जीवंत, सक्रिय, सदैव आगे बढ़ते हुए, रंग बिरंगे और मौज मस्ती से भरे हुए इस राज्य का नाम महाराष्ट्र है। यह भारत का सबसे अधिक आधुनिक शहर है, जो उदारी करण और आधुनिकीकरण द्वारा बदलती हुई गति की भावना पर चलता है। वर्षों से यहां उपनिवेश वाद से आजादी मिली और तब महाराष्ट्र ने अपने विशाल बाजारों, व्यापार घरानों एवं अनेक अलग अलग समुदायों के साथ अपनी एक महानगरीय पहचान बनाई और यहां का वातावरण कहीं और शायद ही देखने को मिले। ऊपरी तौर पर यह भारत का सदैव बदलता चेहरा प्रस्तुत करता है। राज्य का केन्द्र भारतीय रीति रिवाजों और मूल्यों से भरपूर है।
अजन्ता एलोरा, एलीफेंटा और पिताल खोरा महाराष्ट्र के गर्व कहे जा सकते हैं। पहाडियों को काट कर बनाई गई ये दोनों गुफाएं दुनिया भर में प्रसिद्ध है तथा भारतीय दस्तकारी की कुशलता और कलाकारी का स्तर प्रदर्शित करती है जिन्हें कई सौ वर्ष पहले भारत में अर्जित किया गया था। महाराष्ट्र के अधिकांश किले शिवाजी के साथ जुड़े हुए हैं। देश में कहीं भी आपको इतनी बड़ी संख्या में किले दिखाई नहीं देंगे। एक द्वीप पर स्थिति मुरुद जंजीरा या बेसिन में समुद्र की रक्षा करता हुआ किला अथवा सहयाद्री की पहाडियों में बनाया गया किला या रायगढ़ में बनाया गया टेढ़ी मेढ़ी दीवार वाला किला और नीली पहाडियों के बीच स्थित गोलाकार बेस्टन जैसा एक किला यहां देखे जा सकते हैं।
चिखलदारा, पैंच नेशनल पार्क, बोर डैम और दाजीपुर – ये पार्क विहंगम प्राकृतिक व्यवस्था में अनेक प्रकार के वन्य जीवन को देखने का एक भव्य अवसर प्रदान करते हैं। महाराष्ट्र की सच्ची तस्वीर आप डूबती हुई सूर्य की किरणों को नम्र रेत पर फैले हुए दृश्य में देख सकते हैं या गणपति पूल, मडवा, किलहीम आदि जैसे तटों के सुंदर दृश्यों में पा सकते हैं। यदि आप पहली बार स्कूबा डायविंग या स्नोरकेलिंग को अत्यंत प्रतिस्पर्द्धी दरों पर आजमाना चाहते हैं और यदि आप प्रमाणित डाइवर है तब भी देश में और कहीं नहीं केवल एमटीडीसी की कोंकण डायविंग ड्रीम कोंकण के विशेष अवकाश के दौरान आपका सही विकल्प है ।
बेसिन तट
बेसिन तट बेसिन में स्थित है, जो महाराष्ट्र के मुम्बई शहर से लगभग 50 से 60 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह सुंदर तट पर्यटकों के प्रमुख आकर्षणों में से एक है, जहां इन दिनों पूरे देश से लोग आते हैं। यह कहना उचित होगा कि बेसिन तट प्राकृतिक सुंदरता के साथ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का मीठा संगम है।
दहानू बोरडी तट
दहानू समुद्र के किनारे लंबा और अछूता तट है जो थाने जिले में है। दहानू – बोरडी का तट लगभग 17 किलोमीटर लंबा है। यह शांत तट और उथला पानी तैराकी तथा सूर्य स्थान के लिए आदर्श है। यहां के पास स्थित समुद्र शांत है तथा आराम करने के लिए यह एक उचित स्थान कहा जा सकता है। यहां इरानी और पर्शिया की संस्कृति के सुंदर अवशेष मिलते हैं।
गणपति पूल तट
गणपति पूल तट कोंकण के किनारे के साथ एक विहंगम तट कहा जा सकता है जो शांति की तलाश करने वालों, तट प्रेमियों और धार्मिक यात्रियों को समान रूप से आकर्षित करता है। चारों ओर फैली हरियाली, लाल मिट्टी, सूर्य की रोशनी से नहाए हुए तट, चांदी के समान चमकती रेत, नारियल और सुपारी के पेड़ों की लंबी कतारें निश्चित रूप से पर्यटकों को पूरे वर्ष यहां आने का आमंत्रण देती हैं। यहां के अनेक प्रकार के पेड़ पौधे होने से गणपति पूल तट समुद्र और प्रकृति से प्रेम करने वालों के लिए एक सर्वथा उचित अवकाश गंतव्य है।
