· ‘जलियांवाला बाग 1919’ पुस्तक वास्तविक दस्तावेज के माध्यम से जलियांवाला बाग क्रूरता के कई अनछुए रहस्यों को सामने लाती है.
· जलियांवाला बाग में 5 अंग्रेजों के मौत के बदले में 2000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था : किश्वर देसाई
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अमृतसर,पंजाब: जलियांवाला बाग कांड की शताब्दी को समर्पित ‘हिंदी हैं हम’ मुहीम के तहत दैनिक जागरण वार्तालाप में द आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज ट्रस्ट की चेयरपर्सन किश्वर देसाई से वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने उनकी पुस्तक ‘जलियांवाला बाग 1919’ एवं जलियांवाला बाग़ क्रूरता के सौ साल पर विस्तार से बात की. इस कार्यक्रम का आयोजन जलियांवाला बाग,स्वर्ण मंदिर मार्ग अमृतसर में आयोजित किया गया.
लेखिका किश्वर देसाई ने कहा ‘अंग्रेज अफसरान हर किसी घटना को लिख के रखा करते थे .इन्ही लिखे हुए दस्तावेजों के जरिये ही यह पुस्तक संभव हो पायी और यह पुस्तक वास्तविक दस्तावेज के माध्यम से जलियांवाला बाग क्रूरता के कई अनछुए रहस्यों को सामने लाती है .दस्तावेजों से यह भी स्पस्ट होता है कि उस समय अंग्रेज अफसरान हिन्दू ,मुस्लिम और सिक्ख एकता के कारण अत्यादिख कुंठित थे.
लेखिका ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बताया की उन्हें जलियांवाला बाग़ कांड पर पुस्तक और रिसर्च करने इच्छा तब हुई जब उन्हें पता चला कि जहाँ पर देश का इकलोता पार्टीशन म्यूजियम बनाया गया है उसी टाउन हॉल को 100 वर्ष पहले जलाया गया था. इस पुस्तक में लोगों के आखों देख हाल बयां किया गया है .यह पुस्तक इस काण्ड के कुछ नए पन्नो को उजागर करती है . जब अंग्रेजो ने पंजाब के दो प्रमुख लीडर जो कि एक हिन्दू और एक मुसलमान थे दोनों को गिरफ्तार कर लिया था तो 13 अप्रैल 1919 को पुरुष और बच्चे एक साथ इस टाउन हॉल में दोनों लोगो की रिहाई के लिए इकट्ठा हुए थे ,वे लोग नही जानते थे कि जर्नल डायर इतनी निची हरकत करेंगे. जर्नल डायर ने इन लोगों को सबक सिखाने के लिए तथा भविष्य में आम लोग इस तरह के विरोध करने से डरने लगे ,निहथ्थे पुरुषों और बच्चों पर अन्धाधुन गोलियों की बोछार कर दी गयी थी .और इस नरसंहार में अधिकतर लोगों को पीठ, पैरों और जाँघों पर गोली लगी थी क्योकि सभी लोग जान बचाने के लिए भागने लगे थे .
आगे लेखिका ने कहा जलियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्याय था. 5 अंग्रेजों के मौत के बदले में 2000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था .अंग्रेज चाहते थे की वो चाहे कितने भी भारतीयों को मारें मगर कोई भी भारतीय किसी गोरी चमड़ी वाले अंग्रेज को नही मार सकता .
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यह भी अपने तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है इस मासिक आयोजन में लेखकों के साथ उसकी नवीनतम कृति पर बातचीत की जाती है, कोशिश ये की जाती है कि साहित्य से जुड़े लोगों के अलावा अन्य क्षेत्र के लोगों को भी आमंत्रित किया जाए ताकि पढ़ने की आदत का विकास हो सके, जागरण वार्तालाप का उद्देश्य पुस्तक और पाठक संस्कृति का विकास करना है.
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संतोष कुमार
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