हमारे आसपास चहल-पहल शुरू हो चुकी है। लॉकडाउन से अनलॉक की प्रक्रिया की ओर बढ़ते हुए हमारे आसपास का जीवन सक्रिय हो रहा है। दुकानों, दफ्तर, खाने-पीने की जगहों पर कम ही सही लेकिन लोगों की उपस्थिति उस स्थान को जीवंत बनाए रखने का प्रयास कर रही है। लेकिन बीमारी अपने डैने अभी फैलाए हुए है। आंकड़ों की दुनिया हमें बीमारी के इस घनघोर जाल से रोज़ कुछ नया बता रही है। हमें उम्मीद है कि इंसानी जिजीविषा इस जाल को चीरकर जल्द ही नए सवेरे की रोशनी से दुनिया को रोशन कर देगी।
किताबें रोशनी का स्त्रोत होती हैं। राजकमल प्रकाशन समूह की अगली पहल नई किताबों का प्रकाशन है। इसकी शुरुआत हम पेरियार ई.वी.रामास्वामी की दो किताबों से कर रहे हैं। ‘धर्म और विश्वदृष्टि’ और ‘सच्ची रामायण’ हिन्दी में पहली बार प्रकाशित होकर पाठकों के लिए उपलब्ध होंगी। यह दोनों किताबें 21 जुलाई से राजकमल प्रकाशन की वेबसाइट (www.rajkamalbooks.in) से आसानी से खरीदी जा सकती हैं। साथ ही पाठक फोन एवं राजकमल वाट्सएप्प नंबर पर संपर्क करके भी किताब खरीद सकते हैं।
उत्तर भारत के लोग, दक्षिण भारत के इस महान सामाजिक क्रान्तिकारी, दार्शनिक और देश के एक बडे हिस्से में सामाजिक-सन्तुलन की विधियों और राजनीतिक संरचना में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले पेरियार के बौद्धिक योगदान के विविध आयामों से अपरिचित हैं। यह सुनने में अजीब है, लेकिन सच है। पेरियार ने विवाह संस्था, स्त्रियों की आज़ादी, साहित्य की महत्ता और उपयोग, भारतीय मार्क्सवाद की कमजोरियों, गांधीवाद और उदारवाद की असली मंशा और पाखंड आदि पर जिस मौलिकता से विचार किया है, उसकी आज हमें बहुत आवश्यकता है।
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी का कहना है, “यह समय नए पाठ के साथ पुन: पाठ का भी है। यह संपूर्ण हिन्दी क्षेत्र के लिए चिंता का विषय था कि पेरियार जैसे समाज चिन्तक के विचार हिन्दी में कम ही पढ़ने को मिलते थे। बहुत समय से हमारी योजना थी कि उनके विचारों को किताब की शक्ल में एक जगह इकट्ठा करके प्रकाशित किया जाए। इस दौर में यह रोशनी की उम्मीद हैं। उनके इन विचारों को हम अपनी भाषा में पढ़ सकें यह हमारे लिए एक सुखद एहसास है। पिछले कुछ समय के घटनाक्रम में किताबों का छप कर आना नई उम्मीद पैदा करने जैसा है कि सबकुछ ठीक होने की तरफ बढ़ रहा है। इस नई पहल में हम हर दस दिन पर दो नई किताबें, विशेष छूट के साथ पाठक के लिए उपलब्ध होंगी। उम्मीद है पाठक हमारी इस पहल का दिल खोलकर स्वागत करेंगे।“
इस कठिन समय में राजकमल प्रकाशन समूह ने लोगों को जोड़े रखने का काम निरंतर जारी रखा है। पहली बार जब लॉकडाउन शब्द अपने साक्षात अवतार में हमारे सामने आय़ा तो किसी को अंदाजा नहीं था कि आगे क्या होगा। आभासी दुनिया के रास्ते हमने फेसबुक लाइव कार्यक्रमों की शुरुआत की। लाइव बातचीत में लेखकों और साहित्य प्रेमियों की बातचीत ने इस विश्वास को मजबूत किया कि घरवास के समय में हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। 230 लाइव कार्यक्रमों में 162 लेखकों एवं साहित्यप्रेमियों ने भाग लिया। यह सिलसिला अभी भी जारी है। इसके साथ ही हमने वाट्सएप्प पुस्तक के जरिए पाठकों को वाट्सएप्प पर पढ़ने की समाग्री उपलब्ध करवाने का काम किया। राजकमल वाट्सएप्प पर 30 हजार से भी अधिक पाठक रोज़ इसे पढ़ रहे हैं। वाट्सएप्प पुस्तिका पाठ-पुन:पाठ की 70वीं किस्त पाठकों से साझा की जा चुकी है।
किताबों का साथ बना रहे इसलिए हमने ई-बुक में किताबों की उपलब्धता को लगातार बढ़ाया है। लॉकडाउन के दौरान 100 से भी अधिक किताबों के ई-बुक संस्करण नए जुड़ें तथा किताबों की संक्षिप्त जानकारी एवं अंश भी हम लगातार पाठकों के साथ साझा किया।
इस कड़ी में नई किताबों का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन समूह की अगली पहल है। पेरियार की दो किताबों के बाद त्रिलोकनाथ पांडेय का उपन्यास ‘चाणक्य का जासूस’ औऱ ‘उत्तर हिमालय-चरित’ (यात्रा-कथा) प्रकाशित होकर जल्द ही पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।
चाणक्य का जासूस त्रिलोकनाथ पांडेय का दूसरा अपन्यास है। इसमें जासूसी के एक अभिनव प्रयोग का प्रयास किया गया है क्योंकि यह सिर्फ जासूसी फंतासी नहीं, बल्कि अनुभवजनित मणियों से गुम्फित ऐतिहासिक कथा है।