Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeश्रद्धांजलिआकाशवाणी की दिलकश आवाज़ विनोद कश्यप नहीं रही

आकाशवाणी की दिलकश आवाज़ विनोद कश्यप नहीं रही

अस्सी के दशक में जब आकाशवाणी ही समाचारों का सशक्त व एक मात्र माध्यम थी तब सुबह 8 बजे दोपहर 2 बजे और रात पौने नो बजे आकाशवाणी पर एक धीर गभीर मगर सम्मोहित सी करने वाली आवाजड़ गूँजती थी। ये आकाशवाणी है, अब आप विनोद कश्यप से समाचा सुनिए और फिर 10 से 15 मिनट तक रेडिओ और ट्रांजिस्टर को घेरे बैठे लोग चुपचाप बगैर किसी कानाफूसी के पूरे समाचार सुनते और जैसे ही ये वाक्य आता था, समाचार समाप्त हुए तब जाकर श्रोताओं में कोई हलचल होती थी। आकाशवाणी की ये सदाबहार आवाज़ अब खामोश हो गई। 88 वर्षीय विनोद कश्यप जी का निधन हो गया। देवकीनंदन पांडे जी के बाद शायद ही उनसे अधिक कोई लोकप्रिय हिन्दी न्यूज रीडर रहा हो। वो एक पंजाबी परिवार से आती थीं। आकाशवाणी में लगभग तीन दशकों तक उनके साथी न्यूज रीडर श्री राजेन्द्र अग्रवाल जी बता रहे थे कि वो दफ्तर में कभी एक मिनट भी देर से नहीं आती थीं। मौजूदा खबरिया चैनलों के शोर से पहले विनोद कश्यप, देवकीनंदन पांडे, अशोक वाजपेयी, अनादि मिश्र जैसे दिग्गजों से कई पीढ़ियों ने खबरें सुनीं। उस दौर में खबरें कायदे से सुनाई जाती थीं। इसलिए उन समाचार वाचकों से सुनने वाले जुड़ते भी थे। (वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला की फेसबुल वॉल से)

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार