हाल ही में आए चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों में कांग्रेस को भले मात मिली हो, लेकिन दिल्लील, मध्यप्रदेश, छत्तींसगढ़ और राजस्थान में मुस्लिमों ने सबसे ज्यादा वोट कांग्रेस को दिया है। इसका सीधा अर्थ हुआ कि मुस्लिम वोट बैंक आज भी कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ है। चुनाव में लोक लुभावन वादे करने वाली भाजपा, आप और अन्यथ पार्टियां मुस्लिमों के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल साबित हुई हैं।
चुनाव विश्लेषक एवँ सी वोटर के संपादक यशवंत देशमुख ने एक लेख में चार राज्यों में मुस्लिमों के वोट प्रतिशत का ब्योरा देते हुए बताया है कि इन राज्यों में कहीं भी मुसलमान मतदाताओं ने कांग्रेस को धोखा नहीं दिया।
इस बार चारों विधानसभाओं की कुल 589 सीटों में से सिर्फ आठ मुस्लिम प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए हैं जबकि पिछली बार यह संख्या 20 थी। इन चुनावों में जीते आठ में से सात ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने फिर से चुनाव जीता है। सिर्फ दिल्ली से एक प्रत्याशी ही ऐसा है, जिसने पहली बार चुनाव जीता है। इन चार राज्यों में मुस्लिमों की आबादी 7.03 प्रतिशत है। चारों राज्यों में भाजपा ने छह, तो कांग्रेस ने 29 मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा था। इनमें से भाजपा को दो और कांग्रेस को पांच सीटों पर सफलता मिली।
मध्यप्रदेश में मुस्लिमों ने कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट दिए हैं। यहां कांग्रेस के खाते में मुस्लिमों के 69.2 प्रतिशत वोट आए हैं। वहीं भाजपा को सिर्फ 18.6 प्रतिशत ही मुस्लिम वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को सिर्फ 2.4 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय का वोट मिला।
मध्यप्रदेश की 230 सीटों पर छह मुस्लिम प्रत्याशी ही मैदान में थे। इनमें से कांग्रेस ने पांच सीटों पर, तो भाजपा ने सिर्फ एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था। इनमें से सिर्फ एक प्रत्याशी को जीत मिली। यह सीट भोपाल (उत्तर) से कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ अकील ने जीती। आरिफ यहां से पांचवी बार चुनाव जीते हैं।
छत्तीसगढ़ :
छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को मुस्लिम समुदाय के 42.4 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा को सिर्फ 18.6 प्रतिशत मुस्लिमों ने वोट डाले। वहीं बीएसपी को 6.8 फीसदी वोटों से संतुष्ट होना पड़ा।
यहां से कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया है। जबकि पिछली बार दो विधायकों ने जीत हासिल की थी। ये दोनों विधायक इस बार फिर से मैदान में थे, लेकिन हार गए।
राजस्थान :
राजस्थान में भी मुस्लिमों के लिए कांग्रेस पहली पसंद रही। यहां 55.6 प्रतिशत मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा को 15.5 और बीएसपी को सिर्फ 4.3 प्रतिशत ही वोट मिले।
प्रत्याशी जीतने के हिसाब से कांग्रेस के लिए सबसे अजीब स्थिति राजस्थान में रही। मुस्लिमों का 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने वाली कांग्रेस का कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी यहां से चुनाव नहीं जीत पाया, जबकि कांग्रेस ने 16 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। वहीं भाजपा ने चार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जिनसे से दो ने चुनाव जीता।
दिल्ली :
दिल्ली में शानदार प्रदर्शन करने वाली� आम आदमी पार्टी� (आप) भी मुस्लिम वोटों को अपनी ओर नहीं खींच पाई। जबकि दिल्ली में मात्र आठ सीटों पर जीत पाई कांग्रेस को 45.2 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले। यहां नंबर एक पर रही भाजपा को मुस्लिमों के मात्र 15.5 प्रतिशत वोट ही मिले। बीएसपी के खाते में भी 4.3 प्रतिशत वोट आए।
दिल्ली चुनाव में कुल 108 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से कांग्रेस के 6, भाजपा का 1, आप के 6, बीएसपी के 11 और शेष अन्य पार्टियों और निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे। इन प्रत्याशियों में से सिर्फ पांच ही चुनाव जीते हैं। इनमें से चार सीटें कांग्रेस और एक सीट जनता दल के खाते में आई।