दो दिन पहले ही ‘ZEE’ समूह से एक बड़ी खबर सामने आई थी। दरअसल, मीडिया मुगल डॉ. सुभाष चंद्रा के स्वामित्व वाले एस्सेल ग्रुप (Essel Group) ने घोषणा की थी कि वह ‘जी ऐंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में अपनी आधी हिस्सेदारी किसी स्ट्रेटजिक पार्टनर को बेचने की तैयारी कर रहा है। इस घोषणा के बाद से ‘ZEE’ के भविष्य की प्लानिंग को लेकर मार्केट में तमाम तरह की चर्चाएं हैं।
हाल ही में कंपनी ने दूसरी तिमाही (FY18 Q2) के वित्तीय नतीजे घोषित किए थे, इस तिमाही में कंपनी के ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 24.9 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यही नहीं, माना जा रहा है कि इस साल के शुरू में लॉन्च हुआ इसका ‘ओवर द टॉप’ (OTT) प्लेटफॉर्म भी काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
ऐसे में ‘ZEE’ की आगे की योजनाओं के बारे में‘बिजनेसवर्ल्ड’ व ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने ‘ZEE’ और ‘एस्सेल ग्रुप’ के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा से विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश-
आप इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नाम हैं और कई लोगों के लिए रोल मॉडल हैं। माना जाता है कि आप उन चीजों को भी पहले देख-समझ लेते हैं, जो आमतौर पर लोग नहीं देख पाते हैं। ऐसे में जब आप जैसी शख्सियत भविष्य को देखते हुए अपनी कंपनी का हिस्सा बेचने का निर्णय करती है तो यह मीडिया में हेडलाइंस बन जाती है। जरा खुलकर बताएं कि आप भविष्य को लेकर ऐसी क्या चीज देख रहे हैं. जो अन्य लोग नहीं देख पा रहे हैं?
बिल्कुल, मेरा मानना है कि दूसरे लोग अभी वो चीज नहीं देख पा रहे हैं. जो मैं देख सकता हूं। लेकिन, मुझे ये भी पता है कि धीरे-धीरे उन्हें भी ये चीजें दिखाई देने लगेंगी। आजकल टेक्नोलॉजी काफी बदल रही है, ऐसे में टेक्नोलॉजी को देखते हुए सिर्फ इस मीडियम में नहीं, बल्कि सभी बिजनेस में बदलाव होने जा रहा है। यहां तक कि एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को भी टेक्नोलॉजी के कारण अपने पूरे ऑर्गनाइजेशन और कार्य संरचना को फिर से तैयार करना होगा।
उदाहरण के लिए- कॉल सेंटर का बहुत ही आसान काम है, लेकिन मेरा मानना है कि आज से पांच साल बाद कोई भी कॉल सेंटर पर काम नहीं करेगा। वहां पर रोबोट और मशीनें आ जाएंगी, जो लोगों के सवालों का जवाब देंगी। मेरी भविष्यवाणी है कि आने वाले पांच से आठ सालों में वैश्विक स्तर पर एक बिलियन लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए सभी को अभी से इसके लिए तैयारी करनी होगी। यहां तक कि एजुकेशन सिस्टम को भी नई अप्रोच के साथ फिर से शुरू करना चाहिए। राज्यसभा सदस्य के रूप में मैं यह मामला उठाने जा रहा हूं। भविष्य को देखते हुए शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव होने चाहिए।
मीडिया कंटेट के बारे में जरा विस्तार से बताएं?
मीडिया की बात करें तो आने वाले समय में मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य बड़ी स्क्रीन में भी काफी बदलाव होगा। यह सिर्फ ऑडियो और विडियो मीडियम नहीं रह जाएगा, बल्कि यह एक पूरा मार्केट बन जाएगा, जहां पर आप अपनी जरूरत का सभी सामान खरीद सकेंगे।
आपके कहने का मतलब है कि कंटेंट इसमें अहम भूमिका निभाएगा और मोबाइल का इस्तेमाल कर लोग विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे?
बिल्कुल ऐसा ही होगा।
हमें Zee5 के बारे में बताएं। पिछले 12 महीनों की बात करें तो 50 मिलियन से ज्यादा सबस्क्राइबर इससे जुड़ चुके हैं। आपका कहना है कि समूह की हिस्सेदारी बेचने (stake sale) का एक कारण ग्लोबल स्तर पर टेक्नोलॉजी पार्टनर्स के साथ काम करना और इसके ‘Average revenue per user’ (ARPU) को बढ़ाना है। यदि यह सौदा छह-सात महीने मे होता है तो नया ‘ZEE’ कैसा होगा और यह अब से किस तरह अलग होगा?
हमें ये अच्छी तरह पता है सही कीमत पर बेहतर कंटेंट कैसे तैयार करते हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि ये मान लिया जाए कि कंटेंट पर ‘Zee’ कम खर्च करता है। यह बात सही नहीं है। हमें खर्चों के बारे में, उपकरणों की खरीद और कलाकारों-स्टूडियो के खर्च के बारे में अच्छी तरह से पता है। हमारी मानसिकता कंटेंट मेकर की है। जबकि नेटफ्लिक्स और खासकर अमेजॉन की बात करें तो उसकी व्यापारिक मानसिकता है।
हमारी टीम ने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स का विश्लेषण किया और निष्कर्ष निकाला कि इन कलाकारों के साथ इसी तरह का शो हम 40 प्रतिशत सस्ते में तैयार कर सकते हैं। फिर भी हमारे प्रॅड्यूसर को 15 से 20 प्रतिशत की ग्रोथ मिलेगी और इंटरनेशनल मार्केट में ऐसा करने में हम कामयाब रहे हैं। इन दिनों, इंटरनेशनल मार्केट में हम 12 विदेशी भाषाओं में सर्विस दे रहे हैं। जर्मनी में, जहां का मार्केट काफी विकसित है, वहां कंटेट के मामले में हमारा मार्केट शेयर 1.5 प्रतिशत है। इसके अलावा हमने आधा घंटे का ऑरिजनल रसियन कंटेंट भी तैयार करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा मिडिल ईस्ट में हम अरबी भाषा में एक हफ्ते में दो घंटे का कंटेंट तैयार कर रहे हैं। ‘Zee’ किसी ऐसी टेक्नो मीडिया कंपनी के साथ पार्टनरशिप करेगा, जिसकी ग्लोबल स्तर पर मौजूदगी होगी और जो ओटीटी प्लेटफॉर्म समेत अमेरिका, स्पेन, ब्राजील और अन्य विदेशी भाषाओं में सर्विस दे रही होगी।
भारत की बात करें तो यहां ‘Zee5’ के 500 मिलियन से ज्यादा सबस्क्राइबर्स हैं और हमें लगता है कि अपने पार्टनर के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतने ही और लोगों को अपने साथ जोड़ सकते हैं। मेरा कहना है कि हम साउथ एशिया में 100 मिलियन से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ेंगे और अगले सात-आठ सालों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अन्य 400 मिलियन लोग विडियो देखने लगेंगे। ऐसे में यह विदेश में प्रमुख मीडिया कंपनी होगी, यह स्थिति हम भारत में कभी हासिल नहीं कर सकते हैं।
तो क्या आप ये कहना चाहते हैं कि आने वाले समय में आप विदेश में सूचीबद्ध (listed) कंपनी में शामिल हो जाएंगे?
बिल्कुल, ऐसा हो सकता है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि सात से 10 साल के भीतर यह अलग ही तरह की कंपनी होगी।
आपका पार्टनर कौन होगा, इसे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। कई नामों पर लोग चर्चा कर रहे हैं। क्या आप इस बारे में कुछ बता सकते हैं और आप कैसा पार्टनर तलाश रहे हैं?
इस बारे में तो मैं यही कह सकता हूं कि यह एक ऐसी दुल्हन की तरह है, जिससे शादी करने के लिए कई लड़के कतार में खड़े हैं। हमें पता है कि हमें क्या चाहिए। दरअसल, हम एक ऐसा टेक्नोलॉजी पार्टनर चाहते हैं, जिसे टेक्नोलॉजी में महारत हासिल हो और जो हमें एक ग्लोबल मीडिया कंपनी बनने में मदद कर सके।
बिजनेस के लिए दोनों पक्षों के बीच अच्छा तालमेल होना बहुत जरूरी है, क्या आपने इसकी तैयारी पहले से कर ली है?
