Sunday, April 20, 2025
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नववर्ष की ग़ज़ल : सन् से पहले आया संवत भूल गए ?

आता है जो फागुन बीते साल नया
होली वाला फाग सुनाते साल नया ।

सन् से पहले आया संवत भूल गए
संवत्सर के साथ निभाते साल नया ।

बौराता है मधुवन सारा ख़ुशबू से
तब आता है सचमुच प्यारे साल नया ।

उपवन में जब फूल जरा-से होते हैं
तब आता है अंग्रेजी ये साल नया ।

चोर उचक्के आते आधी रात ढले
फिर क्यूँ आता चुपके-चुपके साल नया ।

मर्यादित गौरवशाली विक्रम संवत
सूर्य उदय के साथ मनाते साल नया ।

सर्दी का मौसम होता जब ठण्डा ठूँ
तब क्यूँ आता यार ठिठुरते साल नया ।

– कमलेश व्यास ‘कमल’

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