भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया है। श्री साय पहले भी छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। यह तीसरा मौका है जब पार्टी ने एक बार फिर उनको छत्तीसगढ़ का बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया है। इससे पहले साय 2006 से 2009 और फिर 2009 ने 2013 तक राज्य में पार्टी की कमान संभाल चुके हैं। विष्णुदेव साय की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है। खासकर छत्तीसगढ़ में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है और उनको राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का करीबी भी बताया जाता है। विष्णुदेव साय 16वीं लोकसभा के लिए रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। इससे पहले 15वीं लोकसभा में भी वो सांसद चुने गए थे। साय 1991 से 2014 तक रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में जन्मे विष्णुदेव साय जनसंघ के जमाने से ही संघ से जुड़े रहे हैं. . 1999 से 2014 तक वे लगातार सांसद रहे. दो बार पार्टी के पूर्व में अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साय पहली बार 31 अक्टूबर 2006 से 9 मई 2010 तक अध्यक्ष रहे. दूसरी बार 21 जनवरी 2014 से 15 अगस्त 2014 तक अध्यक्ष रहे और बीजेपी प्रदेश की 11 में से 10 संसदीय सीटें जीतने में कामयाब रही थी. अब तीसरी बार अध्यक्ष बनाया कर उन्हें 2023 का लक्ष्य दिया गया है.
विष्णुदेव साय अध्यक्ष बनने से पहले ही छत्तीसगढ़ की राजनीति को बखूबी जानते-समझते और निभाते रहे हैं. साय बेहतर तरीके से समझते हैं कि 2018 विधानसभा चुनाव में 15 सालों तक शासन करने वाली बीजेपी महज 15 सीटों पर कैसे और क्यों सिमट गई और उप चुनाव के बाद 15 से भी कम 14 सीटें पर कैसे आ गई.
इसके साथ ही उन्हें डॉक्टर रमनसिंह का करीबी माना जाता है, उन्होनें रायगढ़ लोकसभा में 20 साल तक एकछत्र राज किया। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश से भाजपा के 10 सांसद लोकसभा में पहुंचे थे। इनमें से कुछ वरिष्ठता के लिहाज से विष्णुदेव साय से भी वरिष्ठ थे। इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बने एनडीए की सरकार में प्रदेश से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जगह बनाने में सफल रहे। इसके पीछे विष्णुदेव साय की बेदाग छवि और उनकी मिलनसार व्यवहार के साथ गुट की राजनीति से दूर रहने को श्रेय दिया गया था।
पिछले लोकसभा चुनाव में जब प्रदेश के निवर्तमान सांसदों के टिकट काटे जाने को लेकर चर्चाएं शुरू हुईं तो सबसे पहले विष्णु देव साय ने अपना नाम रखा और चुनाव न लड़ने की सहमति जताई थी। उनके इस कदम का केंद्रीय नेतृत्व पर सार्थक प्रभाव पड़ा था। इससे पहले पिछले लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने धरमलाल कौशिक को हटाकर विक्रम उसेंडी को अध्यक्ष बनाया था।
श्री विष्णुदेव साय की राजनीतिक यात्रा
सदस्य, मध्य प्रदेश विधान सभा (दो बार)
1999 तेरहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित,
1999-2000सदस्य, सभा की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति
सदस्य, खाद्य, नागरिक पूर्ति और सार्वजनिक वितरण संबंधी समिति
2000-2004सदस्य, परामर्शदात्री समिति, कृषि मंत्रालय
2004चौदहवीं लोक सभा के लिए पुन:निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल)
सदस्य, सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति
5 अगस्त 2007सदस्य, जल संसाधन संबंधी समिति
2009पंद्रहवी लोक सभा के लिए पुन:निर्वाचित (तीसरा कार्यकाल)
31 अगस्त 2009सदस्य, वाणिज्य संबंधी समिति
मई, 2014सोलहवीें लोक सभा के लिए पुन:निर्वाचित (चौथा कार्यकाल)
27 मई 2014 – 9 नवम्बर 2014खान, इस्पात तथा श्रम और रोजगार मंत्रालयों में केन्द्रीय राज्य मंत्री रहे