सियालकोट। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक अच्छी खबर है। यहां के एक प्राचीन मंदिर को 72 साल बाद श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया है। शावल तीजा मंदिर को संघीय सरकार के निर्देश पर खोला गया है, जो बंटवारे के समय से ही बंद था।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की मांग को पूरा करते हुए शावल तीजा मंदिर को हाल में हिंदू विधि-विधान के साथ खोला गया। मंदिर समिति के उप सचिव सैयद फराज अब्बास ने कहा, हिंदू समुदाय कई साल से इस मंदिर को खोलने की मांग कर रहा था। मंदिर की मरम्मत कराने के लिए लागत का अनुमान लगाया जा रहा है। देवी-देवताओं की मूर्तियां भारत से मंगाई जाएंगी।
यह मंदिर बंटवारे के समय से ही बंद था और प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देश पर इसे खोला गया है। हाल में सरकार ने सियालकोट के 500 साल पुराने गुरुद्वारे बाबे-दी-बेर को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला किया था। इससे पहले तक भारतीय श्रद्धालुओं को इस गुरुद्वारे में जाने की इजाजत नहीं थी।
इस गुरुद्वारे को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव साहिब की याद में उनके एक अनुयायी सरदार नत्था सिंह ने बनवाया था। बताया जाता है कि 16वीं सदी में कश्मीर यात्रा से सियालकोट लौटे गुरु नानक देव ने इसी जगह पर बेर के एक पेड़ के नीचे विश्राम किया था।