अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा क्या अपने अध्यक्ष अमित शाह को कोलकाता उत्तर लोकसभा सीट से मैदान में उतारने पर विचार कर रही है? यहां राजनीतिक हलकों में तो यही कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से इन कयासों को बल मिला है। यहां मंगलवार को एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में घोष ने कहा कि वे चाहते हैं कि अमित शाह कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ें। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार ओडीशा में पुरी से लड़ सकते हैं। हम भी अमित शाह से कोलकाता उत्तर सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध कर सकते हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा फिलहाल शाह के लिए कोलकाता उत्तर के अलावा आसनसोल सीट पर भी विचार कर रही है। बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 17 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी को उम्मीद है कि शाह की उम्मीदवारी से पार्टी को मिलने वाले वोटों का ग्राफ तेजी से चढ़ेगा, लेकिन आखिर कोलकाता उत्तर सीट का नाम चर्चा में कैसे आया ? राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इलाके में गैर-बांग्लाभाषी वोटरों की भारी तादाद इसकी एक वजह है। इसके अलावा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था।
कोलकाता उत्तर में वर्ष 2009 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को 52.4 फीसदी वोट मिले थे जबकि चार फीसदी वोटों के साथ भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। दूसरे स्थान पर रही माकपा को 40 फीसद वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार को लगभग 37 हजार वोट मिले थे। वर्ष 2014 में भी यह सीट तृणमूल ने ही जीती, लेकिन नतीजे पहले के मुकाबले से अलग थे, तब तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस का गठबंधन टूट गया था। यहां तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को 36 फीसदी वोट ही मिले थे। लेकिन 26 फीसदी वोटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। 21 फीसदी वोट लेकर माकपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा था।
इसी तरह वर्ष 2009 में आसनसोल सीट पर तृणमूलकांग्रेस-कांग्रेस उम्मीदवार को 41 फीसद वोट मिले थे जबकि यहां जीतने वाले माकपा उम्मीदवार को 49 फीसद वोट मिले थे। तब यहां भाजपा को लगभग छह फीसद वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। लेकिन वर्ष 2014 में लगभग 37 फीसद वोट पाकर भाजपा के बाबुल सुप्रियो ने यह सीट जीती थी। यहां तृणमूल कांग्रेस को मिलने वाले वोटों का प्रतिशत घटकर 30.6 रह गया था जबकि 22 फीसद वोट पाकर माकपा तीसरे स्थान पर रही थी।
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