“स्वदेशी जागरण मंच” के अखिल भारतीय संगठक श्री. कश्मीरी लाल जी ने मुम्बई में पत्रकारों को बताया कि ८ और ९ जून २०१९ को पूना में “अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिषद” की बैठक आयोजित होने वाली है, जिसमें आगामी योजनाओं की घोषणा की जाएगी। नई सरकार के गठन के बाद निम्न चुनोतियों के बारे में सरकार से भी चर्चा की जाएगी।
१. चीन से व्यापार घाटा कम हो रहा है:
लगभग दो दशक से सबसे तेज अर्थव्यवस्था, ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ एवम जिस चीन के मॉडल को दुनिया के कई देश एक आदर्श के रूप में मान रहे थे, आज वह गिरावट पर है। उसकी जीडीपी ग्रोथ घट रही है. विदेशी व्यापार में धीमेपन के कारण विदेशी मुद्रा भंडार घटकर चार हजार अरब डॉलर से अब तीन हजार अरब डाॅलर रह गया है. चीन की कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं. पिछले साल चीन के निर्यातों में भी ४.४% की भारी कमी आयी है. कई देशों में अब चीनी आयातों पर आयात शुल्क बढ़ाकर उनको रोका जा रहा है.
अप्रैल २०१८ से दिसंबर २०१८ के बीच चीन द्वारा भारत को किये जानेवाले निर्यातों में पिछले वर्ष की तुलना में ६.६ अरब डॉलर की कमी आयी, और पूरे एक वर्ष में १० अरब डॉलर का हमारा व्यापार घाटा चीन से कम हुआ है।
इधर अमरीका के साथ भी व्यापार युद्ध भी भारत के हित में और चीन के विरुद्ध जाता है।
“स्वदेशी जागरण मंच” का सोचना है कि ऐसे में जनता, व्यापार जगत व आगामी सरकार चीनी आयातों के विरुद्ध एकजुट होकर डट जाती है, तो बड़े सुखद परिणाम नज़र आएंगे। मंच कई प्रकार के जनजागरण के कार्यक्रम इस दृष्टि से पहले की भांति नियोजित करने वाला है।
२. पेप्सिको द्वारा भारतीय किसानों को धमकाना:
गुजरात में बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको ने कुछ आलू किसानों पर १ करोड़ रुपये से ज्यादा के मुआवजे का मुकदमा ठोक दिया था। कंपनी का आरोप था कि किसानों ने उसके कॉपीराइट वाली खास किस्म के आलू, एफसी-५ टाइप, का उत्पादन किया है। स्वदेशी जागरण मंच, किसान संगठनों, सोशल मीडिया और राजनीतिक दबाव के बाद पेप्सिको ने किसानों पर बिना शर्त मुकदमा वापिस ले लिया है। यद्यपि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बीज का पेटेंट हो ही नहीं सकता, यह घटना साबित करती है कि उदारीकरण के दौर में देश की खेती-किसानी को किस तरह की चुनौती मिलने वाली है। अतः आर्गेनिक खेती, मोनसैंटो के जी एम सीड्स से सुरक्षा व किसानों के अधिकारों की रक्षा की बहुत आवश्यकता दिखाई देती है। “स्वदेशी जागरण मंच” इस लड़ाई को आगे बढ़ाने वाला है।
३. फ़ूड फोर्टीफिकेशन के नाम पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का षडयंत्र:
गत वर्ष महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने २४ अगस्त को भोजन में फोर्टिफिकेशन को लेकर राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया था। यानी फोर्टिफिकेशन से कुछ सुक्ष्म पोषक तत्वों के सस्ते विकल्प ढूंढे जाएंगे। उदाहरण के लिए विटामिन डी को जानवरों से प्राप्त किया जाता है। हमारा मानना है कि इस फैसले से लाखों गरीब भारतीयों की जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मंच का दावा है कि फूड फोर्टिफिकेशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और कच्चे माल के आयात से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रधान मंत्री को लिखे अपने पत्र में जागरण मंच का कहना है कि फूड फोर्टिफिकेशन को लेकर फूड इंडस्ट्री के अपने हित हैं और उनका आम आदमी के स्वास्थ्य का इन फैसलों से कोई लेना-देना नहीं है। हमारा मानना है कि इसमें टाटा ट्रस्ट, ग्लोबल अलायंस फॉर इंप्रूव्ड न्यूट्रिशियन (गेन), बिल एंड मिंलिडा गेट्स फाउंडेशन, क्लिंटन हेल्थ इनिशिएटिव, फूड फोर्टिफिकेशन इनिशिएटिव एंड न्यूट्रिशनल इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लाइफ सांइसेज इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों और कंपनियों के अपने निजी हित शामिल हैं।
वैसे ही मंच का कहना है कि इस बात को जांचने का कोई तरीका नहीं है जिसमें किसी व्यक्ति को फोर्टिफिकेशन से होने वाले नुकसानों का पता लगाया जा सके। मंच का कहना है कि अनिमिया मुक्त कार्यक्रम के तहत आयरन सप्लीमेंट और विटामिन ए के ओवरडोसेज से नुकसान होने की आशंका है।
मंच ने चिंता जाहिर ककरते हुए कहा है कि वास्तविक खाने की बजाय फोर्टिफिकेशन फूड को जरूरी बनाने से छोटी कंपनियों को नुकसान पहुंचेगा। साथ ही फोर्टिफिकेशन को आवश्यक बनाने से किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे और वह अपनी मनमर्जी से भोजन नहीं खा पाएगा।
मंच का कहना था कि मेडिकल शोध पत्रों के मुताबिक खाद्य पदार्थों में आयातित सिंथेटिक विटामिनों से जनता की सेहत को फायदा पहुंचने की बजाय नुकसान पहुंचेगा।
अपने पत्र में “स्वदेशी जागरण मंच” ने अपील की है प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें दखल दे और जब तक सभी मुद्दों का हल नहीं निकल जाता, तब तक कोई फैसला नहीं लिया जाए। चाहे प्रधान मंत्री ने इस पत्र का संज्ञान लेते हुए करवाई का भरोसा दिया है, परंतु इस विषय पर जनजागरण की महती आवश्यकता है।
स्वदेशी जागरण मंच पूरे देश मे स्वरोजगार, विषमुक्त आहार व पर्यावरण रक्षण एवम पारिवारिक संस्कार पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, और अपनी पूना बैठक में आगामी व्यूहरचना तैयार करेगा।