हमारे पास बैंकर्स हैं। इनमें से एक इंटरनेशनल बैंकर ‘Goldman Sachs Securities (India) Ltd’ और दूसरा अमेरिकन बैंकिंग एडवाइजर ‘LionTree’ है। हम इस बारे में पहले ही चर्चा कर चुके हैं। यदि हमारा पार्टनर कोई अमेरिकन को-ऑपरेशन होगा तो हम इस आधार पर ऐसे बिजनेस मॉडल पर काम करने के लिए तैयार होंगे कि दोनों को पांच से दस साल के भीतर क्या उम्मीदें हैं। यदि आप हमारा पिछला रिकॉर्ड देखें तो हमारी पार्टनरशिप काफी अच्छी रही हैं।
अभी आपने अमेरिकन का जिक्र किया तो क्या यह अमेजॉन या गूगल है?
नहीं, मैं ये कह रहा हूं कि यदि यह अमेरिकन होगा तो हमें इस दिशा में सारी कवायद दोबारा से करनी होगी। भविष्य को लेकर अमेरिकन को-ऑपरेशन की कुछ अलग अपेक्षाएं होंगी, जबकि रसियन कंपनी अलग तरह से सोचेगी। हमें पार्टनरशिप करनी है। एक बार यह हो जाए तो फिर कोई दिक्कत नहीं है।
जब भी कभी आपसे बात हुई है, आप हमेशा दो कंपनियों डिज्नी और डिस्कवरी की बात करते हैं?
डिस्कवरी एक ट्रेडिशनल मीडिया कंपनी है और ग्लोबल लेवल पर इसका डिस्ट्रीब्यूशन काफी ज्यादा है। इस वजह से मुझे यह कंपनी काफी पसंद है। यदि हम ग्लोबल लेवल की बात करें तो व्युअरशिप के मामले में हम इससे एक कदम ही पीछे हैं। जहां इसे देखने वालों की संख्या 1.5 बिलियन है, हमारी व्युअरशिप 1.3 बिलियन है। रही बात डिज्नी की उसके पास इतनी चीजें हैं, जो भारत में किसी के पास नहीं हैं। उनके पास एम्यूजमेंट पार्क हैं, क्रूज शिप हैं, बच्चों के लिए काफी प्रोग्रामिंग हैं। इसके अलावा भी बहुत कुछ है।
डिज्नी के साथ पार्टनरशिप करने वाले रूपर्ट मर्डोक के बारे में आप क्या सोचते हैं?
उनका मानना था कि वे ऐसी बड़ी टेक्नो मीडिया कंपनी से मुकाबला नहीं कर सकते हैं, जो प्रोग्रामिंग पर बिलियंस में खर्च करती हो। लेकिन मेरी सोच अलग है। डिज्नी में वे सबसे बड़े शेयरधारक हैं और वे बॉब आइजर (Bob Iger) की जगह भी ले सकते हैं। वह काफी स्मार्ट बिजनेसमैन हैं और मेरी नजर से देखें तो उन्होंने डिज्नी को बेचने के बजाय इसे खरीदा है।
जियो और सभी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को खरीदने की इसकी स्ट्रेटजी के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
टेलिकॉम कंपनी के तौर पर उन्होंने काफी अच्छा काम किया है। यहां तक कि उनके प्रतिद्वंद्वी भी कहते हैं कि जिस तरह से जियो सोचता है, वैसा हमने कभी नहीं सोचा। वे भी जियो की तारीफ करते हैं।
क्या अंबानी और सुभाष चंद्रा साथ आएंगे?
कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या होगा। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा। इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
भविष्य के बारे में कुछ कहना चाहेंगे?
टेक्नोलॉजी बिजनेस को बदल देगी। 2055 तक भारत की अर्थव्यवस्था 100 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी और यह वैश्विक स्तर पर नंबर वन हो जाएगा, क्योंकि जनसंख्या इसके पक्ष में है। यह चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ देगा और यह सभी तरह के बिजनेस के लिए काफी नकारात्मक होगा।
साभार- http://www.samachar4media.com/ से