हरनाइ तट
हरनाइ तट का यह मनमोहक भाग अपनी सफेद रेत और साफ पानी के लिए प्रसिद्ध है। पूरे तट पर लगे पाम के पेड़ों से इस तट सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है। हरनाइ का किला तट के उत्तर में स्थित है। इस किले की हर ईंट इतिहास के समय में यहां शासन करने वाले महान राजाओं का गरिमामय वर्णन करती है। हरनाइ का तट हर दिन पर्यटकों के बीच महत्व प्राप्त करता जा रहा है और आम तौर पर यह दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है।
जुहू तट
जुहू तट अरब सागर के किनारे फैला हुआ भारत का सबसे बड़ा पर्यटक तट कहा जा सकता है। यहां तट के किनारे छोटी छोटी दुकानों में उपलब्ध भेल पुरी और चाट वाला भाग जुहू तट का सबसे अच्छा हिस्सा है। यह महाराष्ट्र का सबसे अधिक भीड़ वाला तट है। आप यदि मुम्बई जाएं तो जुहू तट का नजारा लेना न भूलें।
किहिम और मंडवा तट
मंडवा और किहिम तट शहरी जीवन की भीड़ भाड़ से दूर समय बिताने के लिए एक आदर्श स्थान है। मंडवा और किहित तट की विशाल प्राकृतिक सुंदरता देखने योग्य है। यहां पर्यटक बादल रहित दिन पर गेटवे ऑफ इंडिया की एक भव्य झलक पाने के लिए आते हैं। मंडवा तट पर भी नारियल और पाम के ढेर सारे पेड़ लगे हैं।
माध द्वीप तट
माध द्वीप तट भारत के मुम्बई शहर के उत्तर पश्चिमी तट के साथ स्थित है। इस तट पर एक अदभूत दृश्य दिखाई देता है। इस तट की एक अनोखी विशेषता यहां की ग्रामीण पृष्ठ भूमि है, जो उन विशाल बंगलों के एक दम विपरीत है जो यहां अगली कतार में दिखाई देते हैं। वास्तव में यह शहरी जीवन की भाग दौड़ से निकल कर मन को शांति देने का एक आदर्श स्थान है।
मेरिन ड्राइव तट
मेरिन ड्राइव तट अरब सागर की तटीय रेखा पर और नरिमन पॉइंट से मलाबार हिल तक फैला हुआ है। इस तट के दोनों सिरे एक दम विपरीत हैं, जिसके एक सिरे तक नरिमन पॉइंट की बड़ी बड़ी इमारतें हैं और मलाबार हिल प्रकृति की सुंदरता से भरा हुआ स्थान है। मेरिन ड्राइव पर टहलते हुए आप ताजी हवा में सांस ले सकते हैं जो आपको सूर्य के ढलते हुए मनमोहक दृश्य के साथ मिलती है। रात के समय जब सड़क की लाइटें जल जाती है तब मेरिन ड्राइव हीरे जवाहरातों तथा मोतियों से जड़ा हुआ एक हार लगता है। इसीलिए मेरिन ड्राइव को क्वीन्स नेकलेस कहते हैं।
मार्वे – मानोरी – गोराई तट
माव- मानोरी – गोराई तट शहरी भीड़ भाड़ और प्रदूषण से दूर एक शांत तट है। ये तीनों तट प्रकृति से प्रेम करने वाले मुंबई वासियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। ये सुंदर तट यात्रियों से भरे रहते हैं और यहां अनेक बीच पार्टियां चलती रहती हैं। लोग यहां विशेष रूप से चांदनी रात में घूमने फिरने का आनंद उठाते हैं।
मुरुद – जंजीरा तट
मुरुद – जंजीरा तट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां सुपारी, नारियल, पान, पाम के ढेरों पेड़ लगे हुए हैं और यह तट शहरी जीवन की व्यस्तता से राहत दिलाने के लिए एक आदर्श स्थान है। मुरुद – जंजीरा के पुराने किले के अंदर पहाड़ी के ऊपर भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है और इनके तीन सिर तीन हिन्दु देवताओं बह्मा, विष्णु और महेश्वर को दर्शाते हैं।
श्रीवर्धन – हरि हरेश्वर तट
