दोस्तों प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अमेरिका यात्रा की चर्चा तो सारी दुनिया में हो रही है। उनके भाषण की एक एक पंक्ति किसी उपहार से काम नहीं थी। हर शब्द जो उनके मुख से निकला सीधा लोगों के ह्रदय तक पहुँचा। इस यात्रा पर अमरीका में रह रहे भारतीयों की क्या प्रतिक्रिया है यह जानने के लिए मैने कुछ लोगों से बात की। आईये देखते हैं कि उन्होंने क्या कहा ?
नरेंद्र जी पेशे से एक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर इंजिनियर और बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेटर हैं। जब हमने उनसे श्री नरेन्द्र मोदी जी की ह्युस्टन अमेरिका की यात्रा के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ ऐसा कहा।
मोदी जी की यात्रा को लेकर आपने कैसा अनुभव किया ?
मोदी जी की यात्रा को लेकर मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा। मैं बहुत एक्साइटेड था। सुबह बहुत जल्दी उठा । ज्यादातर ९ बजे के बाद उठता हूँ लेकिन उस कार्यक्रम के लिए सुबह ६ बजे उठा क्योंकि एक घंटे की ड्राइव थी स्टेडियम तक । प्रोग्राम ९:३० में शुरू होना था । हम नौ बजे पहुंचे । सब बहुत एक्साइटेड थे वहां । सब और मोदी- मोदी के नारे गूंज रहे थे । मोदी जी इतने बहुमत से जीत के आये हैं और आर्टिकल ३७० को भी निरस्त कर दिया है । फिर जब वहाँ मोदी जी ने बोलना शुरू किया तो बिना किसी नोट्स के इतना अच्छा बोल रहे थे,मैं इम्प्रेस हो गया, इतने ग्रेट डिटेल दे रहे थे इकोनामी पर, कितने गैस कनेक्शन दिए, कितने रोड बने, कितने गांवों में टायलेट बन गए ,कहाँ-कहाँ गांव में इलेक्ट्रिक कनेक्शन आ गए हैं, लोगों के बैंक अकाउंट खुले हैं । सब सुन कर अच्छा लगा और ट्रम्प तो हैं ही अच्छे स्पीकर । मोदी जी भी उतने ही अच्छे स्पीकर हैं तो दोनों को सुनना बहुत अच्छा लगा ।
अमेरिका और भारत के रिश्ते में क्या बदलाव आया ?
सबसे बड़ा परिवर्तन तो यह कि इतने सारे काँग्रेसमेन आये और उनकी समझ में आया कि भारतीय सुशिक्षित ही नहीं हैं बल्कि धनी हैं और अच्छे दाता ( डोनर) भी हैं उन्होंने अपने प्रयासों से इतना बड़ा आयोजन किया । वे समर्थ हैं और अमेरिका और भारत की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं । भारतीय अच्छे जज, प्रशासक और आफिसर भी हो सकते हैं । यह भी भारत में पूंजी निवेश करना लाभदायक हो सकता है। भारत १.३ बिलियन लोगों का बहुत बड़ा बाजार है ।
अनेको पुरस्कारों से सम्मानित भारत की प्रसिद्ध कथाकार, उपन्यासकार ,कवयित्री श्रीमती इला प्रसाद भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं, आइये जानते हैं उनके विचार…
मोदी जी की यात्रा को लेकर आपने कैसा अनुभव किया ?
यह एक बहुत ही शानदार कार्यक्रम था और हमेशा के लिए याद रह जाने वाला अनुभव । शुद्ध गैर- सरकारी प्रयासों से अपने प्रधानमंत्री मोदी जी को यहाँ खींच लेना ही आयोजनकर्ताओं की सबसे बड़ी उपलब्धि थी जो शायद अमेरिका में ही संभव है । आवश्यक धनराशि भी अपने प्रयासों से जुटा ली गई । और फिर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भी कार्यक्रम में शामिल होना। यह सब अकल्पनीय – सा था। बेहिसाब लेकिन व्यवस्थित भीड़ और उससे भी बड़ा लोगों का उत्साह । देशभक्ति की जो लहर बह रही थी पूरे आडिटोरियम में, उससे किसी का भी बच पाना मुश्किल था । सब ओर वन्दे मातरम, भारत माता की जय और मोदी- मोदी के सुर गूँज रहे थे। लोगों में गजब का जोश था । मैंने भी अपने चेहरे पर भारतीय तिंरंगा बनवाया ।
अमेरिका और भारत के रिश्ते में क्या बदलाव आया ?
अमेरिकी सीनेटरों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ही इस बात को दर्शा रही थी कि भारत और उसका प्रधानमंत्री उनके लिए महत्वपूर्ण हैं । भारत बहुत तेजी से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता । उस मंच से ही राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के साथ व्यावसायिक संबंधों में बढ़ोत्तरी से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण घोषणायें की। अमेरिका ने यह भी समझ लिया है कि अमेरिका में भारतीयों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। इन भारतीयों का अमेरिका के विकास में महत्व पूर्ण योगदान है और कल को ये उनके वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं । इसलिए भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना दोनों देशों के हित में होगा । हाउडी मोदी इस अर्थ में एक बेहद महत्वपूर्ण और भारत के भविष्य को सकात्मक रूप से प्रभावित करने वाला कार्यक्रम रहा जिसके दूरगामी परिणाम कार्यक्रम में ही नजर आने लगे थे ।
रचना श्रीवास्तव अमरीका में रहती हैं और वहाँ भारतीयों से जुड़े कार्यक्रमों, आयोजनों व समारोहों के बारे में नियमित रूप से लिखती हैं।