भारत, बेहद साधारण परिवारों से ताल्लुक रखने वाले ऐसे क्रिकेटरों के लिए भी जाना जाता है जिन्होंने मैदान पर बड़े कारनामे किए। लेकिन कुछ की कहानियां बहुत ही प्रेरक हैं। ऐसी ही एक कहानी है भारत के तेज़ गेंदबाज़ उमेश यादव की।
महाराष्ट्र के छोटे से गांव– वाली में पले– बढ़े यादव सामान्य ग्रामीण जीवन जीते थे। चाहे वह दूसरों के बागीचे से आम चुराना हो, खेतों में खेलना हो या पढ़ाई से कन्नी काटना, यादव ने ऐसे सारे काम किए हैं। लेकिन उन्हें हमेशा से पता था कि जीवन में उन्हें कुछ कर दिखाना है। पता नहीं था तो बस ये कि उनके तेज– यॉर्कर्स ही एक दिन उन्हें पहचान दिलाएंगे।
यादव अपने गांव और आस–पास के गांव के जाने–माने गेंदबाज़ थे, कभी– कभी तो वे एक दिन में तीन– तीन (3) मैच भी खेल लिया करते थे लेकिन वे सिर्फ टेनिस या रबड़ की गेंद से खेला करते थे और करीब बीस– इक्कीस साल (20-21) का हो जाने तक उन्हें कॉम्पेटिटिव क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था।
जिला– स्तर के क्रिकेट सचिव ने एक बार उन्हें स्थानीय टी–ट्वेंटी (T20) टूर्नामेंट में खेलते देखा था और उन्होंने इन्हें नागपुर के लिए खेलने को बुलाया। अपने पहले ही मैच में इन्होंने आठ (8) विकेट लिए और “टॉप 30” समर कैंप का हिस्सा बनने के लिए इन्हें आमंत्रित किया गया।
लेकिन यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई। कैंप के पहले ही दिन, वे लगभग क्रिकेट छोड़ने का मन बना चुके थे। यादव बताते हैं, “कोच ने मुझे बुलाया और पूछा कि मेरे जूते कहाँ हैं। मैंने उनको बताया कि मेरे पास स्पाइक्स नहीं हैं और मुझे अपने सामान्य जूतों में ही गेंदबाज़ी करनी होगी। इतना सुनते ही वे बहुत नाराज़ हो गए। ”
उन्होंने कहा, ‘तुम यहां खेलने कैसे आ सकते हो, तुम्हारे पास तो स्पाइक्स भी नहीं है। किसी को भी बुला लेते हैं खेलने के लिए। चले जाओ यहां से।’
इतने सुनने के बाद यादव ने अपना क्रिकेट सफ़र खत्म करने का मन बना लिया था। ये तो उनके दोस्त थे जिन्होंने उनके भीतर भरोसा जगाया। उसके बाद उन्होंने वापस जाने और कुछ कर दिखाने का फैसला कर लिया।
जैसा कि वे बताते हैं, बाकी सब इतिहास है। यादव ने आखिरकार आईपीएल और भारत, दोनों के लिए जबरदस्त सफलता हासिल की। हालांकि, यादव को अपने संघर्ष की कहानी असाधारण नहीं लगती। वे बताते हैं, “हर किसी को एक सीमा तक संघर्ष करना पड़ता है। मैं कभी नहीं कहूंगा कि मेरा संघर्ष किसी भी दूसरे के मुकाबले अधिक रहा है। मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि खुद पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है। यदि आप मानते रहेंगे कि आप एक दिन सफलता के शिखर पर होंगे, तो आप जरूर होंगे।”
उमेश यादव के एक्सट्राऑर्डिनरी जर्नी (असाधारण सफ़र) के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो स्पाइसी पिच का बिल्कुल नया एपिसोड देखें। यह एपिसोड क्रिकबज़ की वेबसाइट और एप पर शनिवार 6 जून से उपलब्ध है।
लिंक: Umesh Yadav Episode