ठण्डी हवाएं, नर्म रेत और आमंत्रित करता पानी इस तट पर सभी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यहां पास ही स्थित पेशवा स्मारक पर्यटकों को अवश्य देखना चाहिए। हरि हरेश्वर अपने मनमोहक और सुंदर तट के लिए प्रसिद्ध है। यदि कोई सी फुड का शौकीन है तो यहां कई प्रकार के व्यंजन उन्हें मिल सकते हैं। यह तट हरि हरेश्वर के मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है।
तर्करली तट
तर्करली तट को पृथ्वी के अनछुए स्वर्ग का नाम दिया जा सकता है। यहां की अछूती सुंदरता के बारे में कई लोग नहीं जानते हैं जो यहां अपने अवकाश का समय बिता सकते हैं। तर्करली तट चमकदार नीले पानी और पेड़ों की कतारों वाला एक लंबा और सकरा तट है। यहां पवित्र और मन को मोह लेने वाले सुंदरता बिखरी पड़ी है। एक बादल रहित दिन पर यहां समुद्र में 20 फीट की गहराई तक समुद्र का तल देखा जा सकता है।
वेलनेश्वर तट
वेलनेश्वर तट नारियल के पेड़ों से भरा हुआ एक शांत तट है जहां पर्यटकों को तैरने या आराम करने का पूरा अवसर मिलता है। यह अपने आप के साथ कुछ शांत क्षण बिताने के लिए और प्रकृति के नजारे देखने के लिए एक उपयुक्त स्थान है। यहां शिव भगवान का एक मंदिर है जहां बड़ी संख्या में भक्तजन आते हैं।
वरसोवा तट
वरसोवा तट पर भारत के मुम्बई शहर का सबसे अधिक आकर्षण देखा जाता है। यह जुहू तट के उत्तर में स्थित है और ग्रेटर मुम्बई जिले में आता है। वास्तव में वरसोवा तट को जुहू तट का एक विस्तार माना जाता है, जिनके बीच केवल एक छोटी सी दरार है। यहां ऐसे बहुत सारे काम है जो आपको आनंद दे सकते हैं – यहां प्रकृति की सुंदरता देखें, एक नाव की सवारी करें, आराम करें और घूमें फिरें।
वेंगुरला – मालवान तट
वेंगुरला तट सफेद रेत से भरा हुआ तट है जहां काजू, नारियल, कठहल और आम के पेड़ लगे हुए हैं। यहां के साफ पानी और हरियाली की सुंदरता आपको बांध लेती है। यहां दो प्रसिद्ध मंदिर भी हैं : श्री देवी सतेरी मंदिर और रामेश्वर मंदिर।
अम्बोली
ब्रिटिश राजनैतिक एजेंट करनल वेस्टोप ने अम्बोली को एक पर्वतीय स्थान के रूप में विकसित किया। यह चपटे तट से 690 मीटर की ऊंचाई पर सिंधु दुर्ग जिले में स्थित है। अम्बोली सहयाद्रि पहाडियों के दक्षिण में शुरू होने वाले तटीय मैदान से पहले अंतिम पर्वत श्रृंखला है। घने जंगलों और सीधी चढ़ाई वाली घाटियों से भरपूर यह पर्वतीय स्थल कोंकण के तट का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। अम्बोली उन पर्वतीय स्थलों में से है जहां समुद्र को देखा जा सकता है। यह शांत और सुरम्य स्थान है। यदि आपको अपने परिवार के साथ एक शांत पर्यटन स्थल का आनंद लेना है तो अम्बोली इसके लिए आदर्श स्थान माना जा सकता है।
चिकलधारा
महाभारत ग्रंथ में इस स्थान का उल्लेख है जहां भीम ने एक आक्रमण में विशालकाय कीचक को मार गिराया और उसे घाटी में फेंक दिया। अत: इस स्थान का नाम कीचक कंदरा – चिकलधारा प्रचलित हो गया। यहां अपार वन्य जीवन, झीलें और पानी के झरने हैं। चिकलधारा प्रसिद्ध मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट के लिए भी जाना जाता है जो धाकन कोलकाज नेशनल पार्क में है। चिकलधारा की सुंदरता हरीकेन पॉइंट, प्रोस्पेक्ट पॉइंट और देवी पॉइंट से भी देखी जा सकती है।
महाबलेश्वर
