केन्द्र सरकार'स्मार्ट सिटी','मेक इन इंडिया' जैसी फ्लैगशिप योजनाओ के बाद अब आम आदमी के 'डिजिटल सशक्तिकरण' के जरिये देश भर में 'सुशासन अभियान' को तीव्र गति देने के लिये महत्वकांक्षी 'डिजिटल इंडिया सप्ताह' की शुरूआत करने जा रही है' , जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस योजना से देश की तस्वीर बदल सकती है, आम आदमी की जिंदगी बेहतर और आसान हो सकती है. इस योजना को 'डिजिटल रूप से सशक्त भारत' की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. एक जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम मे 'जन साधारण' के साथ साथ 'बड़े उद्योगपतियों' की मौजूदगी मे देश के 'डिजिटल इंडिया सप्ताह' योजना को लॉन्च करेंगे.
डिजिटल इंडिया सप्ताह के तहत 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक हफ्ते लंबा कार्यक्रम चलेगा। इसमें शामिल होने के लिए सरकार ने सभी बड़े उद्योगपतियों को न्यौता दिया है। ये उद्योगपति डिजिटल इंडिया पर अपनी निवेश योजनाओं की जानकारी देंगे। 'डिजिटल इंडिया वीक' में आम लोगों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन सेवाओं को लॉन्च किया जाएगा। इस दौरान ई-शिक्षा, ई-लॉकर, ई-हॉस्पिटल, ई-स्वास्थ्य आदि का लॉन्च होगा।
केन्द्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार डिजिटल इंडिया योजना इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि इसके क्रियान्वन से देश की तस्वीर बदल सकती है यानि यह योजना 'गेम चेंजर' होगी. इस के तहत पोस्ट ऑफिसों को कॉमन डिजिटल सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जायेगा और छोटे शहरों में भी बीपीओ खोले जाएंगे। मोदी सरकार चाहती है कि देश के हर नागरिक के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बने। शासन, सेवाओं को आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है। भारतीयों के डिजिटल सशक्तीकरण के प्रयासों स्वरूप इस योजना का लक्ष्य इस क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इससे जोड़ना है। इसका एक लक्ष्य कागजी कार्रवाई को कम-से-कम करके सभी सरकारी सेवाओं को आम जनता तक डिजिटली यानी इलेक्ट्रॉनिकली रूप् से सीधे व सुगम तरीके से पहुचाना है। डिजिटल विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत सरकार चाहती है कि तमाम सरकारी विभाग और देश की जनता एक-दूसरे से डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ जाएं ताकि वे सभी तरह की सरकारी सेवाओं से लाभ उठा सकें और देश भर में सुशासन सुनिश्चित किया जा सके। चाहे किसी गांव में रहने वाला व्यक्ति हो शहर में रहने वाला, दोनों को ही सभी सरकारी सेवाएं समान रूप से डिजिटली अथवा ऑनलाइन हासिल हों, यही डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य है। इस अहम सरकारी योजना को अमली जामा पहनाने के बाद आम जनता के लिए यह संभव हो जाएगा कि किस सरकारी सेवा को पाने के लिए उसे किस तरह एवं कहां ऑनलाइन आवेदन करना है और उससे किस तरह लाभान्वित हुआ जा सकता है। जानकारों के अनुसार दरअसल, किसी भी सरकारी सेवा के डिजिटली उपलब्ध होने पर आम आदमी के लिये उससे लाभान्वित हो्ने के लिये सीधा रास्ता खुल जायेगा। जाहिर है, ऐसे में सरकारी सेवाओं के मामले में होने वाली लेट लतीफी और भ्रष्टाचार पर कारगर ढंग से लगाम लग सकेगी।
श्री प्रसाद के अनुसार 'इस सप्ताह के दौरान कई प्रतिष्ठित व्यक्ति इस क्षेत्र में अपनी निवेश योजनाओं के साथ शिरकत करेंगे। इससे अरबों रुपये के निवेश की उम्मीद है। इस निवेश से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा।'डिजिटल इंडिया वीक में बड़े उद्योगपति शामिल होंगे। इनमें स्टरलाइट टेक्नोलॉजी के अनिल अग्रवाल, विप्रो चेयरमैन के अजीम प्रेमजी, लावा इंटरनेशनल के एमडी हरि ओम राय, हीरो ग्रुप ऑफ कंपनीज के पवन मुंजाल, सुनील मित्तल, कुमार मंगलम बिड़ला, अनिल अंबानी, सायरस मिस्त्री, एयरबस समूह के पीटर गट्समेडल और निडेक कॉरपोरेशन के मिकियो कातायामा भी शामिल होने की उम्मीद है। खासतौर पर सरकार ने सभी बड़े उद्योगपतियों को डिजिटल इंडिया में शामिल होने का न्यौता दिया है।
केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया अभियान का शुभारंभ पिछले वर्ष 21 अगस्त को किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य भारत को डिजिटली रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना है। केंद्र सरकार की योजना यह है कि इस कार्यक्रम को अगले पांच सालों में पूरा कर लिया जाए। यह उम्मीद की जा रही है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम वर्ष 2019 तक गांवों समेत देश भर में पूरी तरह से लागू हो जाएगा। दरअसल, इस कार्यक्रम के तहत सभी गांवों और ग्रामीण इलाकों को भी इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इंटरनेट को गांव-गांव पहुंचाया जाएगा। इस कार्यक्रम के तीन प्रमुख अवयव हैं- बुनियादी डिजिटल सुविधाएं, डिजिटल साक्षरता और सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी। इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं से देश को ड़िजिटल आधारित सशक्त सूचना अर्थव्यवस्था के रूप मे बदजाने का लक्ष्य है.इसी के चलते डिजिटल इंडिया अभियान को सफल बनाने के लिए एक जुलाई से डिजिटल इंडिया सप्ताह मनाया जा रहा है। सरकार इस दौरान डिजिटल लॉकर, डिजिटल साक्षरता, भारत नेटवर्क, डिजिटल सिग्नेचर जैसे कार्यक्रमों के विस्तारीकरण का ऐलान कर सकती है। ये फिलहाल पॉयलट अथवा प्रायोगिक आधार पर चलाए जा रहे हैं जिनका विस्तार देश भर में किया जा सकता है। इसका लक्ष्य इस क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इससे जोड़ना है।
‘डिजिटल इंडिया वीक’ के तहत 600 जिलों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। 314 जगहों पर उद्योग जगत के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री विभिन्न शहरों में वाई-फाई की सुविधा भी लांच करेंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल को भी लांच करेंगे। यही नहीं, छोटे शहरों में भी बीपीओ खोले जाएंगे। आम जनता को सरकारी सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है, ताकि लोगों को अत्याधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का लाभ मिल सके। इसके लिए आईटी, टेलीकॉम एवं डाक विभाग जोर-शोर से कार्यरत हैं। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सरकार अगले तीन वर्षों में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ेगी। श्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इस लक्ष्य को राज्य सरकारों की मदद से पूरा करेगी। इस साल 50,000 पंचायतों को और अगले दो वर्षों के दौरान 1-1 लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। रविशंकर प्रसाद ने आईटी प्लस आईटी यानी 'इंडियन टैलेंट + इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी = इंडिया टुमॉरो' का मंत्र भी दिया है। उनका कहना है कि डिजिटल इंडिया सही अर्थों में ‘गेम चेंजर’ साबित होगा। सरकार का मानना है कि वर्ष 2020 तक तकरीबन 60 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग करने लगेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डिजिटल इंडिया वीक के दौरान डिजिटल लॉकर सेवा का शुभारंभ किया जाएगा। इसके तहत लोग अपने प्रमाण पत्रों एवं अन्य दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित रख सकेंगे। इसमें आधार कार्ड नंबर व मोबाइल फोन के जरिये पंजीकरण कराना होगा। डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रखे जाने वाले प्रपत्रों को सरकारी एजेंसियों के लिए भी हासिल करना आसान होगा। किसी व्यक्ति के विभिन्न दस्तावेज अगर डिजिटल लॉकर में हैं, तो उसे सरकारी योजनाओं के लिए इनकी फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी। जाहिर है, ऐसे में लोगों को काफी सहूलियत होगी। इतना ही नहीं, इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ खोलने की योजना का भी शुभारंभ हो सकता है। दरअसल, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कॉल सेंटरों की स्थापना करना चाहती है। इन क्षेत्रों में बीपीओ खोलने वालों को सरकार सब्सिडी देगी। इसके साथ ही ऐसी उम्मीद है कि डिजिटल इंडिया वीक के दौरान सरकार डिजिटल इंडिया के ब्रांड ऐंबैसडरों की भी घोषणा करेगी। भारत सरकार अनेक एप्लीकेशंस एवं पोर्टल विकसित करने के लिए भी ठोस कदम उठा रही है जो नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मिलने वाली कामयाबी भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, बैंकिंग आदि क्षेत्रों से संबंधित सेवाओं की डिलीवरी में आईटी के इस्तेमाल में अग्रणी बनाएगी।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य हैं जिनका ब्योरा इस प्रकार है :
