जब किसी इन्सान के नाम दो नहीं हो सकते, तो हमारे राष्ट्र का नाम दो क्यों? आजादी के ७३ साल बीत रहे हैं हमारे भारत से अंग्रेज १९४७ से ही चले गए लेकिन हमारे पास India छोड़ गए जिसे आज तक हम अपनाए हुए हैं।
हमारे भारत के अधिवक्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी कि हमारे राष्ट्र का नाम केवल ‘भारत’ होना चाहिए, जिसका निर्णय भी सर्वोच्च न्यायलय ने ३ जून २०२० को दे दिया था कि इस विषय को हम संबंधित मंत्रालय में भिजवा रहे हैं।
‘मैं भारत हूँ’ और ‘भारतीय भाषा अपनाओ अभियान’ के तत्वाधान में २८ जून २०२० को वेबीनार के द्वारा ‘भारत को भारत बोला जाए’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें महाराष्ट्र-मुंबई से बिजय कुमार जैन आयोजक, डॉ. एम.एल.गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, हैदराबाद से डॉ. रियाज अंसारी संचालक, डॉ. विद्याधर, डॉ. कोयल विश्वास बैंगलुरू से, डॉ. महेश दिवाकर मुरादाबाद उत्तर प्रदेश से, श्री ताकम सोनिया अरूणाचल प्रदेश से, डॉ. बी.पी. फिलिप नागालैण्ड से, डॉ. अब्दुल मुनीर, डॉ. निवासुलु आंध्रप्रदेश से, डॉ. प्रतिभा सहाय बिहार से, सुश्री वीना डींगरा चंडीगढ़ से, श्री वैâलाश रारा छत्तीसगढ़ से, सुश्री श्वेता गोवेकर गोवा से, डॉ. कामदेव झा कुरूक्षेत्र से, डॉ. अशोक अविचल झा झारखंड से, श्री निर्मल पाटोदी वरिष्ठ सलाहकार, प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा मध्य प्रदेश से, डॉ. सी. जयाशंकर बाबु पांडिचेरी से, श्री सुरेश मुदगल राजस्थान से, डॉ. हरिपदा देव त्रिपुरा से, डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल उत्तराखंड से, श्री सोनम वांगचुक लद्दाख से, सुश्री अनुपमा शर्मा मुंबई से जुड़े, आपसी संवाद हुए, निर्णय लिया गया कि भारत को हम भारत ही बोलेंगे और जन-जागरण आंदोलन का आयोजन करेंगे, भारत सरकार तक यह बात पहुंचायेंगे कि यदि सर्वोंच्च न्यायलय यदि ‘भारत’ के ऊपर अपनी मोहर लगा सकता है तो भारतीय संसद को भी ‘भारत को भारत बोला जाए’ पर अपनी मोहर लगानी चाहिए।
आगामी कार्यक्रम ‘भारत को भारत भारत बोला जाए’ में भारत के शिक्षक, फिल्म जगत, बुद्धिजिवी, पत्रकार, व्यापार जगत, के साथ युवाओं को जोड़कर वेबीनार के माध्यम से जन-जागरण हेतु कार्यक्रम किये जाते रहेंगे।
बिजय जैन, वरिष्ठ पत्रकार
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मोबाइल ऐप और हमारी शिक्षा नीति
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श्रीमती लीना मेहेंदळे
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