ऊंची चोटियां, भय पैदा करने वाले घाटियां, चटक हरियाली, ठण्डी पर्वतीय हवा, महाबलेश्वर की विशेषता है। यह महाराष्ट्र का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्वतीय स्थान है और एक समय ब्रिटिश राज के दौरान यह बॉम्बे प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। महाबलेश्वर में अनेक दर्शनीय स्थल हैं और प्रत्येक स्थल की एक अनोखी विशेषता है। बेबिंगटन पॉइंट की ओर जाते हुए धूम नामक बांध जो रूकने के लिए एक अच्छा स्थान है। अथवा आप पुराने महाबलेश्वर और प्रसिद्ध पंच गंगा मंदिर जा सकते हैं, जहां पांच नदियों का झरना है : कोयना, वैना, सावित्री, गायित्री और पवित्र कृष्णा नदी। यहां महाबलेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहां स्वयं भू लिंग स्थापित है।
पंचगनी
पंचगनी का अर्थ है पांच पहाडियों से घिरा हुआ स्थान। यह महाबलेश्वर से केवल 38 मीटर नीचे 1334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये 38 मीटर के अंतराल एक ओर कृष्णा नदी के सुंदर दृश्य दिखाते हैं और दूसरी ओर तटीय मैदान फैले दिखाई देते हैं। पंचगनी पुराने युग की चीजों से सजा हुआ आवासीय पर्वतीय स्थल है। यहां ब्रिटिश कालीन भवनों की वास्तुकला, पारसी घर और बोर्डिग घर देखे जा सकते हैं जो यहां एक शताब्दी से अधिक समय से मौजूद हैं। वेनिश युग की झलक पाने के लिए कुछ पुराने ब्रिटिश और पारसी घरों में जाने की विशेष व्यवस्था की जाती है। पंचगनी एक ऐसे दुर्लभ स्थानों में से एक है जहां आकर किसी को पछतावा नहीं होता और वह अपने अवकाश का पूरा आनंद उठाता है।
खंडाला
खंडाला नामक पर्वतीय स्थल महाराष्ट्र राज्यों के पश्चिमी भाग में भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। यह पर्वतीय स्थान सहयाद्रि पर्वती श्रृंखला में स्थित है। खंडाला शहर मुम्बई के दक्षिण पूर्व में लगभग 100 किलो मीटर की दूरी पर और पुणे से 70 किलो मीटर की दूरी पर है। यह दूरी लोनावाला से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। खंडाला घाट पर अमृतांजन पॉइंट का सबसे बड़ा पर्यटन आकर्षण है। विशाल हरियाली, घाटी के सुंदर दृश्यों की सुंदरता और ड्यूक नोज आपके आस पास घूमती रहती है।
माथेरान
माथेरान का शब्द का अर्थ है ऊंचाई पर स्थित जंगल और यह मुम्बई शहर के पूर्व में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनोरम पर्वतीय स्थल है। इसकी ऊंचाई के कारण भी इस पर्वतीय स्थल का वातावरण ठण्डा और कम नमी वाला बना रहता है, जिसके कारण यहां ऐसे लोग अधिक आते हैं जहां वे अपने व्यस्त शहरी जीवन से मुक्त होकर रह सकें, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में। यह देश के सबसे साफ पर्वतीय स्थानों में से एक है जहां वातावरण पूरी तरह प्रदूषण रहित है। पश्चिमी घाट में स्थित 803 मीटर की ऊंचाई पर सहयाद्रि पर्वत श्रृंखला का यह पर्वतीय स्थल मुम्बई और पुणे से काफी नजदीक (120 किलो मीटर) होने के कारण अत्यंत लोकप्रिय स्थान है।
सवंतवादी
सवंतवादी 690 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सहयाद्रि पर्वत पर स्थित यह स्थान घने जंगलों और ऊंची पहाडियों तथा घाटियों से घिरा हुआ है। यहां ऐसे अनेक दर्शनीय स्थल है जो घाटी का एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। सवंतवादी में पर्यटक पूरे साल आ सकते हैं सिवाए बारिश के मौसम के। यहां के अन्य आकर्षक स्थान हैं मोती झील, नरेन्द्र पार्क और नरेन्द्र पर्वत। इसके अलावा विट्ठल का मंदिर, हनुमान मंदिर और रघुनाथ बाजार अन्य दर्शनीय स्थल हैं।
