एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 लाख रोज़गारों पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। अतः केंद्र सरकार के सामने अब सबसे महत्वपूर्ण सोच का विषय यह है कि किस प्रकार देश में औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर, निर्मित किए जायें। साथ ही, कोरोना महामारी के दौरान छोटे छोटे उद्योगों को दिवालिया होने से बचाना भी एक और महत्वपूर्ण विषय केंद्र सरकार के सामने था। उद्योगों को दिवालिया होने से बचाने के लिए तो तरलता सम्बंधी एक विशेष पैकेज प्रदान किया गया, जिसका बहुत ही सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिया एवं लघु एवं मध्यम उद्योग तो पुनः प्रारम्भ हो गए। केंद्र सरकार के प्रयासों से शहरों से ग्रामों की ओर हुए मज़दूरों की पलायन सम्बन्धी समस्या को भी बहुत ही सफल तरीक़े से हल कर लिया गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने राशि का आबंटन बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के कई अवसर निर्मित किए। ग़रीब वर्ग को खाने पीने एवं मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुएं उपलब्ध कराने के कई गम्भीर प्रयास किए गए एवं इन प्रयासों में केंद्र सरकार को सफलता भी मिली।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में केंद्र सरकार ने कई वित्तीय उपायों की घोषणा की थी ताकि विनिर्माण क्षेत्र, खनन क्षेत्र, ढाँचागत निर्माण क्षेत्र, आदि जो अप्रेल-जून 2020 के दौरान एकदम बंद हो गए थे, उन्हें पुनः प्रारम्भ किया जा सके। इन वित्तीय उपायों का भी बहुत सफल प्रभाव रहा एवं इन क्षेत्रों में औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन पुनः प्रारम्भ हो गया। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 के तृतीय तिमाही (अक्टोबर-दिसम्बर) में सेवा क्षेत्र की इकाईयों एवं गृह निर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी लायी जा सके। इन क्षेत्रों में रोज़गार के अधिक अवसर निर्मित किए जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बहुत ही बारीकी से यह देख रही है कि किस क्षेत्र को कब कब क्या आवश्यकता है एवं अर्थव्यवस्था के कौन से क्षेत्र शीघ्र पुनर्जीवित हो रहे हैं एवं कौन से क्षेत्र पुनर्जीवित होने में समय ले रहे हैं। इन क्षेत्रों को किस प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है एवं इन परेशानियों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है। इस सम्बंध में उचित समय पर सही उपाय भी हो रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा बहुत ही व्यवस्थित तरीक़े से कार्य किया जा रहा है।
हाल ही में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। देश में रोज़गार एक महतवपूर्ण क्षेत्र है जिस पर अब फ़ोकस किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान देश में कई उद्योगों पर विपरीत असर पड़ा था एवं रोज़गार के लाखों अवसरों का नुक़सान हुआ था। अतः सबसे बड़ी घोषणा रोज़गार को पुनर्जीवित करने के सम्बंध में हैं। मार्च से सितम्बर 2020 की अवधि के दौरान जिन लोगों के रोज़गार चले गए थे अथवा जिनके रोज़गार में दिक्कत आई थी, अब अगर नियोक्ता उनको दुबारा से रोज़गार देता है तो केंद्र सरकार ईपीएफ में 24 प्रतिशत अंशदान (12 प्रतिशत नियोक्ता का हिस्सा और 12 प्रतिशत कर्मचारी का हिस्सा) अपनी ओर से प्रदान करेगी।
