पाकिस्तान शिष्टाचार और व्यावहारिकता के मामले में भी कंगाल है। अपने पूर्वजों की निशानियां और धरोहर सहेज कर कैसे रखी जाए, उसे यह तक मालूम नहीं। कहते हैं, जो कौम अपने बुजुर्गों की निशानियां बचाकर नहीं रखती, वह हमेशा सांस्कृतिक तंगहाली का शिकार रहती है।
पाकिस्तान में हिन्दुओं की कोठियां, हवेलियां और धार्मिक महत्व के स्थलों को तोड़कर बिल्डरों की मिलीभगत से बहुमंजिले बाजार बनाए जा रहे हैं। जो इमारतें बच गई हैं, उनकी स्थिति दयनीय है और इन पर भी बिल्डरों की नजर है
पाकिस्तान में हिन्दू धर्म से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल खतरे में हैं। 1947 में देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान छोड़कर जाने वाले अधिकांश हिन्दुओं की आलीशान हवेलियां खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। इसके अलावा, बिल्डरों के प्रपंच से बची-खुची इमारतों को ढहाकर उस पर मार्केट कॉम्प्लेक्स खड़े किए जा रहे हैं। हिन्दुओं और हिन्दू धर्म से जुड़ीं यहां की तमाम धरोहर शिल्पकारी का बेहतरीन नमूना हैंं। आज भी जो इमारतें बची हुई हैं, उनकी भव्यता और कलाकृति देखते ही बनती है। लेकिन किसी को भी इसकी परवाह नहीं है।
विभाजन से पहले पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी तकरीबन 23 प्रतिशत थी। उस समय कराची, पंजाब और सिंध में बहुतायत में हिन्दू धर्मावलंबी रहते थे। पाकिस्तान मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में बसे वंचितों को छोड़ दें तो बंटवारे से पहले यहां बड़ी संख्या में हिन्दू व्यापारी और अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी रहा करते थे। इनके अलावा पाकिस्तान में हिंदू जागीरदारों और जमींदारों की तादाद भी अच्छी-खासी थी। उनकी आवासीय कोठियां और हवेलियां, और भित्ति चित्र स्थापित कला का नमूना थे, जो अब तबाह हो चुके हैं।
बंटवारे के बाद हिन्दुओं पाकिस्तान छोड़ने के उपरांत इन आलीशान धरोहरों को तत्कालीन पाकिस्तान सरकार ने कौड़ियों के भाव वैसे मुस्लिम शरणार्थियों को सौंप दिया था, जिनकी हैसियत इनके रख-रखाव तक की नहीं थी। ऐसे लोगों ने इन हवेलियों और कोठियों की तमाम बहुमूल्य वस्तुएं बर्बाद कर दीं और बाद में उन भवनों को ही बिल्डरों के हाथों बेच दिया। वहां के एक पत्रकार ने पाकिस्तान में हिन्दुओं की बनाई गई इमारतों का जायजा लेने के बाद लिखा है कि कई सुंदर इमारतों की दीवारों में रोशनदान बनाने के लिए जगह-जगह छोटे-छोटे चौकोर छेद कर देने से उनका सौंदर्य चौपट हो गया। यहां तक कि पेशावर में अभिनेता पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और शाहरुख खान की पुश्तैनी हवेलियां भी खतरे में हैं। अपने पूर्वजों की धरोहर को बचाने में पाकिस्तान सरकार की रुचि नहीं होने के कारण पुराने भवनों को जर्जर घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट मेंं कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन ने हैदराबाद में‘तिलक इंक्लाइन’ पर एक हिन्दू व्यापारी के ‘खयानी हवेली’ के नाम से आलीशान भवन को ‘खतरनाक’ बताकर ढहा दिया।
पाकिस्तान में हिन्दू धर्मस्थलों के आसपास पहले हिन्दू धर्मावलंबियों की आबादी हुआ करती थी। उनमें कई की बड़ी रिहायशी इमारतें भी हुआ करती थीं। विभाजन के बाद इन भवनों को शरणार्थियों को सौंप दिया गया था। इसमें से अधिकांश हवेलियां अब बिक चुकी हैं। इन दिनों अधिकांश हिन्दू कराची और लाहौर की ‘चॉल’ में रहते हैं। हैदराबाद के हिरबाद में तोपनदास जयसिंह साहनी की आलीशान कोठी थी। स्थानीय निवासी सैयद मोहम्मद शाह बताते हैं कि तकरीबन 82 साल पुरानी यह इमारत 2016 तक अपेक्षाकृत ठीक थी। मगर अनदेखी की वजह से इस वर्ष इसका आधा हिस्सा ध्वस्त हो गया। आरोप है कि इसे एक साजिश के तहत ढहाया गया है ताकि इस पर मार्केट कॉम्प्लेक्स खड़ा किया जा सके। भवन के अंदर जो कीमती सामान था वह अब गायब हैं। केवल दीवार पर पूजा में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी से निर्मित त्रिकोणीय आकार की अलमारी छोड़ दी गई है। आस-पड़ोस के लोग इमारत के ध्वस्त हिस्से की र्इंटें तक उठा कर ले गए। पुराने हैदराबाद में पहले पुरानी दिल्ली और लाहौर जैसी संकरी गलियां हुआ करती थीं, जिनमें लकड़ी के बड़े और उंचे दरवाजे वाली इमारतें हुआ करती थीं। इस शहर को 1768 में गुलाम शाह काल्होरो ने बसाया था। वह अपनी सत्ता पहाड़ी पर बने किले से चलाया करता था, जबकि शहर किले के इर्द-गिर्द बसा हुआ था। बाद के दिनों में शहर का काफी विस्तार हुआ। पाकिस्तान के सिंध प्रांत का यह प्रमुख शहर कभी पार्कों और झीलों के लिए जाना था। लेकिन वर्तमान में यहां हर तरफ भीड़-भाड़ का आलम है। व्यापारिक केंद्र होने के नाते शहर का तेजी से व्यावसायीकरण हो गया है। यहां प्रॉपर्टी की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में तमाम बिल्डरों की नजर हिन्दुओं की हवेलियों और कोठियों पर है। इस संपत्ति को शरणार्थियों से कौड़ी के भाव खरीद कर उस पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं। हैदराबाद में आज भी आडवाणी लेन मौजूद है। शहर के कोहिनूर, रेशम गली से चैंप्स-एलिसेस के इलाके में अभी भी हिन्दुओं द्वारा बनवाई गई कई खूबसूरत इमारतें अच्छी स्थिति में देखने को मिल जाती हैं।