तोरनमल
तोरनमल अकरानी तालुका, नंदुरबार जिले के सतपुड़ा पर्वत में स्थित है। यह पर्वतीय स्थल 1461 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस ऊंचाई और पेड़ो से घरे होने के कारण तोरनमल का पठार काफी ठण्डा है और यह किसी पर्वतीय स्थल जैसा ही प्रतीत होता है। सतपुड़ा वन के प्राकृतिक जीव जंतु और वनस्पति इस सुंदर स्थान की शांति और पवित्रता को बढ़ा देते हैं। यहां आने वाले पर्यटक सतपुड़ा पर्वत की सुंदरता से चकित हो जाते हैं।
दाजीपुर बायसन अभयारण्य
दाजीपुर बायसन अभयारण्य राधनगारी बांध के पीछे की ओर कोलाहपुर और सिंधु दुर्ग जिलों की सीमा पर स्थित है। यह अभयारण्य घने जंगलों और पर्वतों से भरपूर है। यह पूरा क्षेत्र माननीय बसाहट से काफी दूर है। यहां अनेक प्रकार के बायसन, जंगली हिरण, चीतल, गावा और कई प्रकार के वन्य जंतु तथ चिडिया पाई जाती है। दाजीपुर छुट्टियां बिताने के लिए एक रोमांचक और सुंदर स्थान है। यहां कई प्रकार के जीव जंतुओं और पक्षियों के साथ प्रकृति की सुंदरता पर्यटकों का मन मोह लेती है। यह वन गावा भैंस के लिए प्रसिद्ध है।
आप यहां बायसन, जंगली हिरण, चीतल और गावा आदि को घूमते हुए देख सकते हैं। आपको यहां वन क्षेत्र में गंगनगिरी महाराज का मठ भी मिलेगा। यहां आयोजित किए जाने वाले विशेष ट्रेकिंग कैम्प अत्यंत मनोरंजक होते हैं। यहां खोजबीन करते हुए वनस्पति शास्त्र के छात्र ढेरों जानकारियां एकत्र करते हैं।
धाकन – कोलकाज नेशनल पार्क
चिकलधारा वन्य जीवन अभयारण्य विदर्भ क्षेत्र के अमरावती जिले में स्थित है। यह विदर्भ क्षेत्र का एक मात्र पवर्तीय स्थान है जहां वन्य जीवन की भरमार, दर्शनीय स्थल, झीलें और पानी के झरने हैं। इस अभयारण्य को कीचक के नाम पर बनाया गया है। यही वह स्थान है जहां भीम ने कीचक को मार कर घाटी में फेंक दिया था। इसी लिए इस स्थान का नाम कीचकधारा और आगे चल कर चिकलधारा हो गया। महाराष्ट्र में केवल इसी स्थान पर कॉफी उगायी जाती है।
यहां पर्यटकों को चीते, स्लॉथ बीयर, सांभर और जंगली सुअर देखने को मिल सकते हैं। यहां जंगली कुत्ते भी देखे जा सकते हैं। धाकन कोलकाज़ नेशनल पार्क में प्रसिद्ध मेल घाट टाइगर परियोजना है जो लगभग 82 बाघों का प्राकृतिक अधिवास केन्द्र है। चिकलधारा की ठण्डी हवाएं इसे उत्कृष्ट पर्यटन स्थल बनाती हैं।
संजय गांधी नेशनल पार्क
संजय गांधी नेशनल पार्क को बोरीवली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था जो मुम्बई में बोरीवली उप नगर के आस पास स्थित है। इसे 1974 में अधिसूचित किया गया और यह सामान्य दर्शनीय स्थलों के कारण बड़े शहर का एक आकर्षण बन गया।
यहां आने वालों को कई प्रकार के जीव जंतु दिखाई दे सकते हैं जिसमें चित्तीदार हिरण, ब्लैक नेप्ड हेयर, बार्किंग डीयर, साही, पाम सिवेट, माउस डीयर, रिसस मेकाक, बोनेट मेकाक, हनुमान लंगूर, पढ़ने वाली भारतीय लोमड़ी और सांभर शामिल है। यहां लगभग 38 सरीसृप प्रजातियां पाई जाती हैं। पर्यटकों को तुलसी झील में घडियाल और पाइथन देखने को मिल सकते हैं और यहां कोबरा, मॉनिटर लिजार्ड, रसेल वाइपर, बैम्बू पिट वाइपर और सिलोनी कैट स्नेक भी देखे जा सकते हैं।
महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम की वेबसाईट http://www.maharashtratourism.gov.in/ पर महाराष्ट्र के पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध है