयोग खादी को दुनियाभर में भारतीय मिशनों में और प्रदर्शिनियों में पेश करेगा और इसका प्रचार करेगा। इससे उन विदेशी कंपनियों को दिक्कतें हो सकती हैं जो खादी को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराने की कोशिश में लगी हैं। केंद्रीय उद्योग एवँ वाणिज्य मंत्री इस मामले में विशेष रुचि ले रहे हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में विभिन्न मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों के साथ पिछले सप्ताह एक बैठक हुई। इसमें खादी को एक विशिष्ट भारतीय ब्रैंड के तौर पर बढ़ावा दिए जाने के लिए रणनीति तैयार करने पर विचार किया गया। इसमें खादी उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया गया।
जर्मनी की एक कंपनी खादी नेचरप्रॉडक्ट जीबीआर ने यूरोपीय संघ की एजेंसी ऑफिस फोर हार्मनाइजेशन इन दि इंटरनल मार्केट के पास खादी को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराया है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) सचिव अरुण कुमार पांडा ने कहा, ‘हमें समुचित ब्रैंडिंग की जरूरत है। हम इस बारे में वाणिज्य मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं। आप एक बार खादी को एक ऐसे भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करना शुरू करेंगे जिसके ऊपर सिर्फ केवीआईसी अपना होने का दावा कर सके तो अन्य लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे।’
पांडा ने कहा, ‘वाणिज्य मंत्रालय के पास ब्रैंडिंग से संबंधित संस्थागत प्रणाली भी है और उन्होंने कहा है कि वह खादी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने में भी मदद करने वाले हैं।’ उन्होंने सरकार की मुहिमों के दम पर मार्च 2019 में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के दौरान खादी उत्पादों की बिक्री में भारी उछाल की संभावना भी व्यक्त की।