जिन नियोक्ताओं के पास 50 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें कम से कम दो कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी एवं जिन नियोक्ताओं के पास 50 से ज़्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें कम से कम 5 कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी, तभी वे इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हो सकेंगे। जिन उद्यमों में 1000 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें 24 प्रतिशत की राशि का पूरा लाभ मिलेगा एवं जिन उद्यमों में 1000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हें केवल कर्मचारी के 12 प्रतिशत हिस्से की राशि का लाभ मिलेगा। निजी क्षेत्र को यह बहुत बड़ा लाभ प्रदान किया जा रहा है। कर्मचारी के आधार कार्ड का उपयोग करके हितग्राही के खाते में सीधे ही राशि जमा की जाएगी। रोज़गार के अवसरों को पुनर्जीवित करने के लिए यह एक बहुत बड़ा उपाय माना जा रहा है।
गृह निर्माण उद्योग अकुशल श्रमिकों के लिए रोज़गार के अवसर उत्पन्न करता है। अतः प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत 18000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आबंटन किया गया है, ताकि शहरी क्षेत्रों में अधिक से अधिक मकान इस योजना के अंतर्गत बनाए जा सकें एवं रोज़गार के अवसर निर्मित हो सकें। साथ ही, अभी लागू नियमों के अनुसार, दो करोड़ रुपए तक के मकान बेचने पर यदि सर्कल दर एवं अनुबंध दर में 10 प्रतिशत से अधिक का अंतर है तो मकान/फ़्लैट क्रेता एवं विक्रेता दोनों को ही आय कर नियमानुसार देना होता है परंतु इस नियम को शिथिल कर 20 प्रतिशत तक के अंतर तक छूट प्रदान की जा रही है।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। पहले इस योजना के अंतर्गत केवल 3 उद्योगों को शामिल किया गया था परंतु अब 10 और उद्योगों को भी इस योजना में शामिल कर लिया गया है जिन्हें 146,000 करोड़ रुपए की राशि का प्रोत्साहन दिया जायेगा। इस प्रोत्साहन योजना के लागू किए जाने से इन उद्योगों में विकास की रफ़्तार बढ़ेगी एवं रोज़गार के नए अवसरों का सृजन होगा। कुल मिलाकर सरकार अब प्रयास कर रही है कि औपचारिक क्षेत्रों में रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित हों। आज देश में 83 प्रतिशत रोज़गार अनऔपचारिक क्षेत्रों में निर्मित होते हैं।
किसानों को खाद हेतु सब्सिडी प्रदान करने के लिए 65,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है। यह खाद सब्सिडी देश में 14 करोड़ किसानों को उपलब्ध करायी जाएगी। देश में बुनियादी ढांचा विकसित करने के उद्देश्य से आधारभूत निवेश फ़ंड को 6,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे हैं ताकि बुनियादी ढांचा विकसित करने हेतु नए उद्यमों को वित्त उपलब्ध कराया जा सके।
विश्व में कई विकसित देशों ने तो बहुत बड़ी राशियों के आर्थिक पैकेज की घोषणाएं की थीं परंतु विकासशील देशों के पास पूंजी का अभाव है अतः उपलब्ध राशि का सही तरीक़े से इस्तेमाल हो इसका ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है ताकि राजस्व घाटे से सम्बंधित नियमों का पालन भी किया जा सके। इसलिए भारत सरकार भी सोच समझकर सही समय पर ही आर्थिक घोषणाएं कर रही है। अभी तक 29.88 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा समय समय पर की जा चुकी है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 15 प्रतिशत है।
हालांकि बेरोज़गारी की दर अप्रेल/मई माह 2020 में एकदम बढ़कर 38 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जिसे शीघ्रता से कम करना आवश्यक था, अतः केंद्र सरकार ने सही समय पर कई आर्थिक निर्णय लिए जिसके चलते आज बेरोज़गारी की दर गिरकर 8 प्रतिशत से भी नीचे आ गई है। अब तो उक्त वर्णित की गई कई नई घोषणाओं के बाद यह दर और भी नीचे आएगी, क्योंकि उक्त वर्णित आर्थिक उपायों की घोषणा के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही है कि औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार के 50-60 लाख नए अवसर निर्मित होंगे।
प्रहलाद सबनानी,
सेवा निवृत्त उप-महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
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