एक अधिकारी द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव पर सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि देश में बरसात के समय नदियों में आने वाली बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बजाय राष्ट्रीय पर्यटन का दर्जा दिया जाए।
इस अधिकारी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि नदियों में बाढ़ आते ही टीवी से लेकर अखबारों तक में इसकी चर्चा होने लगती है। इससे पूरी दुनिया में देश की नदियों के बारे में सकारात्मक संदेश जाता है। दुनिया को पता चलता है कि हमारे देश में नदियाँ भी होती है और बाढ़ भी आती है। नहीं तो देश के न्यूज़ चैनल देखने वाले विदेशी तो यही समझते हैं कि हमारे देश में नेता, दल-बदल, एनकाउंटर और अमिताभ बच्चन के बीमार होने, सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या करने या रिया के साथ क्या हो रिया है जैसी खबरों के अलावा साल भर न तो कोई खबर होती है ना कोई दूसरी गतिविधियाँ होती है। बाढ़ को पर्यटन से जोड़ने पर विदेशियों की ये धारणा भी टूटेगी।
प्रस्ताव में कहा गया है कि जब भी बाढ़ आती है चारों ओर बड़ा मनोरम दृश्य होता है। इस दृश्य की गंभीरता तभी समझ में आती है जब इसे आसमान से देखा जाए। हमारे, न्यूज़ चैनल, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति आदि साल भर बाढ़ का इंतजार करते हैं ताकि नदियों में बाढ़ आए और ये लोग हेलिकाप्टर, हवाई जहाज जो मिले उससे बाढ़ का नजारा देखने जाए। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आम दिनों में जो लोग अपने नेताओँ और मंत्रियों की शकल देखने को तरस जाते हैं वो बाढ़ में घिरे रहकर अपने घरों पर मंडराते हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों से झाँकते हुए मंत्रियों और मुख्य मंत्रियों के जी भरकर दर्शन कर सकते हैं कई सौभाग्यशालियों को तो इनके द्वारा हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर से फेकें जाने वाले बिस्कुट, ब्रेड भी मिल जाते हैं।
अधिकारी ने कहा है कि जब भी कोई मंत्री, नेता या मुख्यमंत्री बाढ़ का हवाई सर्वेक्षण करता है तो बाढ़ में घिरे लोगों का एक अद्भुत दृश्य सामने आता है। ऐसे दृश्य तो आजकल फिल्मी बाढ़ों में भी नहीं दिखते। ये सब टेक्नॉलॉजी की वजह से संभव हुआ है। कई होनहार अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री द्वारा किए गए हवाई दौरे को और असरकारक बनाने के लिए फोटो शॉप का प्रयोग कर बाढ़ का दृश्य और भी मनोरम बना दिया जिसकी चर्चा देश-विदेश में भी हुई।
अगर सरकार चाहे तो विदेश से भारत आने वाले पर्यटकों को बाढ़ के दृश्य दिखाकर आकर्षित कर सकती है। ऐसे भी बारिश में पर्यटन उद्योग ठप्प सा पड़ जाता है। अगर हम विदेशी यात्रियों को बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की हवाई यात्रा करवाएंगे तो पर्यटन भी बढ़ेगा और सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी। बाढ़ में फँसे लोग भी खुश होंगे कि हमें देखने दुनिया भर के लोग आ रहे हैं।
अपने प्रस्ताव में अधिकारी ने कहा है कि बाढ़ की वजह से देश में सामाजिक समरसता भी बढ़ती है, जो पड़ोसी एक दूसरे को फूटी आँख देखना पसंद नहीं करते वो बाढ़ के समय एक दूसरे की छत पर जाकर शरण लेते हैं और बाढ़ की मेहरबानी लगातार रहे तो खाना भी साथ खाते हैं और एक ही छत पर रात भी गुजारते हैं। हम विदेशियों को ये दृश्य दिखाकर बता सकते हैं कि संकट के समय भी हमारे देश के लोग कैसे मिल-जुलकर रहते हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के कुछ बुजुर्गों और युवाओँ को हम गाईड का काम भी दे सकते हैं, वे विदेशियों को बता सकते हैं कि पहले के जमाने में बाढ़ कैसे आती थी और उससे उसके परिवार और गाँव का कब कब कितना नुक्सान हुआ। बाढ़ को पर्यटन का दर्जा देने का सबसे बड़ा फायदा तो ये होगा कि मंत्री, नेता, अफसर, दलाल सब बाढ़ राहत के साथ साथ बाढ़ पर्यटन के नाम पर आवंटित होने वाले बजट में भी कमीशन खा सकेंगे। बाढ़ का बजट तो बाढ़ के समय ही काम में लेना पड़ता है जबकि बाढ़ पर्यटन के नाम पर तो साल भर योजनाएँ चलाई जा सकती है। जिन क्षेत्रों में नदियों में बाढ़ नहीं आती है उनको भी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की सेवाएँ ली जा सकती है। इस मद में भी लाखों करोड़ों खर्च किए जा सकते हैं।
इस प्रस्ताव में दावा किया गया है कि अगर ये योजना लागू होती है तो लोग बाढ़ आने पर सरकार को कोसने की बजाय इस पर खुशी जाहिर करेंगे।
सरकार ने भी सिध्दांततः इस प्रस्ताव को मान लिया है और शीघ्र इसको लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें बाढ़ राहत के कार्य में लगे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को शामिल कर प्रोजेक्ट दिया जाएगा, जो इसके लिए बजट, योजना आदि पर विस्तृत रिपोर्ट देंगे। सरकार अपने आगामी आदेश में बाढ़ राहत से जुड़े सभी कार्यों पर त्तकाल प्रभाव से रोक लगा सकती है, क्योंकि पर्यटन बाढ़ राहत से ज्यादा महत्वपूर्ण है।