महाराष्ट्र बीजेपी का नवी मुंबई में दो दिवसीय सत्र समाप्त हुआ। इस सत्र में बीजेपी के बड़े नेताओं ने बड़ी बडी बातें की। पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस, अगर अब चुनाव होता है, तो हम तीनों दलों के गठबंधन को अकेले दम पर हरा देंगे। उन्होंने मुल मुद्दों पर ध्यान देने का अवसर खो दिया कि सिर्फ चुनाव होगा ऐसी आशा दिखाईं।
जब कांग्रेस मर गई थी, एनसीपी के नेता घोटालों के कारण अपना मुंह छिपा रहे थे, लेकिन फ़िर भी हम उन्हें काबु मे नहीं रख पाए। हमने अपनी सीटें खो दी और सत्ता से बाहर हो गये। अब सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाकर, लोगों की नज़र में बने रहने के बदले अभी भी अपनी अपनी गुटबाजी मे व्यस्त हैं। आयाराम गयाराम को पार्टी की पहली पंक्ति में बिठाना, पुराने सहयोगियों को दूसरी पंक्ति में बिठाने से आपके भीतर की गुटबाजी जनता को दिखाई दे रही है।
अपने गुट को मजबूत करने और नरेंद्र मोदी अमित शाह की लोकप्रियता को भुनाने अलावा इस सत्र में आप क्या पाये? यह सरकार टुटेगी और भाजपा फिर से सत्ता जीतेगी, ऐसे सपने देखने का कोई मतलब नहीं है। वर्तमान सरकार आंतरिक मतभेदों और भिन्न विचारधाराओं के बावजूद सरकार चलाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुछ मुद्दों को छोड़कर, तीनों पक्ष समान निर्णय लेते हैं। महाराष्ट्र में, भाजपा को सरकार टुटने की प्रतीक्षा में बैठने के बजाय आत्म-निरीक्षण करने की आवश्यकता है।
जिन कार्यकर्ताओं के मनोबल कम हो गए हैं, उन्हें इकट्ठा कर, पार्टी के प्रति निष्ठावान नेताओं को वापस मुख्यधारा में लाना है, ताकि लोगों में विश्वास पैदा किया जा सके कि भाजपा सरकार चला सकती है। मोदी और अमित शाह के कार्यों को जनता तक ले जाने की रणनीति तैयार किये बीना हम फिर से सत्ता में लौट नही पायेंगे।