पोखरण में 1998 में हुए परमाणु हथियार परीक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले सेना के अधिकारी रिटायर्ड कर्नल गोपाल टी कौशिक ने कुछ अहम खुलासे किए हैं. मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए कौशिक ने बताया कि 1998 में हुए पोखरण हथियार परीक्षण कोडनाम ऑपरेशन शक्ति के बाद भी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) ने मुझपर निगरानी रखी. उन्होंने कहा कि सीआईए ने पोर्ट ब्लेयर के किनारे से छिपकर मेरे ऊपर नजर रखी. रिटायर्ड कर्नल कौशिक उस समय 58वें इंजीनियरिंग रेजीमेंट के कमांडेंट थे.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते शनिवार को मुंबई के वर्ली स्थित नेहरू साइंस सेंटर में गोपाल टी कौशिक ने इस मिशन से जुड़ी कई जानकारियां साझा कीं. रिटायरमेंट के बीस साल बाद उन्होंने कहा कि परमाणु परीक्षण के इस मिशन को गोपनीय रखना, सीआईए की खुफिया सैटेलाइट से बचाना, बम एकत्रित करना और राजस्थान के दूर दराज के इलाकों में कंस्ट्रक्शन और ट्रांसपो्रटेशन का काम जारी रखने बहुत बड़ी चुनौती थी. रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम में परमाणु हथियार परीक्षण के मुखिया आर चिदंबरम भी शामिल थे.
कौशिक ने बताया कि परीक्षण के बाद उनकी तैनाती वापस पोर्ट ब्लेयर में हो गई थी. अंदमान-निकोबार द्वीप के करीब एक बैंक बनाया गया और वहां एक अधिकारी की तैनाती की गई ताकि ग्राहक बढ़ाए जा सकें. उन्होंने बताया कि यह अधिकारी उनके साथ काफी दोस्ताना व्यवहार रखता था और लगातार उनकी संपर्क में रहा. उन्होंने कहा कि एक रविवार को हम साथ पिकनिक गए. इस दौरान हमारी काफी लंबी बातचीत हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक, कौशिक ने बताया कि साल 2004 में एक दिन उन्हें बेंगलुरू में तैनाती का ऑर्डम मिल गया. एक दिन वह अपने कुत्ते को बाहर घुमाने ले गए थे तभी एक इंटेलिजेंस अधिकारी का फोन आया. उसने कहा- बहुत गंभीर बात है. क्या तुम्हें पता है कि सीआईए तुमपर नजर रख रही है. अधिकारी ने कहा कि तुमपर निगरानी रखने के लिए सीआईए ने पोर्ट ब्लेयर में एक अधिकारी भी तैनात किया है. उन्होंने कहा कि यह वही अधिकारी है जिसे पोर्ट ब्लेयर बैंक पर तैनात किया गया है. सीआईए ने उससे दुबई में संपर्क किया और तुम्हारे ऊपर नजर रखने के लिए पोर्ट ब्लेयर में तैनात किया.
अंधेरे में भी देख सकती थी सीआईए की सैटेलाइट
पोखरण परमाणु परीक्षण से जुड़ी बातें साझा करते हुए कौशिक ने कहा कि इस दौरान अमेरिकी जासूसी सैटेलाइट को धोखा देने के लिए मेरी टीम ने कई पैंतरे आजमाए. उन्होंने कहा कि इस काम में सीआईए ने दो सैटेलाइट लगाए थे और उस समय एक-एक सैटेलाइट की कीमत करीब एक बिलियन डॉलर थी. इन सैटेलाइटों में रात के अंधेरे और धूल भरी आंधी में भी साफ देखने की क्षमता थी.
उन्होंने कहा कि सीआईए द्वारा निगरानी की बात पता चलने के बाद हम काफी सतर्क हो गए और बात करने के दौरान ज्यादा से ज्यादा कोडवर्ड का इस्तेमाल करने लगे. उन्होंने बताया कि हम हिंदी कमेंट्री करते हुए पोखरण में क्रिकेट और टेनिस खेलते थे. हमने तीन जासूसों को भी पकड़ा जिसे बाद में पुलिस के हवाले कर दिया. उनमें से एक चरवाहा था.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पोखरण परीक्षण के बाद दो बार कौशिक को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी. एक कॉलर अमेरिकी-यूरोपियन लहजे में बात कर रहा था. ”उसने कहा- क्या तुम कौशिक हो? हम तुम्हें देख लेंगे.” दूसरे कॉलर ने बात करते हुए अरबी भाषा का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, बातें साझा करते हुए कौशिक लगातार जॉन इब्राहिम की हालिया रिलीज फिल्म परमाणु का जिक्र कर रहे थे. आपको बता दें कि परमाणु फिल्म भी पोखरण परीक्षण पर बनी है.