नई दिल्ली/ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने संबंधी मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि स्वामी साणंद के पार्थिव शरीर को किसी भी दशा में अंतिम दर्शन के लिए नहीं रखा जा सकता. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज कोई प्रदर्शनी की जगह नहीं है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वामी साणंद अपनी देह एम्स को दान कर चुके हैं, परिजन भी सहमति जता चुके हैं. इसलिए दान की हुई वस्तु को वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है.
ऋषिकेश एम्स में स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने झूठ कहा कि उनकी 80 फीसदी मांगों को सरकार ने मान लिया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार को उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए था. लेकिन सरकार ने उनकी आवाज को दबाने का काम किया. उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के स्वामी साणंद के सपने को हम मिलकर पूरा करेंगे.
उन्होंने कहा कि हम अनशन करके नहीं बल्कि जिंदा रहकर जन जन को गंगा के प्रति जागरूक करेंगे. उन्होंने कहा कि इस रविवार से वह बड़ी जन जागरूकता यात्रा करेंगे, जो कि मकर संक्रांति तक चलेगा. उन्होंने कहा सरकार ने जिस तरह से गंगा के नाम पर धोखा दिया है, उससे हर गंगा प्रेमी नाराज है.
बता दें कि गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का गुरुवार (11 अक्टूबर) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में निधन हो गया था. स्वामी साणंद को बुधवार (10 अक्टूबर) को हरिद्वार प्रशासन ने एम्स में भर्ती कराया था. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को स्वामी साणंद अपना शरीर दान कर गए हैं.
डॉक्टरों के मुताबिक कमजोरी और हार्ट अटैक से स्वामी साणंद का निधन हुआ है. लगातार कई महीनों से अनशन पर बैठे स्वामी सांनद ने मंगलवार (09 अक्टूबर) को जल भी त्याग दिया था. स्वामी ज्ञान स्वरूप साणंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर थे. ये आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर भी रह चुके हैं. इनका नाम प्रो, जीडी अग्रवाल था.