भारत आज दुनिया का सबसे युवा देश है। भारत के पास युवा ऊर्जा का भंडार है। लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है कि हम अपनी इस ऊर्जा को किस तरह देखते हैं। दुनिया तो मान रही है कि भारत आने वाली सदी का राजा है। उसका भविष्य स्वर्णिम है। उसका ऐसा मानने के पीछे हमारे देश की युवा जनसंख्या है, जो लगभग 60 प्रतिशत है। हमारी युवा पीढ़ी को यह विचार करना चाहिए कि क्या वास्तव में वह देश के लिए ताकत है? इसका मूल्यांकन स्वयं भारत के युवाओं को करना चाहिए। यदि युवा का समर्पण उसके देश के प्रति नहीं होगा, उसके विचार में, उसके चिंतन में, उसके कर्म में, राष्ट्र पहले नहीं होगा; तब क्या ऐसा युवा भारत की ताकत बन सकता है? आज देश जो सपना देख रहा है, उसे पूरा करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवाओं के कंधे पर है।
यह सत्य है कि युवा ही किसी देश के विकास, उसकी ताकत और उसके सामर्थ के पीछे की शक्ति होते हैं। इस बात को एक प्रसंग से समझिए। यूरोप का एक राजा लगातार युद्ध जीतने चले जा रहा था। उसके सेनापति ने उससे पूछा, सम्राट आप यह कैसे तय करते हैं कि किस देश को जीतना आसान है, किस देश पर आक्रमण करना चाहिए? सम्राट ने कहा कि यह कोई कठिन कार्य नहीं है ,बहुत आसान है। मैं अपने गुप्तचर को उस देश में भेज देता हूं और उनसे सिर्फ इतना कहता हूं कि वह युवाओं के संवाद को सुनें, उनके बीच उठें-बैठें, उनकी दिनचर्या को देखें और मुझे आकर उस संदर्भ में पूरी जानकारी देवें। इतनी जानकारी से ही मैं इस बात का अंदाजा लगा लेता हूं कि किस देश को परास्त करना आसान हूं और किस देश को जीतना कठिन है। जिस देश के युवाओं की बातचीत में सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दे नहीं होते, इसका अर्थ है कि उन युवाओं के लिए राष्ट्र प्राथमिक नहीं है। वह सिर्फ अपने तक सीमित है। जिस देश का युवा राष्ट्र के साथ नहीं होता, उस को परास्त करना कठिन कार्य नहीं है। यह प्रसंग बताता है कि देश की सुरक्षा, उसकी समृद्धि, उसकी ताकत और उसकी प्रतिष्ठा के पीछे जागरूक और राष्ट्रभक्त नौजवानों की ताकत होती है। इसलिए आज जब दुनिया में भारत की धमक बढ़ रही है तो उसका कारण भारत का प्रतिभावान और देश प्रेमी युवा है।
परिवर्तन का नाम ही युवा है, इसीलिए भारत ने परिवर्तन की जो अंगड़ाई ली है, उसको पूरा करने में भारत के नौजवानों को अपनी भूमिका तलाशनी चाहिए। हम छोटे-छोटे प्रयासों से देश के अग्रसर होने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जिस तरह सेतु निर्माण के समय रामकाज में गिलहरी ने योगदान दिया था।
मध्यप्रदेश में आयोजित हो रहा “यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव” महत्वपूर्ण आयोजन है। इस आयोजन में प्रदेशभर से 300 विचारवान युवा शामिल होने वाले हैं। यह एक मंच है जो ऐसे युवाओं को एक साथ लेकर आएगा, जो राष्ट्र हित के मुद्दों पर चिंतन करते हैं, मनन करते हैं और यथासंभव उन पर अमल भी करते हैं। यह कार्यक्रम सकारात्मक ऊर्जा को जोड़ने का काम करेगा। यह सकारात्मक ऊर्जा ही देश में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। आज जिस समय में हम जी रहे हैं, उस समय में युवा पीढ़ी को दिशा देने के लिए इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता है।
यह समय भटकाव का भी है, युवा उस भटकाव में न खो जाए इसलिए सही मार्ग पर स्वयं भी आगे बढ़े और अपने परिवार, समाज और देश को भी आगे ले जाएं। “यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव” अपने उद्देश्य में सफल होगा, क्योंकि इसके आयोजन में पूर्ण रूप से राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत युवा टोली लगी है। इस आयोजन के ओर-छोर पर युवा ही है। युवाओं का आयोजन है, युवाओं के लिए।
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार में सहायक प्राध्यापक हैं)
संपर्क :
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय,
बी-38, विकास भवन, प्रेस काम्प्लेक्स, महाराणा प्रताप नगर जोन-1,
भोपाल (मध्यप्रदेश) – 462011
दूरभाष : 09893072930
www.apnapanchoo.blogspot.in