”अरे,, नेता जी आप ! आइए आइए,,कैसे आना हुआ?”
”अरे डाक्टर साहब बहुत परेशान हो गये हम तो,,ये देखो ये अंगूठे मे घाव हो गया,,बहुत दिन हो गये ठीक ही नही हो रहा है !”
“आप चिन्ता मत कीजिए,,समझो ठीक हो गया। और सुनाइए कैसी चल रही है पालिटिक्स? ये आपके एस सी एस टी कानून का तो काफी विरोध हो रहा है।”
“क्या करें डाक्टर साहब वोट बैंक मेनटेन करने के लिए सब करना पड़ता है।”
“हां वो तो है,,अच्छा अंगूठा दिखाइए जरा।”
“हां देखिए,,क्या मुसीबत है?”
“ओह,,नेता जी मुझे लगता है अंगूठे मे कैंसर हो गया है। इसे काटना पड़ेगा।”
“शुभ शुभ बोलिए डाक्टर साहब,,क्या कह रहे हैं आप?”
“वही जो आपने सुना,,अंगूठा कट जाने से बाकी का शरीर तो बच जाएगा।”
“ठीक है डाक्टर साहब,,आज ही सारी जांचे कर लो,,ताकि कल तक आपरेशन हो जाए। चुनावी रैलियां शुरू होने वाली हैंं अंगूठा जल्दी से जल्दी ठीक होना चाहिए।”
“जांच वांच क्या करनी नेता जी,,आज ही बल्कि अभी आपरेशन कर देते हैं।”
”क्या? क्या कह रहे हो साहेब ? जांच नही करोगे कैंसर है भी या नही ? सीधे अंगूठा काट दोगे?”
“मुझे पूरा यकीन है नेता जी,,अंगूठे ने कैंसर पकड़ लिया होगा। आप कहां जांच पड़ताल के चक्कर मे पड़ रहे हैं,,अभी काट देते हैं।”
“आपका दिमाग तो ठीक है? जाहिलों जैसी बात कर रहे हैं। ये मेरा अंगूठा है कोई मुर्गे की गर्दन नही कि मौज मे आके मरोड़ दी। कैंसर की जांच कीजिए फिर आपरेशन से पहले खून की जितनी जांच होती हैं वो सब कीजिए उसके बाद अंगूठा काटने की सोचिए।”
”देख लेना जांच मे भी कैंसर ही निकलेगा।”
“निकलेगा तो काट लीजिएगा न।”
“क्या फायदा?बेकार ही,,,,”
“ओफ्हो,,आप पहले अपना इलाज कराओ जाके,,किसी का आपरेशन करना हो वो भी कैंसर के शक मे तो जांच नही करोगे? हद कर रहे हैं आप! मान लो अगर कैंसर न हुआ और आपने यूं ही शक मे मेरा अंगूठा काट लिया तो कितना बड़ा अन्याय होगा अंगूठे के साथ,, बेचारा कभी वापस नही आ पाएगा। कौन जिम्मेदार होगा? और जांच करने मे हर्ज क्या है?”
”मै भी तो वही कह रहा हूँ नेता जी, अगर झूठे एस सी एस टी केस मे कोई जेल चला गया तो कौन जिम्मेदार होगा? गिरफ्तारी से पहले मामले की जांच करने मे हर्ज क्या है? क्यूं लाये हो काला कानून?आम जन क्या मुर्गे की गर्दन है?” जो मर्जी आए जब मरोड़ दो?