ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव मामले में अपने लिए खुद ही मुश्किलें बढ़ा ली हैं। जिससे भारत को उसे घेरने का एक और मौका मिल गया है। दरअसल, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में अतंरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले के पक्ष में वोट किया है। जाधव के मामले को लेकर भारत आईसीजे गई थी और कथित भारतीय जासूस को मौत की सजा दिए जाने और राजनयिक पहुंच मुहैया न करवाने को चुनौती दी थी।
भारत ने अपने निवेदन में 2004 की अवेना और दूसरे मैक्सिकन नागरिकों के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें आईसीजे ने अमेरिका को विएना संधि और राजनयिक पहुंच न देने का दोषी ठहराया था। अमेरिका ने मैक्सिको के उन नागरिकों को राजनयिक पहुंच प्रदान नहीं की थी जिन्हें कि मौत की सजा सुनाई गई थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते भारत सहित 68 अन्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया। जिसमें अवेना फैसले को पूरा और तुरंत लागू किए जाने की बात कही गई थी। 14 साल बाद भी अमेरिका ने आईसीजे के फैसले को लागू नहीं किया है। आईसीजे संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है।
जाधव के मामले की बात करें तो अगले साल फरवरी में इसकी सुनवाई होगी। इससे पहले आईसीजे ने जाधव को मौत की सजा दिए जाने के पाकिस्तान के निर्णय पर कानूनी कार्यवाही का अंतिम फैसला आने तक रोक लगा दी थी। सरकारी सूत्र ने कहा, ‘हमारा पाकिस्तान से सवाल है कि यदि वह अवेना के फैसले को लागू करवाना चाहता है तो उसे जाधव मामले में इसी तरह के आईसीजे द्वारा दिए फैसले को लागू करने से क्या रोक रहा है?’
सूत्र ने आगे बताया कि पाकिस्तान का वोट विवादास्पद है क्योंकि उसका कहना है कि जाधव मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि पाकिस्तान ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने पर विएना संधि का उल्लंघन किया है। हालांकि पाकिस्तान ने भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान की थी लेकिन उसने आईसीजे में दलील दी थी कि जाधव मामले में विएना संधि लागू नहीं होती है। उसका दावा है कि जाधव एक सेवारत भारतीय नौसेना अधिकारी और रॉ का सिपाही है ।