आजमगढ़ 16 सितंबर 2019. मॉरीशस से पधारे विश्व हिंदी सचिवालय के सेक्रेटरी जनरल प्रो.विनोद कुमार मिश्र ने कहा की मॉरीशस में बसता है छोटा भारत और लोग भोजपुरी बोलते हैं,भोजपुरी फिल्म और लोक संगीत में अश्लीलता परोसने वाले लोगों का बहिष्कार दर्शक को करना होगा, क्योंकि बाजारवाद इतना हावी हो गया है कि, ना हम हिंदी में कुछ उखाड़ पाए ना भोजपुरी में, क्योंकि बहुत से ऐसे विश्व विख्यात हिंदी के लेखक पूर्वांचल के भोजपुरी क्षेत्र से हैं,लेकिन अपनी मातृभाषा भोजपुरी के लिए कुछ नहीं हुआ,भोजपुरी फिल्मों व लोक संगीत के पवित्र भावों को अश्लीलता के रूप में परोस कर बाजारवाद चलाने वाले लोगों का बहिष्कार मजबूती से हम सभी दर्शकों को करना होगा, अगर हम थाली फेंक देंगे तो कोई हमें गलत या अश्लील चीज नहीं परोसेगा, और आगे आपने कहा कि कला और साहित्य जगत के पुजारियों को सम्मान पत्र से सम्मानित करते हुए हम खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
ये उद्गार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आजमगढ़ रोडवेज स्थित एक बैंक्वेट हाल में राष्ट्रीय कला सेवा संस्थान द्वारा संचालित अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के तत्वाधान में “भोजपुरी फिल्म एवं लोक संगीत से भोजपुरी वासियों का सरोकार” विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में मॉरीशस से आए प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कन्हैया सिंह ने कहा कि दरअसल समस्या कहीं और है हम भारतीय ही अपनी भाषा को अंग्रेजी मानसिकता के नाते कई प्रकार के नाटक करते रहते हैं, हमेशा हम हिंदी को राष्ट्रभाषा के काल्पनिक पचड़े में उलझा कर रखना चाहते हैं जबकि राष्ट्रभाषा ही राजभाषा के पद पर आसीन होती है।
संस्थान के अध्यक्ष डॉ निर्मल श्रीवास्तव ने मॉरीशस से पधारे विश्व हिंदी सचिवालय के जनरल सेक्रेटरी प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र और उनकी धर्मपत्नी डॉ गायत्री मिश्र को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र से सम्मानित करते हुए कहा कि हम पूर्वांचल वासी,भोजपुरिया लोग हैं और भोजपुरी कला संस्कृति को बढ़ाने में हमसे जो भी मदद होगी हम करेंगे, आज हम अपनी कला संस्कृति सभ्यता से बहुत दूर हो गए हैं, जो हमारी पहचान है इसे हम भोजपुरी एकेडमी के रूप में अपनी लोक कलाओं का संग्रह करने की पूरी कोशिश करेंगे.
वरिष्ठ साहित्यकार हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ शशि भूषण प्रशांत ने कहा कि हमारी राजभाषा हिंदी है और मातृभाषा भोजपुरी है,हमें भी फिल्मों में गीत लिखने का मौका मिला था, हम अपने नाटकों में भी अश्लीलता शब्द को स्वीकार नहीं करते थे और आज भोजपुरी फिल्मों एवं लोक संगीत की भावों को ऐसा तोड़ मरोड़ करके परोसते कि अश्लीलता नजर आती है,भोजपुरिया समाज और दर्शकों को सोचना होगा की पुरानी भोजपुरी फिल्म विदेशिया, नदिया के पार, गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाइबो.. ऐसे भाव प्रधान, शुद्ध, साफ-सुथरी फिल्में क्यों नहीं लोग बना रहे हैं,पूर्व प्राचार्य लोक साहित्यकार डॉ द्विजराम यादव ने कहा कि भोजपुरी फिल्म व लोक संगीत के स्वरूप को बिगाड़ने वाले लोगों का बहिष्कार करना चाहिए, क्योंकि हमारी संस्कृति नष्ट हो रही है नौजवान भटक रहे हैं, हमारे पूर्वांचल की मातृभाषा भोजपुरी है और हम भोजपुरी वासी ही भोजपुरी की रोटी खाने वाले लोग,भोजपुरी लोक कला को सिर्फ कमाने का जरिया बना लिए हैं,
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दो विशिष्ट अतिथि हीरालाल शर्मा ने लोक कलाओं पर प्रकाश डाला और विद्वान डाइट के प्राचार्य अमरनाथ राय ने कहा कि भीख मांगने से कुछ नहीं होगा हमें लड़ना होगा, हमारी मातृभाषा भोजपुरी और लोक संगीत में भावनाओं का अथाह सागर है जिसमें जगह बहुत है- पूर्वी, छपरहिया, बिरहा, नौटंकी, चैता चैती संस्कार गीत मे जो भाव है,वह कहीं नहीं मिलेगा ,इसे लोग बिगाड़ कर अपनी विकृत मानसिकता का परिचय दे रहे हैं,जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भूल जाएगी कि हमारी संस्कृति और सभ्यता क्या थी, डॉ.