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अभय मिश्रा की नयी पुस्तक ‘माटी मानुष चून’ के लोकार्पण व परिचर्चा

कार्यक्रम : लोकार्पण व परिचर्चा – ‘माटी मानुष चून’ – अभय मिश्रा

दिनांक व समय : 17 जुलाई, 2019, सांय 4:00 बजे

स्थान : कॉन्फ्रेंस हॉल, सी. वी, मैस, जनपथ, नई दिल्ली -110001

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र एवं वाणी प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान से युवा रचनाकार एवं पर्यावरणविद अभय मिश्रा की नयी पुस्तक ‘माटी मानुष चून’ के लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन 17 जुलाई 2019 इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, कॉन्फ्रेंस हॉल, सी. वी, मैस, जनपथ, नई दिल्ली-110001 में आयोजित किया गया है। लोकार्पण व परिचर्चा की अध्यक्षता श्री रामबहादुर राय अध्यक्ष, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, करेंगे। डॉ. सच्चिदानंद जोशी सदस्य सचिव, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, प्रो. मौली कौशल विभागाध्यक्ष, जनपदा सम्पदा विभाग और श्री सोपान जोशी लेखक एवं पत्रकार कार्यक्रम में पुस्तक पर अपना वक्तव्य देंगे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रमेश चन्द्र गौड़ विभागाध्यक्ष कलानिधि, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र व धन्यवाद ज्ञापन वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी द्वारा किया जाएगा।

‘माटी मानुष चून’ पुस्तक के बारे में…

नारों और वादों के स्वर्णयुग में जितनी बातें गंगा को लेकर कही जा रही हैं यदि वे सब लागू हो जायें तो क्या होगा? बस आज से 55-60 साल बाद सरकार और समाज के गंगा को गुनने-बुनने की कथा है-‘माटी मानुष चून’।

बेशक सन् 2074 का समाज भी अलग होगा, संस्कृति भी बदले रूप में सामने होगी और तकनीक अपने उत्तर-आधुनिक स्वरूप में इनसान को वापस प्रकृति से जोड़ने का दावा कर रही होगी। ऐसे समय में जब गंगा पथ का समाज पानी की किल्लत, बाढ़ की विभीषिका, आर्सेनिक का कहर, मिट्टी कटाव और तेज़ी से बढ़ते डेल्टा का सामना कर रहा है। तब हमारे पास एक ऐसी गंगा है जिसमें सम्पन्न जलमार्ग और फूलों की खेती से अमीर हो चुके किसान हैं। भारत वाटर फुटप्रिंट का अहम खिलाड़ी बना हुआ है और फिशिंग का अर्थशास्त्र पूरी तरह बदल चुका है। शुद्ध गंगा जल बाज़ार में मौजूद है और पर्यावरणीय बदलावों के चलते कटाव ने एक बड़े इलाके को समुद्र बना दिया है। आज से आधी सदी बाद गंगा पथ के शहरों का कायापलट होकर वहाँ बुलेट ट्रेन चल रही होगी और उनके सीवेज को पूरी तरह ट्रीट करने में सफलता मिल चुकी होगी। गाद मैनेजमेंट एक बड़ी इंडस्ट्री होगी, इन सबसे बढ़कर स्वच्छता अभियान के अवैज्ञानिक परिणाम सामने आने लगेंगे। ये सभी विषय आशंकित करते हैं लेकिन अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है।

कहते हैं मुँह से निकले शब्द कहीं नहीं जाते बल्कि यहीं, हमारी समझ से इतर विचरते रहते हैं, इसी तरह जड़ों से उखड़े या उखाड़े गये लोग भी वापस आते हैं, पीढ़ियों के बाद ही सही लेकिन आते हैं। और जब आते हैं तो अपने साथ एक तूफ़ान लेकर चलते हैं। गंगा पथ से उजाड़े गये लोग भी वापस आयेंगे कुछ सौ सालों बाद, तब क्या हमारे पास हिम्मत होगी उनका सामना करने की।

इस कहानी में भी साक्षी वापस आयी है, कई पीढ़ियों के बाद, अपनी जड़ों की तलाश में, कुछ सुनी-सुनायी कहानियों की बदौलत वह मिलना चाहती है अपनी ज़मीन से, अपने वजूद को ढूँढ़ ख़ुद के अधूरेपन को पूरा करने की कोशिश करती है।

लेखक परिचय

अभय मिश्रा की जन्म और पढ़ाई-मध्य प्रदेश में हुई। उनके पिताजी सरकारी नौकरी में थे इसलिए प्रदेश के कई हिस्सो ( सीधी, रीवा, अम्बाह, होशंगाबाद, खण्डवा, इन्दौर, भिण्ड, ग्वालियर और भोपाल) की संस्कृति ने पोसा।

उन्होनें माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में डिग्री ली। रोजी रोटी की चिन्ता दिल्ली ले आयी वाया हैदराबाद।

उन्हें नवभारत, ईटीवी, वायस ऑफ़ इंडिया, राज्यसभा टीवी सहित कई चैनलों और अख़बारों में काम करने का मौका मिला। जब मुख्य धारा का मीडिया भरोसा पैदा नहीं कर पाया तो स्वतन्त्र लेखन की तरफ़ मुड़ गये। यथावत में पिछले पाँच सालों से नदियों पर नियमित कॉलम। द प्रिंट, जनसत्ता सहित डिजिटल और प्रिंट माध्यम में स्वतन्त्र लेखन।

उन्होनें पूरे गंगापथ (गोमुख से गंगासागर) की अब तक चार बार यात्रा की। देश की तक़रीबन सभी नदियों को छूकर देखने-समझने की कोशिश अनवरत जारी। विभिन्न स्कूलों में बच्चों के साथ नदी संस्कृति और उसके बदलाव पर बातचीत होती रहती है। उन्होनें पंकज रामेन्दु संग दर दर गंगे लिखी जो गंगा पर आधारित फ़िक्शनल ट्रैवेलॉग है।

वह इन दिनों इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में नदी संस्कृति को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

वाणी प्रकाशन के बारे में…

वाणी प्रकाशन 56 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 18 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो, पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव सम्मान प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउन्सिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ में कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया। व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपनी 51वी वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्रोत हैं।

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्तरीय प्रयास करना।

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मानप्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया है।

विस्तृत जानकारी के लिए हमें ई-मेल करें Marketing@vaniprakashan.in

या वाणी प्रकाशन के इस हेल्पलाइन नम्बर पर सम्पर्क करें : +919643331304

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