तकदीर कैसे बदलती है यह कोई बालिका वधु, कुछ तो लोग कहेंगे, सुजाता जैसे कई टीवी सीरियल्स में डायरेक्टर रह चुके रामवृक्ष से पूछे। हमेशा फिल्मी सितारों और कलाकारों के बीच में रहने वाले रामवृक्ष आज अपना परिवार पालने के लिए यूपी के आजमगढ़ में ठेले पर सब्जी बेच रहे हैं। सामान्य से दिखने वाले रामवृक्ष को देखकर आप यह अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि इनके एक इशारे पर बड़े से बड़ा टीवी कलाकार नचता था।
रामवृक्ष वैसे तो मुंबई में रहते हैं। लेकिन यहां उनका पुस्तौनी घर आज भी आजमगढ़ में हैं। वह अपने बच्चे के साथ होली पर गांव में आए थे। रामवृक्ष वापस जाते इसके पहले लॉकडाउन लग गया। एक दो महीने इंतजार के बाद भी स्थिति सामन्य नहीं हुई तो मजबूरन रोजी-रोटी के लिए वह ग्यारहवीं में पढ़ने वाले अपने बेटे के साथ सब्जी की दुकान लगाकर परिवार का भरण पोषण करने लगे।
मूल रूप से निजामाबाद के फरहाबाद निवासी चालीस वर्षीय रामवृक्ष के पिता सब्जी का ही व्यवसाय करते हैं। 2002 में अपने मित्र निजामाबाद के साहित्यकार शाहनवाज खान की मदद व प्रेरणा से रामवृक्ष मुंबई पहुंचे। पहले लाइट विभाग में काम किया। इसके बाद टीवी प्रोडक्शन में कई अन्य विभागों में भाग्य आजमाया। धीरे-धीरे अनुभव बढ़ने लगा। इस बीच निर्देशन विभाग में अवसर मिला। फिर क्या था निर्देशन का काम रामवृक्ष को भा गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहले कई सीरियल के प्रोडक्शन में बतौर सहायक निर्देशक का काम मिलने लगा। इसके बाद कई धारावाहिकों में एपिसोड डायरेक्टर फिर यूनिट डायरेक्टर, यूनिट डायरेक्टर का काम करते हुए नित नई ऊंचाइयां तय करने लगे। इस बीच वहां एक कमरे का फ्लैट घर भी खरीद लिया। जीवन पटरी पर था लेकिन लॉकडाउन में वही सबकुछ ठहर गया।
बालिका वधु के पचास से अधिक एपिसोड में बतौर यूनिट डायरेक्टर काम करने वाले रामवृक्ष इसके अलावा इस प्यार को क्या नाम दूं, कुछ तो लोग कहेंगे, हमार सौतन हमार सहेली, झटपट चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोडी खुशी थोडा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी जैसे धारावाहिकों के अलावा यशपाल शर्मा, मिलिंद गुणाजी, राजपाल यादव, रणदीप हुडा, सुनील शेट्टी की फिल्मों के निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशन की भूमिका भी निभाई। आने वाले दिनों के लिए एक भोजपुरी व एक हिन्दी फिल्म का काम रामवृक्ष के पास है, वे कहते हैं कि अब इसी पर वह फोकस कर रहे हैं।
साभार – https://www.livehindustan.com/ से