मलेशिया के क्वालालंपुर से एक हिन्दू मंदिर को स्थानांतरित करने पर जब शहर सुबंग जया में बवाल मचा हुआ था, उसी समय पाकिस्तान के कराची शहर की इंप्रेस मार्केट के आसपास फुटपाथ पर व्यापार करने वाले हिन्दुओं की दुकानें तोड़ी जा रही थीं। यह कार्रवाई पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अवैध निर्माण हटाने के नाम पर की गई। इस कार्रवाई में 1700 निर्माण ढहाए गए, जिससे बड़ी संख्या में हिन्दुओं की रोजी-रोजगार छिन गया। यहां अधिकांश हिन्दू पिसे हुए मसालों, सूखे मेवे और फल-सब्जियोंं का कारोबार करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था करने के आदेश दिए थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसका पालन नहीं किया।
मां के साथ 40 वर्षों से सूखा मेवा बेचने वाली बानी के पति दिहाड़ी मजदूर हैं। प्रशासन के तानाशाही रवैये के कारण दस हजार हिन्दू परिवार प्रभावित हुए हैं। दुकानदारों का आरोप है कि कराची के महापौर वसीम अख्तर ने उजाड़े जाने से पहले उन्हें दुकानें देने का भरोसा दिया था, पर यह झूठा साबित हुआ। इस ‘धोखाधड़ी’ के विरोध में इंप्रेस मार्केट के आसपास व्यापार करने वाली हिन्दू महिलाओं ने 23 नवंबर को कराची प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन भी किया। कराची अतिक्रमण विभाग के निदेशक बशीर अहमद सिद्दिकी के मुताबिक, मेयर द्वारा दुकानदारों को शाहबुद्दीन मार्केट और पार्क प्लाजा में वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की जानकारी देने के बाद ही कार्रवाई की गई है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है व कार्रवाई का भरोसा दिया है।
आतंकवाद को पोस रहे पाकिस्तान की देश-दुनिया में जो थोड़ी-बहुत छवि बची है तो उसमें हिन्दू समुदाय की भूमिका अहम है। उन्हें देखकर देश में लोकतंत्र की आस जगती है। पाकिस्तान में कुछ हिन्दू सियासत से लेकर फिल्म, गायन, खेल, फैशन डिजाइनिंग, उद्योग आदि कई क्षेत्रों में स्थापित हैं। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, गैर मुस्लिम समुदाय का कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। इसके बावजूद न्यायमूर्ति राणा भगवान दास पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। विभाजन के बाद देश को व्यवस्थित करने में जोगेंद्र नाथ मंडल की अहम भूमिका थी। वे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के सहयोगी, पाकिस्तान की पहली संविधान सभा के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री भी रहे।
1950 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में दंगा भड़कने के बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। कहते हैं, वे वंचितों, पिछड़ों को न्याय नहीं दिला पाए और विचलित होकर कोलकाता चले आए, जहां 1968 में उनका निधन हो गया। इनके अलावा, पाकिस्तान के प्रमुख हिन्दुओं में जगदीश चंद आनंद की भी गिनती होती है। वे रिश्ते में बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला के मामा और कराची के प्रमुख फिल्म निर्माता और वितरक थे। उन्होंने पाकिस्तान की पहली सिल्वर जुबली फिल्म ‘सस्सी’ बनाई थी। 1977 में उनके निधन के बाद परिवार के सदस्यों ने कारोबार को संभाल रखा है। उनके बेटे सतीश आनंद एवरीडे समूह के मालिक हैं। संगीता, पाकिस्तान की चर्चित अदाकारा रही हैं। कृष्ण लाल भेल पाकिस्तान के सरोकारी, मारवाड़ी, पंजाबी और उर्दू के प्रसिद्ध गायक थे। कई हिन्दू खेल और राजनीति में भी सक्रिय हैं। कराची के अनिल दलपत मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान की कप्तानी में क्रिकेट खेल चुके हैं। दानिश कनेरिया भी पाक टीम के सदस्य रहे हैं। चर्चित स्नूकर खिलाड़ी नवीन परवानी ने 2002 के एशियाई खेलों में पाकिस्तान को कांस्य पदक दिलाया था। उनके भाई दीपक देश के प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर हैं। राणा चंद्र सिंह, सोबो गियानचंदानी, डॉ. महेश कुमार मालानी, ईश्वर लालनी, रीता ईश्वर, नंदकुमार आदि पाकिस्तान में जाने-माने सियासती चेहरे हैं।
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