Tuesday, May 7, 2024
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साध्वी पदमावती के आमरण अनशन का जल प्रेमियों ने किया समर्थन

राष्ट्रीय जल सम्मेलन में गंगा की अविरलता के लिए आमरण अनशन करने वाली साध्वी पदमावती के समर्थन में प्रस्ताव पारित हुआ।
गंगा की अविरलता के लिए हरिद्वार के मातृसदन में आमरण अनशन कर रही, इनके समर्थन में उज्जैन में जल सम्मेलन में जुटे देशभर के जल बिरादरी के प्रतिनिधियों ने निर्णय लिया कि 07-08 जनवरी को गंगा सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में देशभर से गंगा भक्त, नदी प्रेमी मेें जुटेगे।

आज झालरिया मठ में राष्ट्रीय जल सम्मेेलन के दूसरे दिन में देशभर से आये नदी पुनर्जीवन के विशेषज्ञो के द्वारा क्षिप्रा नदी की अविरल एवं निर्मल प्रवाह बनाये रखने के लिए श्वेत पत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि क्षिप्रा नदी के प्रदूषण को कम किया जायेगा, इसके लिए क्षिप्रा जल बिरादरी का गठन किया गया जिसमें क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने वाले सभी लोगों को सम्मलित किया जायेगा। यह सभी लोग मिलकर नदी को पुर्नजीवित करने के लिए सामुदायिक स्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर तक कार्य करेगेे।

सम्मेलन प्रारम्भ में देश के विभिन्न राज्यों के पर्यावरणविदों ने अपने-अपने विचार रखे। इस दौरान ज्यूलाॅजिकल डिपार्टमेट आॅफ इण्डिया के एच एस साहूकार ने कहा कि पानी के लिए पहला युद्ध लागास और उतमा शहर के बीच टाइग्रेस नदी के किनारे हुआ था। 1950 तक संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के 180 से ज्यादा झगडे पानी को लेकर है। इतनी तरक्की के बावजूद भी अभी तक वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा पाये है कि हमारा कितना मीठा पानी समुद्र में जाकर बर्बाद हो जाता है। उन्होंने एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पश्चिमी घाटों की नदियों में बिगत शताब्दियों में आये बदलाव को समझाया।

तेलगाना जल बोर्ड के चेयरमेन (कैबिनेट मंत्री) प्रकाश राव ने तेलगाना राज्य में बिगत कुछ सालों में पानी को लेकर सरकार द्वारा किये गये सार्थक प्रयासो के बारे में विस्तार से बताया। तेलगाना में बीस हजार से ज्यादा किसानों ने खुदखुशी की है इसकी सबसे बडी वजह गोदावरी नदी में प्रदूषण का बढना है। तेलगाना में गोदावरी नदी काफी ऊपर-नीचे की भूमि पर बहती है जिस कारण से पानी का बहाव समान नहीं है, इसके लिए तेलगाना सरकार ने दुनिया के सबसे बडे पम्प को लगाकर पानी के बहाव को सामान्य बनाया है।

केरल से आये डी गुरूस्वामी ने बताया कि केरल में नदियों में प्रदूषण एवं अविरलता को लेकर अपने विचार व्यक्त किये उन्होंने बताया कि केरल में पानी की कोई कमी नहीं है, यहां की नदियों में पर्याप्त पानी हैं केरल ही एक ऐसा राज्य है जहां नदियों का जाल है लेकिन यह जल स्त्रोत भी प्रदूषण के शिकार होते जा रहे है। सरकार की तरफ से काफी प्रयास किये जा रहे है, लेकिन सामूहिक पहल को बढाना हमारी जिम्मेदारी हैं इसके लिए सरकार के सामने हम कई ऐसे प्रस्ताव बना रहे है जो सरकार के साथ मिलकर जल प्रदूषण को सही कर सकता है।