बशर आज़मी ने कहा कि भोजपुरी फिल्मों ,लोक संगीत और भाषा को बढ़ावा देने में जन प्रचलित और लोक साहित्य का बहुत महत्व है, सभी भाषाओं का भोजपुरी करण किया जाना चाहिए ,क्योंकि गंगा इसीलिए महान है कि उसमें सैकड़ों नदियां समाहित होती हैं लेकिन गंगा के अस्तित्व पर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता ,इसलिए भोजपुरी में भी सभी भाषाओं को समाहित करते हुए इसको विश्व व्यापक प्रचार-प्रसार में सहयोग लेना चाहिए, जैसे राही जी का एक गाना है– पियवा सिवान से अन्हार भइले आई …..देवर तनी दहिया पर डाल द रजाई ….आगे लाइन है, सूट नहीं करें कोनो अंग्रेजी दवाई …..इसमें सूट और अंग्रेजी दो शब्द अंग्रेजी के हैं ,लेकिन जब यह भोजपुरी गीतों में आते हैं,तो इसके भाव भी भोजपुरी लगने लगते हैं,भाषा के बोलचाल और लोग मर्यादा का महत्व सदियों से रहा है, फिल्मों के महत्व और भोजपुरी क्षेत्र को परिभाषित किया है गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने भोजपुरी फिल्म… लागी नाही छूटे रामा… गीत के बोल हैं ….भागलपुर से फैजाबाद तक घूमनी गावे गांव … वर्तमान में भोजपुरी फिल्म और लोक संगीत खाली बन रहा है लेकिन उसमें कोई भाव या रस नहीं है
संस्थान के सचिव निदेशक अरविंद चित्रांश ने अपने संचालन में कहा कि पूर्वांचल की पहचान भोजपुरी लोक कला सिर्फ बाजारवाद नहीं है,यह हमारी मातृभाषा है ,भोजपुरी बहुत ही सुंदर सरल तथा मधुर भाषा है भोजपुरी भाषा, भाषियों की संख्या भारत की समृद्ध भाषाओं बंगाली गुजराती मराठी से कम नहीं है, भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में लाने के लिए आंदोलन हो रहा है, भोजपुरी को अभी तक संवैधानिक रूप से मान्यता नहीं मिल पाई है, क्योंकि भोजपुरी अपने शब्दावली के लिए मुख्यतः संस्कृत एवं हिंदी पर निर्भर है,इसकी अपनी कोई लिपि नहीं है,
भोजपुरी फिल्म और लोक संगीत से भोजपुरी वासियों का सरोकार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य रूप से कार्यक्रम के विशेष सहयोगी पूर्व प्राचार्य दुर्गा प्रसाद अस्थाना,प्रसिद्ध सर्जन डॉ निर्मल श्रीवास्तव संस्थान अध्यक्ष, नित्यानंद मिश्रा, आजमगढ़ संघर्ष समिति के एसके सत्येन, विभव श्रीवास्तव, वक्ता तथा अतिथियों में पूर्व प्राचार्य निरंकार प्रसाद श्रीवास्तव ,डॉ बजरंग त्रिपाठी,प्रवीण कुमार सिंह, डॉक्टर ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ,कला संकाय पूर्वांचल विश्वविद्यालय के डीन पूर्व प्राचार्य दुर्गा प्रसाद अस्थाना, स्वागत अध्यक्ष डॉ रविंद्र अस्थाना एवं विदुषी अस्थाना, कवि साहित्यकार डॉ बसर, मैकस आजमी ,नगरसेवक प्रणीत श्रीवास्तव हनी ,कार्यक्रम के व्यवस्थापक नंदकुमार बरनवाल एवं अर्चना बरनवाल ,मीडिया प्रभारी डॉ मनिंदर कुमार सिंह , प्रवक्ता डॉ इंदु श्रीवास्तव, डॉक्टर पूनम तिवारी आदि 101 साहित्य कला जगत से लोगों को ऊर्जावान बने रहने की कामना करते हुए, सम्मान पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
अंत में मॉरीशस के विश्व हिंदी सचिवालय की सेक्रेट्री जनरल प्रोफेसर मिश्र ने पूर्वांचल के भोजपुरी वासियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य और कला है जगत के डॉक्टर संतोष सिंह साज फाउंडेशन की टीम और डॉक्टर लीना मिश्रा डॉ कौशलेंद्र मिश्रा फाइन आर्ट की टीम, विभा गोयल न्यू कला केंद्र की टीम और उमेश सिंह राठौर ,सौरभ श्रीवास्तव के साथ तमाम गायक गायिकाओं का एक समूह ,रिकॉर्डिस्ट, साउंड इंजीनियर ,नृत्य कला से, कलाकृति से और शिक्षा जगत से डॉ इंदु श्रीवास्तव, नारी शक्ति डॉक्टर पूनम तिवारी, महिला मंडल से पूनम सिंह , डॉ मनिंदर कुमार सिंह, विदुषी अस्थाना, अनिल राय , प्रीति श्रीवास्तव, डॉ प्रतिभा सिंह, स्नेह लता राय, सुमन सिंह , डॉ नेहा दुबे, कंचन,शिखा मौर्य, तेज बहादुर सिंह, गीता सिंह ,शाहिद, रितेश गोयल, अरीबा अकील, रोशनी श्रीवास्तव, बनारस से आए प्रसिद्ध लोक गायक विजय यादव बागी ,सर्वेश मौर्य, कलाकृति से श्रीमती रंगोली , महुआ टीवी सुर संग्राम के कैमरामैन पवन कुमार आदि सभी सम्मानीय को सम्मान पत्र से सम्मान करना हमारे लिए गर्व का विषय है, संगोष्ठी के स्वागतअध्यक्ष डॉ रविंद्र अस्थाना एवं विदुषी अस्थाना, व्यवस्था नंदकुमार बरनवाल, अर्चना बरनवाल ,मीडिया प्रभारी डॉ मनिंदर कुमार सिंह और संचालन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक अरविन्द चित्रांश ने किया.