देश में मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की प्रतिमा को रामेश्वरम के एक मंदिर में जगह दी गई है। इसी रामेश्वरम में पूर्व राष्ट्रपति कलाम का जन्म हुआ था। उन्होंने यहीं अपनी जिंदगी के पहले भाग को गुजारा और उसके बाद उन्होंने देश की सेवा में अपने आप को लगा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर रामेश्वरम में कलाम के मैमोरियल का उद्घाटन किया था। रामेश्वरम वही जगह है जिसे हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है। रामेश्वरम सिर्फ कलाम की जन्मस्थली नहीं बल्कि हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ भी है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की रामेश्वरम के पेई काराम्बू मैदान में स्थित कब्र पर आने वालों की भीड़ लगी रहती है। यह भीड़ मंदिर में मौजूद अपने भगवान के दर्शन से पहले अपने गुरु कलाम के दर्शन करती है। इस भीड़ और उसके प्यार को देखकर कहना ही पड़ेगा कि शायद लोगों ने डॉक्टर कलाम को भगवान का दर्जा दे दिया है। रामेश्वरम मंदिर की ओर जाने वाल बसें अब पेई काराम्बू में रुकती हैं। जो भी लोग मंदिर के दर्शन करने आते हैं वह पहले डॉक्टर कलाम की कब्र के दर्शन करते हैं। वीकऐंड्स पर यहां पर लोगों का हुजूम लग जाता है।
आपको ज्ञात होगा कि तमिलनाडु के रामेश्वरम में देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर एक प्रतिमा का अनावरण किया गया था। लेकिन इस प्रतिमा के आगे भगवत-गीता रखे होने से विवाद शुरू हो गया था, लेकिन इसके बाद प्रतिमा के आगे अब कुरान और बाइबल भी रख दी गई। कलाम को लोग आज भी भगवान की तरह पूजते हैं।शायद इसी वजह से कलाम की प्रतिमा को रामेश्वरम के मंदिर के ऊपर भी लगाया गया है। वह उन लोगों को जवाब है जो कलाम को उनके धर्म से जोड़कर देखते हैं जबकि कलाम मुसलमान होने से पहले भारतीय और देशभक्त थे।