भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की है। यह ऐसी स्वास्थ्य योजना है जिसके दायरे में आने वाले हर परिवार को 5 लाख रुपए तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाता है। 10 करोड़ बीपीएल धारक परिवार भी इस योजना का सीधा लाभ ले सकते हैं। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती पर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से आरम्भ किया था। आइये इस योजना के बारे में खास बातें और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को समझते हैं।
रजिस्ट्रेशन की स्टेटस ऐसे पता करें
आयुष्मान भारत योजना में आपका नाम है या नहीं इसे पता करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://www.pmjay.gov.in/ पर चेक किया जा सकता है। इसके लिए आप सबसे पहले वेबसाइट विजिट करें। यहां होम पेज पर एक बॉक्स दिखाई देगा। इसमें संबंधित व्यक्ति आपना मोबाइल नंबर दर्ज करेगा और उस पर जो ओटीपी आएगा उसे वेरीफाई करें। इसके बाद आपको पता लग जाएगा कि आपका नाम रजिस्टर्ड है या नहीं। इसके अलावा टोल-फ्री नंबर 14555 पर कॉल करके योजना में नाम की स्टेटस पता की जा सकती है। इसके अलावा अस्पतालों में जाकर स्वयं भी इसका पता लगाया जा सकता है।
अस्पताल में इस तरह मिलेगा योजना का लाभ
जब भी मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो उसे बीमा संबंधी कागजात देना होते हैं। इस आधार पर अस्पताल की ओर से संबंधित बीमा कंपनी को इलाज के खर्च के बारे में सूचित किया जाएगा।
आयुष्मान भारत योजना के संबंध में अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको आधार कार्ड की जरूरत नहीं है। इसके बिना भी आप इस योजना के लिए प्रयास कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता नहीं है।
आयुष्मान योजना के तहत नवजात बच्चों की सेहत, किशोर स्वास्थ्य सुविधा, संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों, आंख, नाक, गला, कान संबंधी रोग, डिलीवरी संबंधी केस आदि के इलाज की सुविधा है। इतना ही नहीं, इस योजना के तहत बुजुर्गों का भी इलाज करवाया जा सकता है।
योजना के पहले भाग में करीब 10.74 लाख परिवारों के लिए 5 लाख रुपए तक का निशुल्क स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है। दूसरे भाग में देश भर में वेलनेस सेंटर हैं जो कि इलाज के साथ ही दवाइयां भी निशुल्क देते हैं। मध्यप्रदेश में 700, छत्तीसगढ़ में 1000, राजस्थान में 505, महाराष्ट्र में 1450, हरियाणा में 255, बिहार में 643 और झारखंड में 646 केंद्र हैं।
दायरे में 1354 बीमारियां
योजना के दायरे में आएंगे प्रदेश में संभावित परिवार- 1 लाख 20 हजार
प्रति परिवार प्रीमियम- 1200
योजना के लिए अनिवार्य शर्त
-अस्पताल में भर्ती होने पर ही बीमा की सुविधा मिलेगी। इसमें डे केयर को भी शामिल करने की तैयारी है।
– मरीज को जनरल वार्ड में ही भर्ती होना होगा।
इन्हें मिलेगा योजना का फायदा
– 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना में शामिल परिवार।
– खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले परिवार व असंगठित मजूदर।
इन्हें नहीं मिलेगा योजना का फायदा
हितग्राहियों के चयन के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया है। इसके बाद कोई परिवार गरीबी रेखी के नीचे आ गया तो भी उसे योजना का फायदा नहीं मिलेगा। इसी तरह से 2011 में कोई गरीबी रेखा में था। अब इससे ऊपर आ गया है तो भी उसे बीमा का फायदा मिल जाएगा। किसी महिला का मायके और ससुराल दोनों जगह नाम है तो वह दोनों जगह इलाज करा सकेगी।
बीमित व्यक्ति का इलाज करने के लिए स्वास्थ्य विभाग निजी और सरकारी अस्पतालों को चिन्हित करेगा। अस्पतालों में संसाधन और सुविधाओं को मूल्यांकन करने के बाद ही उन्हें मान्यता दी जाएगी। मान्यता के लिए नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल (NABH) सर्टिफिकेट की शर्त लगाई जाएगी। जिन अस्पतालों को यह सर्टिफिकेट अभी नहीं मिला है उन्हें तय अवधि में आवेदन करना होगा। बता दें कि यह सर्टिफिकेट क्वालिटीक काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से अस्पतालों को दी जाती है।
देश में कहीं भी लिए जा सकेंगे योजना के लाभ
योजना के लाभ पूरे देश में कहीं भी लागू किए जा सकते हैं, और इस योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी को देश भर के किसी भी सार्वजनिक या निजी अन्तर्गत अस्पताल से कैशलेस (बिना पैसे दिये) लाभ लेने की अनुमति होगी। SECC डेटाबेस में दिए गए मानदंड के आधार पर तय होगा कि किसे योजना का लाभ उठाने का हक है। यह लगभग 10.74 करोड़ गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों और विस्तृत शहरी कर्मचारियों के परिवारों को लक्षित करेगा।
योजना के तहत प्रीमियम की 60 फीसदी राशि केन्द्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को देना होगी। हालांकि, प्रति परिवार प्रीमियम का खर्च 1200 रुपए साल से ज्यादा जाता है तो अतिरिक्त राशि राज्य सरकार को ही देना होगी। इसी तरह से केन्द्र सरकार ने सभी बीमारियों के इलाज के लिए पैकेज की राशि तय कर दी है। हालांकि राज्य सररकार चाहे तो पैकेज में संशोधन कर सकती है। वजह, शहर के अनुसार बीमारियों का खर्च अलग-अलग होता है। इसमें शर्त यह है कि पैकेज अधिकतम 10 फीसदी ही कम ज्यादा किया जा सकता है।
पोर्टेबिलिटी – इस योजना में पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी रहेगी। कोई परिवार दूसरे राज्यों में जाकर रहने लगा है तो वहां के अस्पतालों में इलाज करा सकेंगा।
सदस्यों की बंदिश नहीं – पहले से चल रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में प्रति परिवार प्रति साल 30 हजार का इलाज किया जाता है। इसमें परिवार के सिर्फ पांच सदस्यों को फायदा मिलता था आयुष्मान भारत योजना में सदस्यों की सीमा नहीं है।
बिना कार्ड इलाज – अगर मरीज के पास कार्ड नहीं है तो उसे अपना रजिस्टर्ड मोबाइल, नंबर समग्र आईडी या आधार कार्ड नंबर बताना होगा। खोजने पर पोर्टल में नाम मिल जाता है तो उसका इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इसका फायदा उन मरीजों को ज्यादा होगा इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचते हैं।