भोपाल में स्वराज भवन में लता अग्रवाल के द्वारा लिखित पिता पर 1111 कविताओं का संग्रह ‘हस्ताक्षर हैं पिता’ का विमोचन हुआ । 1500 पृष्ठों का यह संग्रह दो खंडों में विभाजित है । जिसमें पिता को केंद्रित करके विभिन्न कोणों से कविताएं रची गई हैं। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष पद्मश्री श्री रमेश शाह जी, मुख्य अतिथि प्रख्यात समालोचक लक्ष्मी नारायण पयोधि , महेंद्र गगन वरिष्ठ कवि एवं डा.जवाहर करनावट मंचासीन थे । संग्रह पर चर्चा करते हुए महेंद्र गगन ने कहा डॉ लता अग्रवाल ने 1111 शब्द पुष्पों को श्रद्धा की डोर में गूँथते हुए एक माला तैयार की है जो अपने आप में अद्भुत है ।
श्री लक्ष्मीनाथ पयोधि कहा, पिता पर अब तक इतना बड़ा संग्रह देखने में नहीं आया अगर यह सर्ग में विभाजित होता तो प्रबंधकाव्य के रूप में सामने आता, वहीं जवाहर कर्णावट ने इस सँग्रह को बेटी द्वारा पिता को सबसे उत्तम श्रद्धांजलि बताय। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री रमेश शाह जी ने कहा यह संग्रह दुनिया के तमाम बेटे – बेटियों के लिए एक अद्भुत उदाहरण है जिसमें लता ने पिता के संग अपनी स्मृतियों का एक विस्तृत पोट्रेट तैयार किया है। जो उनके जीते जी न कह पाती वह कविता के माध्यम से कहा। पिता जहाँ भी होंगे इनकी भावना उन तक पहुंच रही होगी। मेरे अनुसार एक पिता को इससे बड़ी श्रध्दांजलि नहीं हो सकती।इस अवसर पर डॉ लता ने संग्रह से चुनिंदा कविताएँ हस्ताक्षर हैं पिता, अंबर हैं पिता, जीवित हम, बैकुंठ से विष्णु का जाना, फीता कटाने आये हैं, पिता सम ससुर, पति में पिता का रूप, बरगद का गिरना, पिता तुम्हारे जाने के बाद आदि कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन हेमन्त कपूर ने किया आभार प्रदर्शन डॉ लता अग्रवाल ने, इस आयोजन कर आयोजक थे वंदे मातरम् उत्सव समिति ।कार्यक्रम में भोपाल के सभी गणमान्य साहित्यकार , पत्रकार, समाजसेवी उपस्थित थे।