अमेरिकी मतदाता वास्तव में अपने अगले राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं, दरअसल वे उन लोगों का चुनाव करते हैं जो आधिकारिक इलेक्टोरल कॉलेज मतदान में उनका प्रतिनिधित्व करते हैं।
हर चार साल पर जब अमेरिकी अपने अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने जाते हैं तो दरअसल वे प्रत्यक्ष तौर पर अपने उम्मीदवार को वोट नहीं करते। वे अपने राज्य के उन इलेक्टर का चुनाव करते हैं जो इलेक्टोरल कॉलेज प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
अमेरिकी सरकार के गठन और उसके संचालन के लिए संविधान में वर्णित इस प्रक्रिया पर राष्ट्र के संस्थापकों ने 1787 में हस्ताक्षर करके इसे औपचारिक रूप दिया था। इलेक्टोरल कॉलेज की प्रक्रिया को एक तरह से उस समझौते के रूप में देखा जा सकता है जिसके तहत राष्ट्रपति को जनता के प्रत्यक्ष मतों से चुनने और अमेरिकी सरकार की विधायी शाखा यानी अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज और सीनेट के माध्यम से सीधे चुनने के बीच का रास्ता चुना गया है।
इलेक्टोरल कॉलेज की इस प्रक्रिया के तीन चरण है : पहला, इलेक्टर का चुनाव, दूसरा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए इलेक्टर की बैठक और तीसरा, इलेक्टोरल मतों की गिनती।
जनवरी 2017 में वाशिंगटन,डी.सी. में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन से पहले कैपिटल हिल के कर्मचारी इलेक्टोरल कॉलेज मतपत्रों के फ़ोल्डर को खोलते हुए। फोटोग्राफ: जैक गिब्सन © एपी इमेजेज
इलेक्टर का चयन
इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर होते हैं। प्रत्येक राज्य और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया को मिलाकर उतने मत निर्धारित किए जाते हैं जितनी अमेरिकी कांग्रेस के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज और सीनेट के कुल सदस्यों की संख्या होती है। हर राज्य को अमेरिकी सीनेट में उसके सदस्यों के लिए दो वोट मिलते हैं और साथ ही हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज में उस राज्य के सदस्यों की संख्या के बराबर ओर वोट मिलते हैं। उदाहरण के लिए, कैलिफ़ोर्निया से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्ज के लिए 53 सदस्यों का चुनाव होता है और 2 सदस्य सीनेट के। इस तरह से उसके पास 55 इलेक्टर होते हैं। वॉशिंगटन,डी.सी. को 3 इलेक्टर दिए गए हैं जबकि अमेरिकी कांग्रेस में वोटिंग के लिहाज से उसे कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।
चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत में राजनीतिक दल हर राज्य में संभावित इलेक्टर के समूह को नामांकित करते हैं। यह प्रक्रिया हर राज्य में भिन्न-भिन्न होती है। कई बार यह राज्य में पार्टी के अधिवेशन में संपन्न होती है, तो कभी-कभी केंद्रीय समिति में वोटिंग से इसे तय किया जाता है। संभावित इलेक्टर राज्य के चुने हुए पदाधिकारी हो सकते हैं, राजनीतिक दलों के नेता हो सकते हैं या फिर ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार से निजी संबंध हो या वे लोग जिन्हें पार्टी उनकी सेवाओं के लिए पहचान देना चाहती है। नामांकन की इस प्रक्रिया के द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपने इलेक्टर का समूह हासिल हो जाता है।
इसके बाद, चुनाव के दिन, आम जनता अपने पसंदीदा राष्ट्रपति उममीदवार को वोट देकर इलेक्टर चुन लेती है। जीतने वाले राष्ट्रपति उम्मीदवार के सूचीबद्ध इलेक्टर राज्य के आधिकारिक इलेक्टर बन जाते हैं। नेब्रास्का और मेन अपवाद हैं, क्योंकि यहां राज्य में जीतने वाले को दो इलेक्टर और जीतने वाले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को हर कांग्रेस डिस्ट्रिक्ट से एक इलेक्टर दिया जाता है। आम चुनाव के बाद, हर राज्य का गवर्नर एक सर्टिफिकेट ऑफ एसर्टेनमेंट तैयार करता है जिसमें वोटरों द्वारा चुने गए इलेक्टर के नाम और कुल पड़े मतों की संख्या के अलावा सभी दूसरे उम्मीदवारों के नाम और उन्हें मिले वोटों का जिक्र रहता है।
चयन के लिए बैठक
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव, हर चार साल बाद नवंबर के पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले मंगलवार को होता है। हालांकि सच्चे अर्थों में चुनाव परिणाम तभी तय होता है जब दिसंबर में दूसरे बुधवार के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार को इलेक्टर अपना वोट देने के लिए अपने राज्य में मिलते हैं। वे अलग-अलग बैलेट पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट डालते हैं, चाहे उम्मीदवार भले ही संयुक्त टिकट पर चुनाव लड़ रहे हों। इलेक्टर अपने वोट, वोट प्रमाणपत्र पर दर्ज कराते हैं जिसे राज्य, अमेरिकी कांग्रेस और नेशनल आर्काइव्ज एंड रिकॉर्ड एडमिनिस्ट्रेशन को भेज देते हैं ताकि उसे चुनाव संबंधी आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल किया सके।
संविधान और संघीय कानून इलेक्टर से यह कतई अपेक्षा नहीं करते कि वे अपने राज्य के पॉपुलर वोट के हिसाब से मतदान करें। हालांकि कुछ राज्यों के कानून ऐसी अपेक्षा करते हैं। कुछ दूसरे मामलों में राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार को मत के लिए बाध्यकारी शपथ दिलाते हैं। फेथलेस इलेक्टर या भरोसा तोड़ने वाले इलेक्टर जो अपने राज्य के कानून या पार्टी की शपथ के बावजूद वोट नहीं देते, उन्हें या तो जुर्माना भरना पड़ता है या फिर उन्हें अयोग्य घोषित कर उनकी जगह किसी दूसरे इलेक्टर को लिया जाता है। अमेरिका के अस्तित्व में आने के बाद से 99 प्रतिशत से भी अधिक इलेक्टर ने अपनी शपथ के अनुरूप ही मतदान किया है। इसी का नतीजा है कि, चुनाव वाली रात को ही अनधिकृत रूप से ही सही लेकिन देश को यह पूर्वानुमान लग जाता है कि अगला राष्ट्रपति कौन होने जा रहा है।
इलेक्टोरल वोटों की गिनती
दिसंबर में जब इलेक्टर वोट डालने के लिए मिलते हैं, उसके बाद 6 जनवरी को हाउस चैंबर में अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है। कार्यकारी उपराष्ट्रपति बतौर सीनेट के प्रेज़िडेंट इस बैठक की अध्यक्षता करते हैं। वहां कांग्रेस में आधिकारिक तौर पर इलेक्टोरल मतों की गणना होती है। नियुक्त किए गए दो ‘‘टेलर्स’’ वर्णमाला के क्रम के हिसाब से राज्यवार मतों के बारे में बताते हैं। जीतने के लिए उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट हासिल करने होते हैं। मतगणना के बाद, यदि दो उम्मीदवार ही आगे रहते हैं तो सीनेट के पे्रज़िडेंट नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के नाम की घोषणा करते हैं, जो 20 जनवरी को अपना कार्यभार संभालते हैं।
( कैरी लोवन्थॅल मैसी स्वतंत्र लेखिका हैं। वह न्यू यॉर्क सिटी में रहती हैं।)
साभार- https://span.state.gov/hi/ से