मध्य प्रदेश में आए सियासी तूफान को मुख्यमंत्री कमलनाथ किसी न किसी बहाने टालते आ रहे है | पहले कहा गया कि जो विधायक बाहर उन्हें पहले लौट कर आना चाहिए | जब वे लौट कर आए मुख्यमंत्री कमलनाथ उनका कोरोना टेस्ट कराने की बात करते रहे | ये भी बागी विधायकों के खिलाफ एक नया दांव ही समझा जाता रहा |मध्य प्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने को कहा था | राजभवन से आये समाचार के मुताबिक राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराने को कहा गया था स्थगित पर अब सुना जा रहा है कि विधान सभा 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है और अब फ्लोर टेस्ट अभी नहीं होगा | जब भी होगा मुख्यमंत्री कमलनाथ को अविश्वास मत का सामना करना ही पड़ेगा |पूरी दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महामारी के मुंह में हाथ डाल कर राजनीतिक तरकीब खोज निकाली है. बागी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के खिलाफ पहले ही इमोशनल कार्ड खेल चुके कमलनाथ अब कोरोना को ही विश्वास मत टालने का हथियार बना लिया हैं और दलील भी ऐसी है कि भला कौन जोखिम उठाना चाहेगा |कोरोना की आड़ में अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो सका है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र 26 को बुलाया जाएगा भी या नहीं|कमलनाथ कह रहे हैं कि ये सेफ्टी का मामला है और लापरवाही कतई नहीं बरती जाएगी|
मध्य प्रदेश सरकार पर मंडराता खतरा कमलनाथ और उनकी टीम भले ही कोरोना के नाम पर कुछ समय के लिए टाल दे, लेकिन मध्य प्रदेश की हवा गुजरात भी पहुँच चुकी है |गुजरात में भी भाजपा सेंध लगा ही चुकी है| कांग्रेस के लिए राज्य सभा की एक एक सीट के लिए उम्मीदवार तय करना पहाड़ जैसा काम हो गया था| राहुल गांधी के साथियों को नाराज कर टिकट बांटना पड़ा है| कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे राहुल गांधी की टीम के सदस्यों को भी राज्य सभा के टिकट की पूरी उम्मीद रही, लेकिन कहीं भूपिंदर सिंह हुड्डा तो कहीं किसी और क्षेत्रीय नेता ने पानी फेर दिया| जिस तरह राजस्थान में भी सचिन पायलट की मर्जी के खिलाफ राज्य सभा का टिकट फाइनल हुआ है – कांग्रेस की आने वाली मुश्किलों का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो रहा है|
कांग्रेस के लिए राज्य सभा चुनाव ऐसा तूफान लेकर आया है कश्ती संभाले नहीं संभल रही है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी इमोशनल के बाद कोरोना कार्ड के भरोसे सरकार बचाने में लगे हुए हैं कि गुजरात में कांग्रेस के 5 विधायकों ने एक झटके में पाला बदल लिया है|हुआ ये था कि मध्य प्रदेश के साथ साथ कांग्रेस ने गुजरात के भी 14 विधायकों को जयपुर भेज दिया था| राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के डर से कांग्रेस ने ये एहतियाती कदम उठाया था| कांग्रेस अभी मध्य प्रदेश की सियासी मुश्किलों से जूझ ही रही थी कि गुजरात में 5 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया|गुजरात के विधायकों की दूसरी खेप भी जयपुर भेजी जाने वाली है| ये 14 विधायकों से अलग होगी और इसमें 20-22 विधायक राजस्थान के होटल को सुरक्षित मान कर भेजे जाने वाले हैं|
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर बन आयी है, लेकिन गुजरात की मुसीबत भी कम बड़ी नहीं है. गुजरात की तीन सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं. कांग्रेस के पास अपने दो उम्मीदवारों को लेकर चिंता की बात नहीं थी, लेकिन भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार मैदान में उतार कर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है|गुजरात की 182 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 103 विधायक हैं – लेकिन तीन सीटें जीतने के लिए पार्टी को कम से कम 111 वोटों की जरूरत पड़ेगी| जाहिर है जब भाजपा के पास वो संख्या है ही नहीं तो भरोसा क्रॉस वोटिंग का ही होगा| भाजपा की यही चाल कांग्रेस पर भारी पड़ रही है | वैसे कांग्रेस के सपोर्ट से विधायक बने जिग्नेश मेवाणी अब भी साथ खड़े हैं – लेकिन कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं |
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