भारतवर्ष में गुरू-शिष्या परम्परा और उनका नाता बहुत विशिष्ट महत्व रखता है। गुरू से प्राप्त शिक्षा और उनके सफर को अपनी कला के माध्यम से जीवंत रखना एक शिष्य के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी रहती है। ऐसी ही जिम्मेदारी का आभास करते हुए प्रख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना गुरू गीता चन्द्रन ने अपनी शिष्या बिंदु शर्मा को सौंपते हुए, रविवार की शाम भरतनाट्यम अरंगेत्रम प्रस्तुतिकरण का आयोजन किया।
मौका था नाट्य वृक्ष द्वारा अपनी संस्थापक-अध्यक्ष व प्रख्यात नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन के नेतृत्व में आयोजित संध्या का। चिन्मया मिशन ऑडिटोरियम में गीता चन्द्रन की शिष्या बिंदु शर्मा की इस विशेष प्रस्तुति देखने के लिए बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे। उनकी भरतनाट्यम प्रस्तुति ने लोगों को मुग्ध कर दिया और बिंदु के आत्मविश्वास और श्रेष्ठ प्रस्तुति की सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। मौके पर पूर्व लोकसभा स्पीकर एवं केन्द्रीय मंत्री शिवराज पाटिल बतौर मुख्यातिथि उपस्थित थे।
अरंगेत्रम किसी भरनाट्यम नृत्यांगना के जीवन का एक अहम मौका होता है, जिसके लिए कई साल के अथक प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। कई बार इसके लिए पारंगत होने में कुछ दशक का समय भी लग जाता है। जब गुरु को यह विश्वास हो जाता है कि अब शिष्य अकेले प्रस्तुति में सक्षम है, तभी अरंगेत्रम का एलान होता है। बिंदु ने अपने प्रदर्शन से गुरु गीता चंद्रन के उसी भरोसे को कायम रखा। उन्होंने सिद्ध किया कि उनकी गुरु का विश्वास और निर्णय कितना सही है। यह गुरु के लिए भी किसी सम्मान से कम नहीं होता। पेशे से बैंकर और उम्र के पांचवें दशक में चल रही बिंदु ने अपने प्रदर्शन से दिखा दिया कि कला के प्रति समर्पण किसे कहते हैं।
बिंदु ने अपनी प्रस्तुति में भरतनाट्यम की कई विधाओं से लोगों को मुग्ध किया। उन्होंने ‘पुष्पांजलि’ के माध्यम से ईश्वर, गुरु और उपस्थित लोगों को नमन करते हुए नृत्य की शुरुआत की। मां सरस्वती की अर्चना में श्लोक गायन के बाद ‘भक्ति वरनम’ पर उनकी प्रस्तुति ने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण के लिए भक्तिरस में डूबी उनकी प्रस्तुति ने सभी को विभोर कर दिया। गुरु गीता चंद्रन ने इस मौके पर कहा, “किसी गुरु के लिए शिष्य की तरफ से यह सबसे बड़ा उपहार है। बिंदु ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उससे मैं बहुत खुश हूं। उनके कौशल, उनकी क्षमता और नृत्य में डूब जाने की कला ने मन मोह लिया।“ बिंदु ने भी इसे अपने जीवन का विशेष पल बताया।
बिंदु को स्कूल के समय से ही भरतनाट्यम का शौक था। स्कूल स्तर पर कई प्रस्तुतियां देने और 80 के दशक में भरतनाट्यम में विशारद करने के बाद नृत्य ने उनकी शिक्षा को और निखारने में मदद की। मद्रास यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी करने के बाद उन्होंने इंदौर से फाइनेंस में एमबीए किया। इसके बाद जीवन की दिशा बदल गई। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सिटीग्रुप फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ गईं। इसके बाद कैरियर, शादी और बच्चों में अगले दो दशक बीत गए। 2014 में उन्होंने फिर नृत्य की ओर रुख करने का मन बनाया। उसी समय एक अच्छे गुरु और प्रशिक्षण केंद्र की तलाश में वह नाट्य वृक्ष पहुंची। यहां गुरु गीता चंद्रन के प्रशिक्षण ने उन्हें नई दिशा दी। बिंदु कहती हैं, “मैं तैराक नहीं गोताखोर बनना चाहती हूं। मैं नृत्य की गहराई में पहुंची हूं। मैं यहां केवल एक सपना पूरा करने आई थी, लेकिन यहां संभावनाओं के अथाह द्वार खुल गए।“ बिंदु ने अपनी जीवन यात्रा में पति अश्वनी के योगदान को भी सराहा।
गुरु गीता चंद्रन एक विख्यात कलाकार हैं, जिन्होंने अपने गुरुओं से मिले ज्ञान को निखारते हुए नृत्य के प्रति अपने निजी विचारों को भरतनाट्यम में समाहित किया। अपनी नृत्य प्रस्तुतियों में उन्होंने प्रसन्नता, सौंदर्य, मूल्यों, लोक कथाओं और आध्यात्मिकता को समाहित किया है। पांच साल की उम्र में पारंपरिक दासी परंपरा से आने वाली श्रीमती स्वर्णा सरस्वती की छत्रछाया में नृत्य सीखने की शुरुआत करने वाली गीता चंद्रन ने कई प्रख्यात गुरुओं से सीखा है। वह युवा पीढ़ी के लिए सच्ची प्रेरणा हैं। वह कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों में बतौर बोर्ड सदस्य सक्रिय हैं। कई प्रसिद्ध स्कूलों, कॉलेजों के सलाहकार बोर्ड और भारत सरकार की समितियों में भी उन्हें स्थान दिया गया है। नई दिल्ली में अपनी अकेडमी नाट्य वृक्ष के माध्यम से वह युवाओं को शिक्षा की सतत यात्रा के रूप में भरतनाट्यम की अपार क्षमताओं से परिचित करा रही हैं।
गुरु गीता चंद्रन को 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भरतनाट्यम के लिए उन्हें 2016 का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया है। इस साल जनवरी में माननीय राष्ट्रपति ने उन्हें यह सम्मान दिया। अपने नृत्य के माध्यम से लैंगिक समानता के लिए आवाज उठाने के कारण जुलाई, 2017 में उन्हें निर्भया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। बहरीन में ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपुल्स ऑफ इंडियन ऑरिजिन ने जनवरी, 2018 में उन्हें इंटरनेशनल वुमन अचीवर्स के पुरस्कार से सम्मानित किया था।
Shailesh K. Nevatia
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