प्रो. रमेश ने बताया कि नदियों के पानी को बांध बनाकर रोकने की वजह से वातावरण परिस्थितिकी तंत्र में काफी बदलाव देखने का मिल रहा है। नदियों के सतत् प्रवाह को रोके जाने से उनके अन्दर के जीव जन्तु या तो विलुप्त होते जा रहे है, या नये माहौल के अनुसार अपने आप को ढाल रहे है। इससे नदियों का पूरा परिस्थितिकी तंत्र बिगड रहा है। आन्ध्रप्रदेश की नदियों में खूब पानी है लेकिन यहां प्रदूषण की समस्या सबसे बडी है। पानी ज्यादा होने के बावजूद जल प्रदूषित होने से पूरा का पूरा पानी अनुप्रयोगी होता जा रहा है। गोदावरी नदी को लेकर पिछले दिनों किये गये अध्ययनों में यह निष्कर्ष निकला कि गोदावरी में पाये जाने वाले कुछ खास प्रजातियों की मछलिया व जलीय-जीव जन्तु मर रहे है उनके अस्तित्व पर संकट है। यह मछली पूरी दुनिया में सिर्फ गोदावरी नदी में कुछ खास इलाकों में ही मिलती है। प्रदूषण की वजह से यह मर रही है। जल प्रदूषण जारी रहा तो आने वाले समय में किसी भी नदी का जल पीने लायक नहीं बचेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मैग्सेसे अवार्ड विजेता जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे महाराष्ट्र के साथियों ने पिछले दिनों एक अभिनव प्रयोग किया, उन्होंने कुम्भ व इस तरह के दूसरे धार्मिक आयोजन जो नदियों के किनारे लगते है उसका बहिष्कार करने की मांग सरकार से की। उन्होंने सरकार से कहा कि यदि हम नदियों को साफ नहीं कर सकते है तो हमें कोई हक नहीं है कि हम किसी भी नदी के किनारे किसी कार्यक्रम का आयोजन करे। जब नदियों का पानी न पीने के लायक बचा है ना ही आचमन लायक तो सरकार को चाहिए कि कुम्भ जैसे मेलों का आयोजन बंद कर दे। असल में इतिहास इस बात का गवाह है कि कुम्भ जैसे आयोजन भलाई-बुराई और नदियों को साफ रखने प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए ही किये गये थे, लेकिन आधुनिक भारत में नदियों को मात्र उपयोग की वस्तु बना दिया गया है जिससे नदिया गंदी होती गयी और सूखती चली गई।

जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन की सार्थकता तभी सिद्ध है जब क्षिप्रा नदी को अविरल और निर्मल बनाने के लिए हम को सार्थक प्रयास करे, जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के निर्देशन मेें संजय सिंह ने सुझाव दिया कि एक श्वेत पत्र तैयार किया जाये जो क्षिप्रा नदी के ऊपर हो, इस पत्र में क्षिप्रा नदी को अविरल और निर्मल बनाने का पूरा खाका पेश किया जाये। जो आने वाले समय में सरकारों के लिए नजीर बन सके।

इस मौके पर सुधीन्द्र मोहन शर्मा के नेतृत्व में क्षिप्रा नदी पर श्वेत पत्र बनाया गया जिसमें क्षिप्रा नदी को साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयासों एवं गतिविधियों को जिक्र किया गया है।

आज क्षिप्रा नदी के रामघाट पर देश भर से आये विषय विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, जल योद्धा एवं जल सहेलियों ने क्षिप्रा सहित देश की नदियों की अविरलता का संकल्प लिया और तय किया कि पहली बार देश के इतिहास में साध्वी गंगा की अविरलता के लिए आमरण अनशन कर रही है। उसके समर्थन में देशभर के नदी प्रेमी आ गये है।

कार्यक्रम के आयोजन में रोटरी क्लब, उज्जैन का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर रमेेश शर्मा, दीपक परवतियार, गिरीजेश पाण्डे, हिमांशु सिंह, राजेश पंडित, एस0पी0 सिंह, रवि प्रकाश लंगर, राम कुष्ण शुक्ला, अनिल शर्मा, मेदसी भाई, संतोष श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव आदि सहित देश भर के 400 पर्यावरणविद, जल सहेली, जल योद्धओं के द्वारा सहभागिता की गयी।
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