विवाह जीवन में एक बड़ा महत्वपूर्ण घटना है। चीन में पारंपरिक विवाह की विधि सरल, उत्साहपूर्ण, भव्य और खुशगवार तथा औपचारिक होती है, विवाह का समारोह सुसज्जित और विशिष्ट होता है। किन्तु आधुनिक समय, खासकर शहरों में पारंपरिक प्रथा के मुताबिक विवाह समारोह का आयोजन बहुत कम देखने को मिलता है।
परंपरागत चीनी विवाह विधि में सब से अहम काम पूजा करके विवाह को संपन्न करना है। प्रथा के अनुसार दुल्हा दुल्हन स्वर्ग पृथ्वी पूजा वेदी के सामने खड़े जाते हैं, पूजा वेदी पर अन्न भरा हुआ पात्र“डो”रखा जाता है, उस के चारों पक्षों में “ डो में सोना जेड भरा हुआ है ” चार सुनहरे शब्द अंकित है,“डो”के चारों छोरों पर लाल कागजों में कुछ सिक्काएं लपेटे रखी जाती हैं ताकि पूजा रस्म के बाद विवाह समारोह में आए रिश्तेदार और मित्र शुभ मंगल के लिए ले जाएं। “डो”के बीचोंबीच देवदार पेड़ की एक शाखा भी लगायी जाती है, जिस पर कांस्य सिक्काएं लदायी जाती हैं, इस देवदार पेड़ को“कुबेर वृक्ष”कहा जाता है।“डो”के पास तराजू, आईना, करघा, दीपक या मोमबत्ती रखी जाती हैं। पूजा वेदी के आगे दुल्हा दाईं में और दुल्हन बाईं में खड़े रहते हैं, रस्म संचालक ऊंची आवाज में घोषित करते है:“ पहले स्वर्ग पृथ्वी की झुककर पूजा करो, दूसरे, माता पिता को नत करो, तीसरे, दंपत्ति एक दूसरे को नत करो ” लोक मान्यता के मुताबिक इस प्रकार की विधि पूरा की जाने के बाद दुल्हा दुल्हन विधिवत् दंपति बन जाएंगे। इसलिए विवाह की इस विधि को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। लोक रीति में यह रूचिकर बात भी है कि यदि किसी कारण से दुल्हा विवाह समारोह में नहीं आ पाया, तो उस की बड़ी बहन उस की जगह एक मुर्गा लिए उपस्थित होगी।
पालकी और पूजा की विधि पूरी होने के बाद दुल्हा और दुल्हन के विवाह के सेज कमरे में दाखिल होने की विधि होती है। प्रथा के अनुसार मौके पर रिश्तेदार और मित्र भी कमरे में इक्ट्ठे हुए वर वधू से सांकेतिक शब्दों में मजाक करते हैं। मजाक थोड़ा अत्युक्त होने पर भी दुल्हा दुल्हन नाराज नहीं होना चाहिए बल्कि वे सूझबूझ से विडंबने से बचने की कोशिश करते हैं। कारण यह है कि विवाह समारोह को ज्यादा मजेदार बनाने के लिए लोग वैसे करते हैं।
पारंपरिक विवाह विधि में वैवाहिक पालकी प्रमुख चीज है। शादी के दिन दुल्हन पालकी में बैठी माइके से दुल्हे के घर ले ली जाती है। आम तौर पर दो प्रकार के पालकी है, एक प्रकार का चार आदमियों द्वारा उठाया जाता है और दूसरा आठ आदमियों से। पालकी “ ड्रैगन पालकी”、“अमर पक्षी पालकी” में भी विभाजित होता है। पालकी उठाने वाले आदमियों के साथ ढोल नगाड़ा, छत्र चंदवा और पंखा ले जाने वाले अन्य लोग भी हैं। आम तौर पर बारात में दसेक से दसियों तक लोग शामिल हैं। नजारा देखते ही