1. ब्रॉडबैंड हाईवेज : इनके जरिए एक तय समय सीमा में बड़ी संख्या में सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है।
2. सभी को मोबाइल कनेक्टिविटी सुलभ कराना : शहरी इलाकों में भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के अनेक ग्रामीण इलाकों में अभी इस सुविधा का जाल वैसा नहीं हो पा्या है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं को इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
3. पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम : इस कार्यक्रम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। नागरिकों को विभिन्न सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए वहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जायेगा।
4. ई-गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी के जरिये शासन में सुधार : इसके तहत विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आईडी कार्ड्स आदि की जहां भी जरूरत पड़े, वहां उसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. ई-क्रांति – सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी : ई-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) में वाई-फाई की नि:शुल्क सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने की योजना है। किसानों को वास्तविक समय में मूल्य संबंधी सूचना, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना भी इनमें शामिल है। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल परामर्श, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत लोगों को ई-हेल्थकेयर की सुविधा देना भी इनमें शामिल है।
6. सभी के लिए सूचना : इस कार्यक्रम के तहत सूचनाओं और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जायेगी। इसके लिए ओपन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाएगा।
7. इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता : इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़े तमाम उत्पादों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इसके तहत ‘नेट जीरो इंपोर्ट्स’ का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वर्ष 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में देश आत्मनिर्भरता हासिल कर सके।
8. रोजगार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी : कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रम को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाएगा। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आईटी से जुड़ी नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स : डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचागत सुविधाएं स्थापित करनी होंगी।
यह साफ जाहिर है कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को सुशासन सुलभ कराना और उनकी जिंदगी बेहतर और आसान बनाना है .इस के जरिये ग्राम पंचायतों, स्कूलों विश्वविद्यालयों में वाय-फाय सुविधाओं से लेकर शहरो यानि सभी जगह आम आदमी डिजिटल रूप् से सशक्त किये जाने का लक्ष्य है, जिससे उसकी जिंदगी आसान हो सकेगी साथ ही इससे आई टी, दूर संचार तथा इलेक्ट्रोनिक्स आदि अनेक क्षेत्रों में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल सकेगा.'डिजिटल इंडिया सप्ताह' इसी कार्यक्रम को तीव्र गति देने की दिशा में एक अहम कदम है।
*जे.सुनील वरिष्ठ पत्रकार हैं
डिजिटल सशक्तिकरण’ से बदल सकती है देश की तस्वीर,
एक निवेदन
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