बनता है। परंपरागत चीनी विवाह विधि के मुताबिक दुल्हन के मुख पर लाल बुर्का ढकता है, अपनी सखी के साथ वह दुल्हे के हाथों में थामे लाल रेशमी फीते के दूसरे छोर को पकड़े उस के मार्गदर्शन में पालकी के अन्दर जा बैठती है। दुल्हे के घर जाने के रास्ते में दुल्हन के पालकी को जानबूझकर झटका दे दे कर ऊपर नीचा करके उल्लासपूर्ण माहौल पैदा किया जाता है। पालकी के आदमी पालकी को दाईं बाईं ओर झकझोर कर अस्तिर बना देते हैं और पालकी के भीतर दुल्हन के लिए ठीक से बैठना नामुमकिन हो जाता है। ऐसी हालत में दुल्हे को अकेले या दुल्हन के साथ मिल कर लोगों के सामने हाथ जोड़ कर शरारत छोड़ने की याचना करनी पड़ती है। और बारात के लोग कहकहा मारते हुए छोड़ देते हैं। वास्तव में इस प्रकार की शरारत विवाह को और ज्यादा खुश बनाने के लिए की जाती है।
परंपरागत चीनी विवाह विधि में सब से अहम काम पूजा करके विवाह को संपन्न करना है। प्रथा के अनुसार दुल्हा दुल्हन स्वर्ग पृथ्वी पूजा वेदी के सामने खड़े जाते हैं, पूजा वेदी पर अन्न भरा हुआ पात्र“डो”रखा जाता है, उस के चारों पक्षों में “ डो में सोना जेड भरा हुआ है ” चार सुनहरे शब्द अंकित है,“डो”के चारों छोरों पर लाल कागजों में कुछ सिक्काएं लपेटे रखी जाती हैं ताकि पूजा रस्म के बाद विवाह समारोह में आए रिश्तेदार और मित्र शुभ मंगल के लिए ले जाएं। “डो”के बीचोंबीच देवदार पेड़ की एक शाखा भी लगायी जाती है, जिस पर कांस्य सिक्काएं लदायी जाती हैं, इस देवदार पेड़ को“कुबेर वृक्ष”कहा जाता है।“डो”के पास तराजू, आईना, करघा, दीपक या मोमबत्ती रखी जाती हैं। पूजा वेदी के आगे दुल्हा दाईं में और दुल्हन बाईं में खड़े रहते हैं, रस्म संचालक ऊंची आवाज में घोषित करते है:“ पहले स्वर्ग पृथ्वी की झुककर पूजा करो, दूसरे, माता पिता को नत करो, तीसरे, दंपत्ति एक दूसरे को नत करो ” लोक मान्यता के मुताबिक इस प्रकार की विधि पूरा की जाने के बाद दुल्हा दुल्हन विधिवत् दंपति बन जाएंगे। इसलिए विवाह की इस विधि को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। लोक रीति में यह रूचिकर बात भी है कि यदि किसी कारण से दुल्हा विवाह समारोह में नहीं आ पाया, तो उस की बड़ी बहन उस की जगह एक मुर्गा लिए उपस्थित होगी।
पालकी और पूजा की विधि पूरी होने के बाद दुल्हा और दुल्हन के विवाह के सेज कमरे में दाखिल होने की विधि होती है। प्रथा के अनुसार मौके पर रिश्तेदार और मित्र भी कमरे में इक्ट्ठे हुए वर वधू से सांकेतिक शब्दों में मजाक करते हैं। मजाक थोड़ा अत्युक्त होने पर भी दुल्हा दुल्हन नाराज नहीं होना चाहिए बल्कि वे सूझबूझ से विडंबने से बचने की कोशिश करते हैं। कारण यह है कि विवाह समारोह को ज्यादा मजेदार बनाने के लिए लोग वैसे करते हैं।
साभार http://hindi.cri.cn/ से